नई दिल्लीः Baikuntha Chaturdashi 2022: बैकुंठ चतुर्दशी हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है. एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु चातुर्मास (आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक) तक सृष्टि का संपूर्ण कार्यभार भगवान शिव को देकर विश्राम करते हैं .
बैकुण्ठ लोक के खुले रहते हैं द्वार
जब देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जागते हैं तो सभी देवी-देवता इसकी खुशी में देव दिवाली मनाते हैं. भगवान शिव बैकुंठ चतुर्दशी के दिन ही भगवान विष्णु को सृष्टि का सारा कामकाज दोबारा सौंपते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन बैकुण्ठ लोक के द्वार खुले रहते हैं. जो भी विधि-विधान से इस दिन व्रत और पूजा करता है, वो भगवान विष्णु के पास बैकुंठ लोक में निवास करता है.
आज का पंचांग
कार्तिक - शुक्ल पक्ष- त्रयोदशी तिथि 04.28 बजे तक, इसके उपरांत चतुर्दशी तिथि - रविवार
नक्षत्र - रेवती नक्षत्र
महत्वपूर्ण योग- वज्र योग
चंद्रमा का मीन के उपरांत रात्रि में मेष राशि पर संचरण
आज का शुभ मुहूर्त - 11.48 बजे से 12.32 बजे तक
राहु काल - 04.19 बजे से 05.42 बजे तक
त्योहार – बैकुंठ चतुर्दशी
गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
मिट्टी के पात्र में नदी या सरोवर का जल भरकर उसमें पांच प्रकार के ताजे पुष्पों को डालकर उसे लाल वस्त्र से ढंककर घर के उत्तर कोने में रख दीजिए. सायंकाल से पहले पात्र सहित भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित करते हुए अपनी मनोकामना का स्मरण करें.
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(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)
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