नई दिल्ली: अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर देशभर में खूब तैयारियां चल रही हैं. लोगों के बीच खासा उत्साह देखने को मिलने रहा है. ऐसे में हर शख्स राममई नजर आ रहा है. इस मौके पर भगवान राम का किरदार निभाने वाले लोग और रामायण पर बनी फिल्में और टीवी शोज भी एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं. अब भारतीय सिनेमा में रामायण पर कई फिल्में दर्शकों के बीच पेश की जा चुकी हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहली बार रामायण को किसने और कब पर्दे पर उतारा? चलिए सिनेमा की पहली रामायण के बारे में ही आज कुछ खास बातें जान ली जाएं.
दादा साहेब फाल्के ने पेश की थी पहली रामायण
साल 1917 की बात जब हिन्दी सिनेमा के जनक दादा साहेब फाल्के के पहली बार रामायण के किरदारों को पर्दे पर उतारने का फैसला किया. वाल्मीकि की रामायण पर आधारित इस फिल्म को 'लंका दहन' शीर्षक दिया गया. दादा साहेब फाल्के ने फिल्म के निर्देशन की कमान संभाली, साथ ही उन्होंने ही इसकी स्क्रीप्ट भी लिखी. फिल्म में अन्ना सालुंके और गणपत जी शिंदे अहम किरदारों में नजर आए.
अन्ना सालुंके ही बने राम और सीता
फिल्म की सबसे दिलचस्प बात यह थी कि अन्ना सालुंके ने इसमें भगवान राम का किरदार निभाया था और वही माता सीता के रोल में भी नजर आ रहे थे. यह पहली बार था जब कोई एक्टर पर्दे पर डबल रोल निभा रहा था. वहीं मजेदार बात थी कि दर्शकों ने उन्हें भगवान राम और माता सीता दोनों ही किरदारों में बेहद पसंद किया. दूसरी ओर गणपत जी शिंदे भगवान हनुमान के रोल में दिखे.
जूते उतारकर फिल्म देखते थे लोग
पहली रामायण फिल्म 'लंका दहन' का जादू दर्शकों पर ऐसा चला कि इसे देखने के लिए लोग जूते उतार कर बैठा करते थे, मानो वाकई श्रीराम पर्दे पर दर्शन दे रहे हों. वहीं, फिल्म पर जैसे भगवान राम की ही कृपा हो गई थी. सुबह 7 बजे से इसके शोज सिनेमाघरों में शुरू किए गए और दोपहर होने तक थिएटर्स के बाहर फिल्म देखने के लिए भारी भीड़ जमा हो गई. ब्लैक एंड व्हाइट मूक फिल्म होने के बावजूद दर्शक इस फिल्म के दीवाने हो गए.
पहली हिट फिल्म बनी 'लंका दहन'
कई हफ्तों तक यह फिल्म सिनेमाघरों में राज करती रही. कहते हैं कि फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ऐसा कमाल दिखाया कि निर्माताओं के घर सिक्कों से भरी बोरियां बैलगाड़ी के जरिए भेजी जा रही थी. ऐसे में इसे भारतीय सिनेमा की सबसे हिट फिल्म का टाइटल भी मिल गया. आज बेशक कई स्पेशल इफेक्ट्स के तरह रामायण को अलग-अलग अंदाज में पर्दे पर उतारा गया है, लेकिन उस समय बिना किसी वीएफएक्स के रामायण और लंका का दहन पर्दे दिखाना मेकर्स और दर्शकों के लिए किसी सपने के सच होने जैसा ही था.