क्या Tanishq ने यह मान लिया कि उससे गलती हुई थी?

त्योहारों की आमद के साथ ही टाटा के स्वामित्व वाली आभूषण कंपनी तनिष्क लेकर आई थी आभूषणों की अपनी नई रेंज, नाम दिया था एकत्वं. इसके लिए कंपनी का विज्ञापन वीडियो लोगों के निशाने पर आ गया और तनिष्क ने अपना यही वीडियो Youtube से हटा लिया है. 

Written by - Vikas Porwal | Last Updated : Oct 13, 2020, 05:00 PM IST
    • विरोध के बाद तनिष्क ने अपना प्रचार वीडियो हटा लिया है
    • वीडियो हटाने के बाद तनिष्क की मंशा संदेहास्पद!
क्या Tanishq ने यह  मान लिया कि उससे गलती हुई थी?

नई दिल्लीः ट्विटर की रंगीली-भड़की दुनिया में सोमवार शाम से एक ट्रेंड चलता दिखा. Tanishq  माफी मांग, और बॉयकॉट Tanishq. इधर दिल्ली में प्रदूषण बढ़ना शुरू हुआ और दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर एक बार फिर से धार्मिक-सामाजिक टीका-टिप्पणियों का दौर चलने लगा.

तनिष्क के एक विज्ञापन से धर्म खतरे में आ गया और जैसे ही मामला बढ़ा, Tanishq ने अपने पांव पीछे खींच लिए. Youtube से विज्ञापन डिलीट कर दिया है. 

मामला क्या है, तफसील से जानते हैं. 

कोरोना वायरस के बीच माहौल त्योहारी होने वाला है, दशहरा-करवाचौथ, दीपावली जैसे बड़े त्योहार आने वाले हैं. इनकी आमद के साथ ही टाटा के स्वामित्व वाली आभूषण कंपनी Tanishq लेकर आई थी आभूषणों की अपनी नई रेंज नाम दिया था एकत्वं. इसके प्रचार में कंपनी ने एक विज्ञापन Youtube पर जारी किया. इसमें एक मुस्लिम परिवार के घर गोदभराई है. बहू हिंदू परिवार से आई है. इतनी तैयारी चमक-दमक देखकर हैरान है. 


अब उस बहू और सास के बीच की बातचीत सुनिए,  
बहू- ये रस्म तो आपके घर में नहीं होती है न मां?
सास – पर बिटिया को खुश रखने की रस्म तो हर घर में होती है न. 

लोगों ने पूछा, मुस्लिम फैमिली में हिंदू बहू क्यों?
इतना देख-सुनकर एक बारगी आपको लगता,  वाह क्या बात कही है. गजब, दिल जीत लिया. बेहतरीन. तमाम-तमाम सुंदर विशेषणों से आप इस विज्ञापन को नवाज देंगे. लेकिन ठहरिए, अगले ही पल आप सोच सकते हैं कि क्या वाकई यह उसी समाज की बात कर रहे हैं, जहां हम-आप रहे हैं.

जहां की सच्चाई तो कुछ और ही है. खैर.. इस विज्ञापन के सामने आते ही लोगों ने इसे अतिकाल्पनिक कहना शुरू कर दिया, साथ ही लव जिहाद का भी एक प्रारूप बता दिया. लोगों ने यह भी कहा कि मुस्लिम फैमिली में हिंदू बहू ही क्यों, हिंदू फैमिली में मुस्लिम बहू क्यों नहीं. 

twitrer user ने बताया काल्पनिक एकता
लोगों की सोच, डर अपनी-अपनी जगह हैं. सबके पास अपनी बात को सही साबित करने के अपने तर्क और कारण हैं.  ट्विटर यूजर ने इस विज्ञापन के विरोध में तर्क दिया और महज हफ्ते भर पहले ही दिल्ली में हुए हत्याकांड का उदाहरण दिया. जहां राहुल राजपूत की हत्या इसलिए कर दी जाती है, क्योंकि वह दूसरे धर्म की लड़की से प्रेम करता था.

लोगों का कहना है कि जो समाज अपनी सोच के कारण दूसरे धर्म के लड़के को बर्दाश्त नहीं कर सकता तो वह उसी धर्म की लड़की को अपने बीच क्या ही स्वीकार करेगा. यूजर ने कहा यह महज काल्पनिकता है. इसके साथ ही लोगों ने कश्मीरी पंडितो के साथ हुए अत्याचार को भी याद दिलाया और कहा यह कैसा ONENESS है. 

