नई दिल्ली: लाभ पंचमी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाई जाती है. इसे ज्ञान पंचमी, लाखेनी पंचमी भी कहते हैं. लाभ पंचमी को दिवाली के त्यौहार का आखिरी दिन माना गया है. सौभाग्य शब्द का अर्थ होता है अच्छा भाग्य और लाभ का मतलब होता है फायदा, इसलिए लाभ पंचमी या सौभाग्य पंचमी का दिन अच्छे भाग्य और की कामना के लिए बेहद लाभकारी माना गया है. जबकि जैनियों में आज के दिन को ज्ञान पंचमी के रूप में मनाया जाता है. सौभाग्य पंचमी या लाभ पंचमी का ये त्योहार मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाता है. आज के दिन गणेश जी और भगवान शिव की पूजा करने का विधान है.
आज सौभाग्य पंचमी के दिन कोई भी कार्य सफल जरूर होता है. साथ ही कारोबार में तरक्की होती है और जीवन में सुखशांति और खुशहाली आती है. इस दौरान कोई नया काम या बिजनेस शुरू करने से बहुत ही शुभ फल मिलते हैं.
माता लक्ष्मी और गणेश की होती है पूजा
इस दिन लोग सुखसमृद्धि और ज्ञान में वृद्धि के लिए माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं. पूजा के बाद घर के बड़े लोगों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. जीवन में धनधान्य की कभी कमी न हो इसलिए इस दिन दान का भी विशेष महत्व माना जाता है.
कहते हैं इस जो व्यक्ति सच्चे मन से विधि विधान भगवान गणेश और माता लक्ष्मी का पूजन करता है उसे व्यापार में लाभ प्राप्त होता है.
इस दिन व्यापारी लोग कुमकुम से बही खाते के बाई तरफ दाई तरफ शुभ और लाभ लिखते हैं. फिर माता लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन करते हैं. जैन धर्म के लोग इस दिन ज्ञानवर्धक पुस्तकों की पूजा करते हैं और बुद्धि, ज्ञान की प्रार्थना करते हैं.
लाभ पंचमी 2022 शुभ मुहूर्त
लाभ पंचमी तिथि 29 अक्टूबर, शनिवार
लाभ पंचमी शुभ मुहूर्त सुबह 08.13 से 10.30 तक.
पंचमी तिथि की शुरूआत 29 अक्टूबर सुबह 08.13 बजे
पंचमी तिथि का समापन 30 अक्टूबर सुबह 05.49 बजे
लाभ पंचम की पूजा शुभ, लाभ और अमृत के चौघड़िया में करना उचित होगा.
दिन के लिए चौघड़िया
सुबह 06.43 बजे
शुभ दोपहर 08.08 से 09.33 बजे तक
लाभ 01.48 बजे से 03.13 बजे तक
अमृत 03.13 बजे से 04.37 बजे तक
रात के लिए चौघड़िया
सूर्यास्त 06.04 बजे
जानिए लाभ पंचमी की पूजन विधि
पूजा के समय भगवान गणेश को चंदन, सिंदूर, अक्षत, धूप,दीप और दूर्वा अर्पित करें.
मां लक्ष्मी को फूल, लाल वस्त्र, इत्र, हल्दी आदि अर्पित करें.
फिर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें.
सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं.
इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूरा दिन अन्न ग्रहण नहीं करना होता है.
इस व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करना होता है.
इस दिन अपने सामर्थ्य अनुसार कुछ न कुछ दान जरूर करना चाहिए.
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