Sardar Patel Jayanti: सरदार पटेल PM बनते-बनते रह गए... आखिर महात्मा गांधी ने क्यों चुना नेहरू का नाम?

Sardar Patel Jayanti 2024: आज सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती है. पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री बनते, लेकिन महात्मा गांधी की इच्छा का सम्मान रखने के लिए उन्होंने अपनी दावेदारी छोड़ दी. आइए, ये पूरा किस्सा जानते हैं.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Oct 31, 2024, 10:11 AM IST
  • पटेल थे नेहरू से मजबूत दावेदार
  • लेकिन नेहरू थे गांधी की पहली पसंद
Sardar Patel Jayanti: सरदार पटेल PM बनते-बनते रह गए... आखिर महात्मा गांधी ने क्यों चुना नेहरू का नाम?

नई दिल्ली: Sardar Patel Jayanti 2024: अक्सर ये तर्क सुनने को मिलता है कि 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल प्रधानमंत्री बने होते तो देश के हालात कुछ और होते. पटेल के प्रधानमंत्री न बनने की वजह महात्मा गांधी थे. उन्होंने पटेल को PM पद की चाह छोड़ने और जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाने की इच्छा रखी. महात्मा गांधी की इच्छा का सम्मान हुआ, पटेल ने राजी-खुशी प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी छोड़ दी. फिर नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने. आज सरदार पटेल की 150वीं जयंती (Sardar Patel Jayanti) है. आइए, जानते हैं कि पटेल PM पद के कितने मजबूत दावेदार थे और महात्मा गांधी ने पटेल को तरजीह क्यों नहीं दी?

पटेल मजबूत थे या नेहरू?
यह अप्रैल 1946 की बात है. कांग्रेस कार्यसमिति की मीटिंग चल रही थी. इसमें कांग्रेस के नए अध्यक्ष को चुना जाना था, दूसरे शब्दों में कहें तो कांग्रेस के अध्यक्ष को ही देश का पहला प्रधानमंत्री बनना था. इस मीटिंग में महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद, अब्दुल गफ्फार खान, आचार्य जेबी कृपलानी जैसे दिग्गज नेता शामिल हुए. तब कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव प्रांतीय कांग्रेस कमेटियों द्वारा किया जाता था. कांग्रेस की 15 प्रांतीय कमेटियों में से 12 ने सरदार पटेल के नाम को प्रस्तावित किया. 3 कमेटियों ने जेबी कृपलानी और पी. सीतारमैया का नाम आगे किया. पटेल के पास स्पष्ट बहुमत था, जबकि नेहरू का नाम एक भी कमेटी ने प्रस्तावित नहीं किया.

जब पटेल ने वापस ली उम्मीदवारी
मीटिंग में बैठे सभी लोग जानते थे कि बापू (महात्मा गांधी) जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं. आचार्य कृपलानी परिस्थिति को भांपते हुए कहा, 'बापू की भावनाओं का सम्मान करते हुए मैं जवाहरलाल नेहरू का नाम कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित करता हूं.'कृपलानी ने एक कागज पर नेहरू का नाम अपनी ओर से प्रस्तावित किया. फिर इस कागज पर एक-एक करके कार्यसमिति के करीब-करीब सदस्यों ने हस्ताक्षर कर दिए. जेबी कृपलानी ने सरदार पटेल से भी कहा कि अपनी उम्मीदवारी वापस ले लीजिए और नेहरू को कांग्रेस अध्यक्ष बनने दें. महात्मा गांधी ने नेहरू के नाम वाला कागज पटेल की ओर बढ़ाया. आखिरकार सरदार पटेल ने अपनी दावेदारी वापस ले ली.

महात्मा गांधी ने नेहरू को क्यों चुना?
राजमोहन गांधी की किताब 'पटेल-ए लाइफ' में लिखा है कि सरदार पटेल इस फैसले से आहत हुए थे. लेकिन वे ये मानते थे कि नेहरू उनसे अधिक लोकप्रिय हैं. एक चर्चा ये भी थी कि नेहरू के PM बनने पर पटेल को उनके नेतृत्व में काम कर लेते, लेकिन नेहरू ऐसा नहीं कर पाते. तब पत्रकार पत्रकार दुर्गा दास ने महात्मा गांधी से नेहरू को PM पद के लिए चुनने की वजह पूछी थी. इस पर गांधी ने कहा जवाहर बतौर कांग्रेस अध्यक्ष अंग्रेजी शासन से बेहतर तरीके से समझौता वार्ता कर सकते थे. अंतरराष्ट्रीय मामलों में भी भारत का प्रतिनिधित्व नेहरू बेहतर तरीके से कर सकेंगे.

पटेल बोले- नेहरू ही हमारे नेता हैं?
15 अगस्त, 1947 को सरदार वल्लभभाई पटेल को देश का उप प्रधानमंत्री बनाया गया. पटेल को आजाद भारत के गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी भी दी गई. उनके पास सूचना और प्रसारण मंत्रालय का प्रभार भी था. 2 अक्टूबर, 1950 को इंदौर में एक महिला केंद्र का उद्घाटन करते हुए सरदार पटेल ने कहा था- 'अब महात्मा गांधी हमारे बीच नहीं रहे. जवाहरलाल नेहरू ही हमारे नेता हैं. बापू ने उन्हें खुद का उत्तराधिकारी नियुक्त किया था, इसकी घोषणा भी की. अब बापू के सिपाहियों का कर्तव्य है कि वे उनके निर्देश की पालना करें. मैं गैर-वफादार सिपाही नहीं हूं.'

ये भी पढ़ें- नेहरू की उत्तराधिकारी तो इंदिरा बनीं, लेकिन सरदार पटेल की बेटी का क्या हुआ?

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़