Karnataka Elections 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और चुनाव आयोग ने बुधवार को इनकी तारीखों का भी ऐलान कर दिया है. 224 विधानसभा सीटों पर होने वाले यह चुनाव एक चरण में ही आयोजित किये जाएंगे, जिसके लिये 10 मई को मतदान होगा तो वहीं पर चुनाव के नतीजे 13 मई को आएंगे. कर्नाटक में फिलहाल भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार काबिज है जो कि इन चुनावों में वापसी की उम्मीद कर रही होगी तो वहीं पर विपक्षी दल बीजेपी को हटाकर सत्ता में आने की कोशिश करेंगे.
विधानसभा चुनाव से पहले उठी खास मांग
दक्षिण के इस दंगल को देखते हुए हम आपके लिए कर्नाटक चुनाव से जुड़े दिलचस्प किस्से और कहानियां लेकर आए हैं और इसी कड़ी में हम आपको कर्नाटक विधानसभा चुनावों में मुस्लिम वोटर्स की अहमियत बताने जा रहे हैं. बता दें कि 1978 के विधानसभा चुनाव के बाद ये शायद पहली बार होगा जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटर्स सरकार के गठन में सबसे अहम भूमिका निभाते नजर आ सकते हैं.
तारीखों का ऐलान होने के साथ ही सूबे में नेताओं की ओर से वादों और दावों की बौछार शुरू हो गई है और जब मौका-दस्तूर दोनों हैं तो न सिर्फ मतदाता बल्कि उम्मीदवारों ने भी अपनी शर्तें रखनी शुरू कर दी है. मौके की नजाकत को देखते हुए इस बार कांग्रेस और जेडीएस के मुस्लिम नेताओं ने पार्टी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है कि विधानसभा चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिया जाए.
आखिर क्यों मुस्लिम नेताओं ने उठाई ये मांग
मुस्लिम नेताओं ने अपनी मांग के पीछे तर्क देते हुए कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में करीब 20 से 23 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जिसमें मुस्लिम वोटर्स की संख्या ज्यादा है. इन विधानसभा क्षेत्रों में करीब 13 प्रतिशत वोटर्स मुस्लिम हैं और वहां पर जीत या हार का अंतर तय कर सकते हैं. ऐसे में उनकी मांग है कि अगर पार्टी इन क्षेत्रों में मुस्लिम वोटर्स को ज्यादा से ज्यादा संख्या में उतारती है तो जातीय समीकरण के चलते नतीजे उनके पक्ष में जा सकते हैं.
पिछले 5 विधानसभा चुनावों में कैसा रहा है प्रदर्शन
राज्य में जातीय समीकरण के लिहाज से इन उम्मीदवारों की मांग जायज नजर आती है और यह कहना भी गलत नहीं होगा कि जेडीएस और कांग्रेस पार्टी समीकरण के पीछे को तर्क को समझकर चुनावी टिकट काट सकती है. यह होता है या नहीं इसका फैसला तो हमें उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने के साथ पता चल जाएगा लेकिन उससे पहले हम समझने की कोशिश करते हैं कि पिछले 5 विधानसभा चुनावों में कितने मुस्लिम उम्मीदवार जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं.
क्या मानी जाएगी मुस्लिम नेताओं की मांग
साल दर साल आंकड़ों पर नजर डालें तो 1999 में 12, साल 2004 में 6, साल 2008 में 9, साल 2013 में 11, साल 2018 में 7 मुस्लिम उम्मीदवार विधानसभा पहुंचे हैं. हालांकि साल 1978 में सबसे ज्यादा यानि कि 17 मुस्लिम कैंडीडेट चुनाव जीतकर कर्नाटक विधानसभा में पहुंचे थे. ऐसे में अगर पार्टियां मुस्लिम नेताओं की मांग को मान कर ज्यादातर मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारती हैं तो 1978 का यह आंकड़ा भी पीछे छूट सकता है. लेकिन जिस तरह से पिछले 5 विधानसभा चुनाव के नतीजे आये हैं उसे देखते हुए ऐसा होता मुश्किल नजर आ रहा है.
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