Social Media Ban: यह बैन एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि अभिव्यक्ति की आजादी और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए. सोशल मीडिया लोगों को अपनी आवाज उठाने का मौका देता है. फिलहाल अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में सरकार इस प्रतिबंध को कैसे संभालती है.
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South Sudan social media: सोशल मीडिया आज के युग का ऐसा जरिया बन चुका है जो न सिर्फ हमें जोड़े रखता है बल्कि हमें अपनी बात कहने और सुनने का मंच भी देता है. लेकिन क्या होगा जब इस माध्यम पर रोक लगा दी जाए? दक्षिण सूडान में ऐसा ही कुछ हुआ है. हुआ यह है कि यहां सरकार ने हिंसा से जुड़े वीडियो और तस्वीरों को रोकने के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. हालांकि सरकारी बयान में इस बात का जिक्र किया गया है कि यह बैन अस्थायी है. लेकिन ऐसा क्यों हुआ इसे समझने की जरूरत है.
सोशल मीडिया पर 30 दिनों का प्रतिबंध
असल में इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दक्षिण सूडान की सरकार ने बुधवार को टेलीकॉम कंपनियों को आदेश दिया कि वे सोशल मीडिया पर कम से कम 30 दिनों के लिए रोक लगाएं. यह फैसला पड़ोसी देश सूडान में हो रही हिंसा के ग्राफिक कंटेंट को रोकने के लिए लिया गया है. नेशनल कम्युनिकेशन अथॉरिटी एनसीए का कहना है कि यह कदम सार्वजनिक सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को बचाने के लिए जरूरी है.
क्यों लिया गया यह सख्त फैसला?
सूडान के गेजिरा राज्य में साउथ सूडानी नागरिकों के खिलाफ हो रही हिंसा की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे थे. इससे दक्षिण सूडान के लोगों में गुस्सा और डर बढ़ रहा था. बीते हफ्ते दक्षिण सूडान में इन घटनाओं के जवाब में हिंसक प्रतिक्रिया देखी गई, जिसमें दुकानों को लूट लिया गया. ऐसे में सरकार ने न केवल सोशल मीडिया पर रोक लगाई बल्कि रात का कर्फ्यू भी लागू किया.
अफ्रीकी यूनियन ने की निंदा
यूनियन के अध्यक्ष मौसा फकी महामत ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए सूडानी नागरिकों की हत्या को 'नृशंस' बताया. उन्होंने सभी पक्षों से शांति और संयम बरतने की अपील की. यह हिंसा सूडान में अप्रैल 2023 से जारी गृहयुद्ध के भयानक परिणामों में से एक है, जिसमें जातीय हिंसा, नरसंहार और भुखमरी जैसी समस्याएं पैदा हुई हैं.
अभिव्यक्ति की आजादी बनाम सुरक्षा
यह बैन एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि अभिव्यक्ति की आजादी और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए. सोशल मीडिया जहां लोगों को अपनी आवाज उठाने का मौका देता है. वहीं यह हिंसा और अफवाहें फैलाने का जरिया भी बन सकता है. फिलहाल अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में सरकार इस प्रतिबंध को कैसे संभालती है. इनपुट एजेंसी