जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत, हजारों ने खींचा रथ, राष्ट्रपति, पटनायक, CM मांझी ने किए दर्शन

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीनों रथों की परिक्रमा की और देवताओं के सामने माथा टेका. इसके अलावा राज्यपाल रघुबर दास, राज्य के CM मोहन चरण माझी ने भी दर्शन किए.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 7, 2024, 08:19 PM IST
  • शुरू हुई भगवान जगन्नाथ की यात्रा.
  • पुरी में प्रशासन व्यवस्था चाक-चौबंद.
जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत, हजारों ने खींचा रथ, राष्ट्रपति, पटनायक, CM मांझी ने किए दर्शन

पुरी. ओडिशा के पुरी स्थित 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर से रविवार दोपहर हजारों लोगों ने विशाल रथों को खींचकर लगभग 2.5 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान किया. शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अपने शिष्यों के साथ भगवान जगन्नाथ-बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों के दर्शन किए. इसके अलावा पुरी के राजा ने 'छेरा पहनारा' (रथ सफाई) अनुष्ठान पूरा किया.

इस प्रक्रिया के बाद बाद शाम करीब 5.20 बजे रथ खींचने का कार्य शुरू हुआ. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीनों रथों की परिक्रमा की और देवताओं के सामने माथा टेका. ओडिशा के राज्यपाल रघुबर दास, राज्य के CM मोहन चरण माझी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मुख्य जगन्नाथ रथ को जोड़ने वाली रस्सियों को खींचकर प्रतीकात्मक रूप से इस कवायद की शुरुआत की. लंबे समय तक ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे और अब विपक्ष के नेता नवीन पटनायक ने भी तीनों देवताओं के दर्शन किए. 

हजारों लोगों ने खींचा रथ
भगवान बलभद्र के लगभग 45 फुट ऊंचे लकड़ी के रथ को हजारों लोगों ने खींचा. अब देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथ खींचे जाएंगे. पूरा वातावरण 'जय जगन्नाथ' और 'हरिबोल' के जयकारों से गूंज रहा था और श्रद्धालु इस पावन मौके पर भगवान की एक झलक पाने का प्रयास कर रहे थे.

मुख्यमंत्री मोहन माझी पुरी पहुंचे और पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती से मुलाकात की. माझी ने कहा कि उन्हें पुरी के शंकराचार्य से मिलने का अवसर मिला, जिन्होंने उन्हें राज्य के गरीबों और निराश्रितों को सेवा और न्याय प्रदान करने की सलाह दी.

53 साल बाद....
इस साल 53 साल बाद कुछ खगोलीय स्थितियों के कारण रथ यात्रा दो दिवसीय होगी. परंपरा से हटकर, 'नबजौबन दर्शन' और 'नेत्र उत्सव' सहित कुछ अनुष्ठान रविवार को एक ही दिन में किए जाएंगे. ये अनुष्ठान आमतौर पर रथ यात्रा से पहले किए जाते हैं. 'नबजौबन दर्शन' का अर्थ है देवताओं का युवा रूप, जो 'स्नान पूर्णिमा' के बाद आयोजित 'अनासरा' (संगरोध) नामक अनुष्ठान में 15 दिनों के लिए दरवाजे के पीछे थे.

कैसी है प्रशासनिक तैयारी
पुरी के एसपी पिनाक मिश्रा ने कहा कि सुरक्षा कर्मियों की 180 प्लाटून (एक प्लाटून में 30 कर्मी होते हैं) की तैनाती के साथ कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. उत्सव स्थल बड़ादंडा और तीर्थ नगरी के अन्य रणनीतिक स्थानों पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.

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