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कांग्रेस नेता शशि थरूर ने यह कहा था
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर भी सामने आ गए. तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने कहा, 'तो हिंदुत्व के कट्टर लोगों ने तनिष्क ज्वैलरी का बहिष्कार करने का आह्वान किया है क्योंकि उन्होंने खूबसूरत विज्ञापन के जरिए हिंदू-मुस्लिम एकता को उजागर किया.

' थरूर ने कहा- 'अगर हिंदू-मुस्लिम 'एकत्वम' (एकता) उन्हें बहुत परेशान करती है, तो वे दुनिया में सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक-भारत का बहिष्कार क्यों नहीं करते हैं?'

लेकिन तनिष्क ने अपने कदम पीछे क्यों खींच लिए?
मामला इस तरह जोर-शोर से उठने के बाद तनिष्क ने अपने पांव पीछे खींच लिए हैं. ट्विटर -सोशल मीडिया पर बॉयकॉट ट्रेंड चलने के बाद एकत्वं नाम से जारी आभूषणों की रेंज के इस विज्ञापन को Tanishq ने Youtube से हटा लिया है. Tanishq ने ऐसा क्यों किया यह समझ से परे है.

कंपनी द्वारा विज्ञापन हटाए जाने पर बॉलीवुड निर्देशक ओनीर ने ट्वीट कर खेद जताया है. उन्होंने लिखा कि का यह  बेहद निराशा जनक रहा. "हम निराश हैं... बहुत दुख की बात है."

क्या तनिष्क ने वाकई इसे गलती माना?
अब सवाल उठता है कि Tanishq ने विज्ञापन हटा लेने जैसा फैसला क्यों किया. विज्ञापन के मुताबिक, कंपनी तो केवल एक सुखद मंशा के साथ एक सौहार्दपूर्ण समाज के लिए विज्ञापन दिखा रही थी. ऐसे में अगर उनकी मंशा ठीक थी और  वे पूरी तरह सही थे तो आलोचना के बाद भी मार्केट में डटकर खड़े रहे सकते थे.

एक उचित जवाब देकर आलोचकों का मुंह बंद भी कर सकते थे. या फिर सांच को आंच नहीं कहावत को सही साबित करते हुए चुपचाप भी रह सकते थे. लेकिन जरा सी विरोधी हवा चलते ही उल्टे पांव भाग लेना यह कदम तनिष्क की मंशा को संदेह के घेरे में ला रहा है. 

जोमेटो का उदाहरण लिया जा सकता है
Tanishq प्रकरण पर फूड डिलीवरी कंपनी Zomato के प्रकरण की याद आती है. कुछ वक्त पीछे चलें तो Zomato भी इसी तरह के धार्मिक मसले में पड़ा था. जहां किसी गैर हिंदू के डिलीवरी ब्वॉय के कारण एक ग्राहक ने ऑर्डर कैंसिल किया था. ग्राहक ने लिखा था कि ‘मैंने जोमैटो से एक ऑर्डर कैंसल किया.

उन्होंने मेरा खाना गैर-हिन्दू व्यक्ति के हाथ भेजा और कहा कि वे इसे न तो बदल सकते हैं और न ही आर्डर कैंसल करने पर पैसा वापस कर सकते हैं. मैंने कहा कि आप मुझे खाना लेने के लिये बाध्य नहीं कर सकते हैं. मुझे पैसा वापस नहीं चाहिये, बस ऑर्डर कैंसल करो.’’ 

इस पर जोमैटो ने इस ट्वीट के जवाब में लिखा, ‘‘खाने का कोई धर्म नहीं होता है. खाना खुद ही एक धर्म है.’’ कंपनी इस रुख पर टिकी रही और डिलिवरी ब्वॉय बदलने से मना कर दिया.  सवाल है कि क्या तनिष्क भी इसी तरह अपने रुख पर (अगर कंपनी सही थी तो) अडिग नहीं रह सकता था. 

फिल्में-विज्ञापन समाज का आइना
फिल्में-किताबें-साहित्य समाज का आईना होते हैं. बदलाव लाने की एक सहज जिम्मेदारी भी इन पर होती है और इसकी मंजिल विरोध भरे रास्तों से ही होकर जाती है. सही मंशा हो तो विरोध के बावजूद सफलता मिलती है और कदम पीछे नहीं हटाने पड़ते, लेकिन बॉयकॉट तनिष्क के ट्रेंड से डरकर अपना विज्ञापन हटा लेने वाले तनिष्क का असल मकसद क्या था और भी उलझ गया है. 

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