Pakistan News: पाकिस्तान के लिए रूस के कजान से एक ऐसी खबर आई जो इस्लामाबाद पर बिजली की तरह गिरी है. ब्रिक्स में शामिल होने के लिये दुनिया भर के कई देशों से अप्लाई किया था. पाकिस्तान भी उन देशों में एक है.
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Pakistan BRICS Application: पाकिस्तान में बुधवार रात से ही कोहराम मचा हुआ है. वजह है शहबाज शरीफ का एप्लीकेशन का रिजेक्ट होना.असल में पाकिस्तान ने ब्रिक्स में खुद को शामिल करने के लिये रूस के कजान में अप्लाई किया था. लेकिन ब्रिक्स के मेंबर देश जिसमें भारत, रूस और चीन सहित कई देश हैं, उन्होंने मिलकर पाकिस्तान का एप्लीकेशन कूड़ेदान में फेंक दिया है. और पाकिस्तान का ब्रिक्स में शामिल होने का सपना पूरा नहीं हुआ.
कई देशों ने किया था अप्लाई
पाकिस्तान के लिए रूस के कजान से एक ऐसी खबर आई जो इस्लामाबाद पर बिजली की तरह गिरी है. ब्रिक्स में शामिल होने के लिये दुनिया भर के कई देशों से अप्लाई किया था. पाकिस्तान भी उन देशों में एक है. बुधवार देर रात 13 देशों को ब्रिक्स का पार्टनर बनाने का ऐलान किया गया. पाकिस्तान की कैबिनेट सहित उनके पीएम भी इस लिस्ट में पाकिस्तान का नाम देखने का इंतजार कर रहे थे. लेकिन इस लिस्ट में पाकिस्तान का नाम आखिरी नंबर पर भी नहीं आया.
ब्रिक्स की मीटिंग में पाकिस्तान के जख्मों पर मिर्च लगाने का एक और फैसला हुआ है, जिन देशों को पार्टनर देश बनाया गया है जरा उनपर नजर डालिए.
पाकिस्तान के पुराने दोस्त को मिली जगह
13 पार्टनर देशों में 7 मुस्लिम बहुल देश हैं. इसमें पाकिस्तान का पुराना दोस्त तुर्किये भी शामिल है. बताया जाता है कि ब्रिक्स की मेंबरशिप लेने के लिये ही तुर्किये ने यूएन में कश्मीर का मुद्दा नहीं उठाया था. पार्टनर देश BRICS के औपचारिक सदस्य नहीं होंगे, लेकिन संगठन की प्लानिंग का हिस्सा होंगे.
पाकिस्तान को पार्टनर देश क्यों नहीं बनाया गया. इसकी वजह भी बताएंगे लेकिन इस खबर के बाद पाकिस्तानी जनता काफी नाराज है.
मोदी-जिनपिंग को साथ देखकर पाकिस्तानियों को ऐसा शॉक लगा. पूछिये मत. अब रूस के राष्ट्रपति पुतिन का फैसला जानिए. रूस की तरफ से बताया गया कि मेंबर बनने के लिये आम सहमति जरूरी है. इसलिये उन्हीं देशों को पार्टनर बनाया गया जिसके नाम पर सभी सहमत थे.
क्राइटेरिया में नहीं बैठा फिट
वैसे भी पाकिस्तान की कमजोर इकॉनमी ब्रिक्स के उस क्राइटेरिया में फिट नहीं बैठती जिसमें उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों को साथ लाने की बात है.
दूसरी दिक्कत है पाकिस्तान की वो आदत जिसमें वो अक्सर बड़े मंचों को भारत के खिलाफ बयान देने के लिये इस्तेमाल करता है.
शहबाज शरीफ सहित पाकिस्तान के सभी प्रधानमंत्री ऐसा ही करते आए हैं और उसी की सजा कजान में पाकिस्तान को मिली है. जिस तरह से चीन के सुर कजान में भारत के लिये बदल गये. ब्रिक्स की मेंबरशिप ना मिलने के बाद इस्लामाबाद में भी वैसा ही बदलाव दिख सकता है.