Jyotish Upaay: जीवन में ऐसे मिलेगी तरक्की, आज के दिन जरूर करें ये काम और गरीबों को दान

 Jyotish Upay For Progress:  हिंदू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा का काफी महत्व है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान का बड़ा ही महत्व है. इससे व्यक्ति को जीवन में तरक्की मिलती है और वह खूब आगे बढ़ता है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 14, 2022, 11:19 AM IST
  • जीवन में ऐसे मिलती है तरक्की
  • इस दिन जरूर करें गरीबों को दान
Jyotish Upaay: जीवन में ऐसे मिलेगी तरक्की, आज के दिन जरूर करें ये काम और गरीबों को दान

नई दिल्ली: हिंदू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा का काफी महत्व है. ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. ज्येष्ठ पूर्णिमा के व्रत को बेहद पवित्र माना गया है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान का बड़ा ही महत्व है. इससे व्यक्ति को जीवन में तरक्की मिलती है और वह खूब आगे बढ़ता है.

यदि आप इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान, अगर संभव न हो, तो पानी में थोड़ा-सा गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए, साथ ही पूर्णिमा के दिन यथाशक्ति कुछ न कुछ दान भी अवश्य करना चाहिए.

ज्येष्ठ पूर्णिमा पूजा मुहूर्त
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर साध्य और शुभ योग बन रहा है. इस दिन सुबह साध्य योग 09 बजकर 40 मिनट तक हैं. उसके बाद से शुभ योग शुरू हो जाएगा, जो पूरी रात है. इस दिन का शुभ समय 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट के मध्य है. आप 14 जून को प्रातः काल में पूर्णिमा व्रत की पूजा कर सकते हैं. रात के समय में चंद्रमा की पूजा करें.

ज्येष्ठ पूर्णिमा चंद्रोदय समय
ज्येष्ठ पूर्णिमा की रात चंद्रोदय शाम 07 बजकर 29 मिनट पर होगा. चंद्रास्त का समय प्राप्त नहीं है. पूर्णिमा को चंद्रमा की पूजा के लिए ज्यादा रात तक इंतजार नहीं करना होगा. इस रात आप जल में दूध, शक्कर, फूल और अक्षत् मिलाकर चंद्र देव को अर्पित करें.  कुंडली में चंद्रमा से जुड़े दोष दूर हो जाएंगे और साधक को सुख की प्राप्ति होगी.

देव स्नान पूर्णिमा
आज देव स्नान पूर्णिमा भी है. देव स्नान पूर्णिमा हिंदूओं का सबसे पवित्र त्योहार होता है. इसे स्नान यात्रा के नाम से भी जाना जाता है. देव स्नान पूर्णिमा इस दिन सभी देवताओं को स्नान बेदी में स्नान कराया जाता है.यह दिन भगवान जगन्नाथ का एक विशेष स्नान समारोह है, जिसे ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ के जन्मदिन के मौके पर मनाया जाता है.

देव स्नान पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल का पहला त्योहार है, जब देवताओं जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा, सुदर्शन और मदन मोहन को पुरी के जगन्नाथ मंदिर से बाहर लाया जाता है और स्नान बेदी में ले जाया जाता है.

देव स्नान पूर्णिमा महत्व
देव स्नान पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ की जयंती के रूप में मनाया जाता है. भगवान जगन्नाथ के भक्तों के लिए इस दिन का खास महत्व है. इसके साथ ही उड़ीसा के पुरी में इस दिन को भव्य त्योहार के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा, सुदर्शन और मदन मोहन की मूर्तियों को मंदिर से बाहर निकालकर स्नान बेदी में ले जाया जाता है. इसके बाद सभी देवताओं को औपचारिक रूप से स्नान कराया जाता है और सजाया जाता है.

सोने के कुएं से स्नान
स्नान पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र, और बहन सुभद्रा को मंदिर के गर्भगृह से निकालकर स्नान मंडप में लाया जाता है. स्नान मंडप परिसर में बने सोने के कुएं से स्नान के लिए 108 घड़ा जल निकाला जाता है. इन सभी घड़ों के जल को मंदिर के पुजारी हल्दी जव, अक्षत, चंदन, पुष्प और सुगंध से पवित्र करते हैं. इसके बाद इन घड़ों को स्नान मंडप में लाकर विधि विधान से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का स्नान संपन्न कराया जाता है जिसे जलाभिषेक कहते हैं.

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