अगर सच में तीसरा विश्वयुद्ध होता है, तो यह सबसे भयानक साबित होगा. इसमें कुछ देशों का तो नामोनिशान मिट सकता है.
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नई दिल्ली: अमेरिकी एयर स्ट्राइक में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या किए जाने के बाद बुधवार को जवाबी कार्रवाई करते हुए ईरान ने इराक में मौजूद अमेरिका के तीन सैन्य ठिकाने, इरबिर अल-असद और ताजी एयरबेस पर कई रॉकेट दागे. इस हमले ने एक बार फिर ईरान और अमेरिका के बीच तनाव को बढ़ा दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ईरान और नॉर्थ कोरिया से बिगड़ते संबंधों को देखते हुए युद्ध की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. उस पर रूस पर कई तरह के प्रतिबंध एक अलग कहानी कहते हैं. ऐसे में वैश्विक हालात कुछ ठीक नहीं लग रहे. लोग तो यह मानकर चल रहे हैं कि हालात अगर ऐसे ही रहे, तो तीसरा विश्वयुद्ध दूर नहीं है.
अगर सच में तीसरा विश्वयुद्ध होता है, तो यह सबसे भयानक साबित होगा
अगर सच में तीसरा विश्वयुद्ध होता है, तो यह सबसे भयानक साबित होगा. इसमें कुछ देशों का तो नामोनिशान मिट सकता है. इसलिए अगर आज World War three शुरु हो जाए तो कौन देश किसके पक्ष में होगा. हमला होने के बाद कई देश ईरान के पक्ष में हैं. इनमें सबसे पहले है रशिया जो ईरान का दोस्त है. इसके बाद चीन भी अमेरिका के खिलाफ ईरान का साथ देगा. इराक इस हमले के बाद से लगातार ईरान के पक्ष में बयान दे रहा है. इसके अलावा यमन, लेबनन, सीरिया और फिलीस्तीन भी ईरान का साथ दे रहे हैं.
ईरान पर इस हमले के बाद अमेरिका का साथ दे रहे हैं. इंग्लैंड, फ्रांस, इज़रायल, सऊदी अरब, जॉर्डन और यूएई डोनल्ड ट्रंप के साथ हैं. कई देश ट्रंप के हमले के फैसले से खुश नहीं है लेकिन अगर युद्ध हुआ तो ये अमेरिका का साथ देंगे क्योंकि इनमें से कई देश पश्चिम एशिया में ईरान का वर्चस्व कम होते हुए देखना चाहते हैं.
1914 में पहला विश्वयुद्ध हुआ था
आपको बता दें कि 1914 में पहला विश्वयुद्ध हुआ था. यूरोप के देशों में आपसी रंजिश पहले से बढ़ रही थी लेकिन ऑस्ट्रिया के होने वाले राजा और उनकी पत्नी की हत्या कर दी गई थी. इस हत्या के बाद ऑस्ट्रिया ने जर्मनी से मदद मांगी और Bosnia पर हमला कर दिया क्योंकि हत्यारा Bosnia का था. Bosnia का साथ देने के लिए रशिया ने जर्मनी पर आक्रमण कर दिया और इस तरीके से फ्रांस, ब्रिटेन, इटली भी इस युद्ध में कूद पड़े और देखते ही देखते पहला विश्व युद्ध शुरू हुआ.
जब-जब प्रतिद्वंद्वी देशों के बीच ताकत का समीकरण बराबरी पर आने लगता है और जब विश्व की अर्थव्यवस्था सिकुड़ने लगती है, तो विश्वयुद्ध होने की आशंका बढ़ जाती है. आज के समय में अमेरिका और चीन दो ऐसी ताकतें हैं, जो एक दूसरे के करीब-करीब बराबर हैं. वहीं अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था भी कमज़ोर हो रही है. ऐसे में अगर चीन ईरान के पक्ष में आ जाता है और अमेरिका पीछे हटने को राजी नहीं होता है तो रशिया और भारत जैसे देशों को चीन और अमेरिका में से किसी एक को चुनना पड़ेगा.ऐसी स्थिति दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की तरफ धकेल सकती है.
अमेरिका और ईरान की जंग रोकेगा भारत?
दुनिया के नक्शे पर वार और पलटवार में जुटे ईरान-अमेरिका के साथ-साथ पूरी दुनिया में टेंशन हाई है. ऐसे में इराक ने भी अपने दोस्तों की तरफ देखना शुरू कर दिया है. भारत में ईरान के राजदूत अली चेगेनी ने के मुताबिक अमेरिका के साथ तनाव कम करने में अगर भारत की तरफ से कदम उठाया जाता है तो ईरान उसका स्वागत करेगा. भारत में ईरान के राजदूत अली चेगेनी ने ट्विटर पर लिखा है 'हम युद्ध नहीं चाहते हैं, हम क्षेत्र में सभी लोगों के लिए शांति और समृद्धि चाहते हैं. हम भारत के किसी भी कदम और परियोजना का स्वागत करते हैं जो दुनिया में शांति और समृद्धि लाने में मददगार हो.'