नई दिल्ली. चीन वाकई खलनायक है और इस सत्य को दुनिया भली-भांति जान गई है. अपने आप को ड्रैगन कहने वाला चीन ड्रैगन तो नही लेकिन एक जहरीला सांप जरूर है जो अपने सभी पड़ौसियों के खिलाफ जहर पालता है और कई तरह से उनके विरुद्ध विष-वमन भी करता रहता है. इसी नकली ड्रैगन ने अपनी कल्पनाओं में एक नकली पंजा भी तैयार किया है जिसे हकीकत के धरातल पर उतारने की उसकी जहरीली कोशिशें लगातार जारी हैं.
कैसे बना चीनी पंजा
जिस दौरान चीन ने तिब्बत पर कब्जा जमाया उस दौरान माओ जेडांग ने इस चीनी पंजे की परिकल्पना को जन्म दिया ता. तब माओ ने कहा था कि अभी तो चीन ने हथेली पर कब्जा किया है अब उसे पांच उंगलियों का शिकंजा भी कसना होगा. माओ के अनुसार इन पांच में से पहली उंगली उत्तरी भारत और चीन के पश्चिमी भाग की दिशा में संकेत करती है.
पांच उंगलियां इस चीनी पंजे की
चीनी पंजा और उसका शिकंजा भारत की लद्दाख सीमा पर हुई चीन की नापाक हरकत के केन्द्र बिन्दु हैं. पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का पहला अध्यक्ष माओ त्से तुंग चीन के पश्चिमी हिस्से की तरफ फैले इलाकों पर कब्जे के मन्सूबे पाले हुए था और उसी जहरीली नीयत से उसने उन इलाकों पर कब्ज़ा करने की योजना भी बनाई थी जिसे हम 'चीनी पंजे' के रूप में समझ सकते हैं.
भारत की तरफ हैं चीनी पंजे की उंगलियां
खूनी पंजा कहलें या चीनी पंजा - इसकी तीन उंगलियां ते सीधे-सीधे भारत की दिशा में उठी हुई हैं और ज्यादा चिन्तनीय बात ये है कि शेष दो उंगलियां भी अपरोक्ष रूप से भारत के लिये चिन्ता का सबब बनी हुई हैं. विस्तारवादी चीन ने जहां तिब्बत को हथेली माना तो उसकी बाकी पांच उंगलियां लद्दाख, नेपाल, भूटान, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के रूप में समझी जाती हैं. और यही वो इलाके हैं जिनको हड़पने के लिये चीन लार टपकाता रहता है.
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