नई दिल्ली. ये कहा गया है पकिस्तान में कि कोरोना को अगर भगाना है तो चरस पीनी होगी. इसके लिए बाकायदा अदालत में अपील की गई है और निवेदन किया गया है कि पाकिस्तान के लोगों को चरस पीने की इजाजत दी जाए ताकि जनता कोरोना को भगाये. अब देखना ये है कि कोरोना और चरस की जंग में जीतता कौन है.
'दस ग्राम चरस पीने दी जाए'
पकिस्तान कोरोना को लेकर कितना गंभीर है इसकी मिसाल मिलती है इस खबर से. पाकिस्तानी कोर्ट में अपील की गई है कि अगर कोरोना वायरस का इलाज करना है तो सरकार को 10 ग्राम चरस पीने और उतनी ही चरस पास रखने की इजाज़त भी दी जाए. दूसरे शब्दों में कहें तो कोरोना से बचाने और चरस को बचाने के लिए अदालत से दरख्वास्त की गई है कि चरस को कानूनी मान्यता दे दी जाए.
अपील हुई खारिज तो गए बड़े कोर्ट में
इस अजीबोगरीब अपील पर गौर करने से पहले ही अदालत ने चरस को मान्यता देने की इजाज़त देने की अपील खारिज कर दी है. याचिकाकर्ता गुलाम असगर सेन की इस याचिका पर सिंध हाईकोर्ट ने ऐतराज जताया और उसे कड़ी फटकार लगाई. इससे भड़क कर याचिकाकर्ता ने बड़ी अदालत में जाकर अपील करने का फैसला किया है. पाकिस्तान के इस समझदार होशियार याचिकाकर्ता ने दावा किया है जिस पर WHO को गौर करना चाहिए कि चरस पीने से कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है.
दिया सर्वे का हवाला
चरस खा कर निकला होगा ये याचिकाकर्ता क्योंकि वो लगातार चरस को कानूनी मान्यता दिलाने पर अदा हुआ है. चरस से कोरोना वायरस भाग जाता है - अपने इस दावे के समर्थन में उसने कई देशों में हुए वैज्ञानिक सर्वे का भी हवाला दिया है. हालांकि सच तो ये है कि अभी तक किसी भी शोध में किसी भी देश यह सिद्ध नहीं हो सका है कि चरस पीने से कोरोना वायरस का इलाज संभव है.