Rajasthan: BJP की तीसरी लिस्ट! महारानी के लौटने की आहट, जानें बाकी नेताओं पर क्यों भारी हैं वसुंधरा?

Rajasthan Assembly Elections 2023: भाजपा की तीसरी लिस्ट में 58 में से 22 उम्मीदवार वसुंधरा के करीबी माने जा रहे हैं. के कोटे में से हैं. दूसरी सूची में भी 83 नामों में से राजे के 28 करीबियों को टिकट मिला था. इसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का दबदबा साफ तौर पर देखने को मिला है.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Nov 13, 2023, 02:17 PM IST
  • तीसरी लिस्ट में 22 वसुंधरा समर्थकों को जगह
  • पूर्व मंत्री यूनुस खान का टिकट नहीं बचा पाईं
Rajasthan: BJP की तीसरी लिस्ट! महारानी के लौटने की आहट, जानें बाकी नेताओं पर क्यों भारी हैं वसुंधरा?

नई दिल्ली: Rajasthan Assembly Elections 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने अब तक 200 में से 186 उम्मीदवारों के नाम जारी कर दिए हैं. 6 नवंबर नामांकन दाखिल किए जाने की अंतिम तिथि है. गुरूवार को भाजपा ने 58 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की थी. इसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का दबदबा साफ तौर पर देखने को मिला है. माना जा रहा है कि 58 में से 22 उम्मीदवार उनके कोटे में से हैं. दूसरी सूची में भी 83 नामों में से राजे के 28 करीबियों को टिकट मिला था. 

पहली लिस्ट में अनदेखी, फिर बनीं मजबूरी
भाजपा की तीसरी लिस्ट में वसुंधरा के कोटे से कोलायत से पूनम कंवर, भीनमाल से पूराराम चौधरी, केशवरायपाटन से चंद्रकांता मेघवाल, लाडपुरा से कल्पना देवी समेत करीब 22 उम्मीदवारों को टिकट मिला है. राजस्थान भाजपा के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में 41 नाम आए थे. लेकिन वसुंधरा खेमे की पूरी तरह अनदेखी हुई थी. झोटवाड़ा से राजपाल सिंह शेखावत का टिकट काटकर सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को मैदान में उतारा. विद्यादर नगर से भी नरपत सिंह राजवी की बजाय सांसद दीया कुमारी को टिकट थमाया गया. हालांकि, बाद में राजवी को एडजस्ट किया गया. सांगानेर से अशोक लोहाटी का टिकट भी कटा. इन सीटों पर भाजपा को भारी विरोध का सामना करना पड़ा. शीर्ष नेतृत्व भी डैमेज कंट्रोल करने में नाकाम साबित हुआ. 

 

यूनुस को टिकट नहीं दिला पाईं
वसुंधरा राजे की राजस्थान में धर्म निपेक्ष छवि है. उनके कई करीबी लोग मुस्लिम समुदाय से आते हैं. पूर्व मंत्री यूनुस खान वसुंधरा के सबसे करीबी लोगों में गिने जाते हैं. वे राजस्थान में भाजपा के इकलौते बड़े मुस्लिम चेहरे के तौर पर भी देखे जाते हैं. हालांकि, भाजपा ने इस बार डीडवाना से उनका टिकट काट दिया है. दरअसल, भाजपा राजस्थान में किसी मुस्लिम चेहरे पर दांव नहीं खेलना चाह रही, इसी के चलते यूनुस का टिकट कटा है. चर्चा ये भी है कि यूनुस कांग्रेस में शामिल होकर नागौर से ज्योति मिर्धा के सामने उतर सकते हैं. 4 नवंबर को यूनुस आगे का फैसला करेंगे. हालांकि, डीडवाना में उनकी स्थिति मजबूती मानी जा रही है. 

राजे बाकी नेताओं से मजबूत क्यों?
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का हाड़ौती बेल्ट पर अच्छा प्रभाव है. वे यहां की झालरापाटन सीट से चौथी बार विधायक हैं. उनके पुत्र दुष्यंत सिंह भी झालावाड़ से सांसद हैं. हाड़ौती रीजन में 17 सीटें हैं. 2018 के चुनाव में भी भाजपा ने यहां कांग्रेस के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया था. यहां से भाजपा को 10 और कांग्रेस को 7 सीटें मिली थीं. जबकि 2013 में भाजपा ने रिकॉर्ड 16 सीटें जीती थीं. जातीय समीकरण भी राजे के पक्ष में हैं. वे खुद राजपूत हैं और जाट घराने में शादी हुई है. उनकी पुत्रवधू निहारिका भी गुर्जर घराने से हैं. लिहाजा, तीन जातियों को राजे साधती हैं. वहीं, भाजपा के केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी का अपने क्षेत्र के बाहर प्रभाव कम है. 

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