देहरादून: उत्तराखंड में मौसम को लेकर रेड अलर्ट है. उत्तराखंड मौसम विभाग ने कल से कुमाऊं के पहाड़ी जनपदों में भारी वर्षा का अनुमान बताया गया है, जिसको लेकर मौसम विभाग ने पूरे प्रदेश में रेड अलर्ट जारी कर दिया है. साथ ही सभी से सतर्क रहने की हिदायत भी दी है. मौसम अलर्ट को देखते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी विभागों को अलर्ट पर रखते हुए जरूरी दिशा निर्देश जारी किए हैं.
बता दें कि मौसम विभाग ने 18 जुलाई से राज्य में एक बार फिर बारिश में तेजी आने का अनुमान लगाया है. नैनीताल, चंपावत, बागेश्वर, पिथौरागढ़ जिलों में कहीं-कहीं भारी बारिश हो सकती है. इन जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी हुआ है. मौसम विभाग के मुताबिक राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में कुमाऊं मंडल के अधिकांश स्थान व गढ़वाल मंडल में कहीं-कहीं हल्की से मध्यम बारिश, कहीं कहीं भारी से भारी बारिश हो सकती है. इसलिए मौसम विभाग ने यहां रेड अलर्ट जारी किया है.
कंट्रोल रूम हर समय रहें सक्रिय
मौसम विभाग की रेड अलर्ट की चेतावनी के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गढ़वाल और कुमाऊं के कमिश्नर के अलावा सभी जनपदों के जिलाधिकारियों को आपदा से संबंधित किसी भी चुनौती से निपटने के लिए हर समय तैयार रहने के निर्देश दिये हैं. मुख्यमंत्री ने कहा है कि आपदा प्रबंधन की ²ष्टि से हर स्तर पर सतर्कता बरती जाए. इस संबंध में सभी विभागों को आपसी समन्वय से कार्य करने के भी निर्देश दिये हैं.
सभी डेंजर पॉइंट पर जीओ टैगिंग के साथ जेसीबी तैनात, एसडीआरएफ भी अलर्ट
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की ²ष्टि से जीओ टैगिंग के साथ तैनात जेसीबी को हर समय तैयार रखा जाए. आपदा से संभावित स्थलों पर इनकी पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए, ताकि बंद रास्तों को तुरंत खोला जा सके. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने कहा कि एसडीआरएफ एवं एनडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं. किसी भी आपदा की स्थिति में कम से कम रिस्पांस टाइम में बचाव व राहत कार्य संचालित हों. बारिश या भूस्खलन से सड़क, बिजली, पानी की आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में कम से कम समय में आपूर्ति सुचारू की जाए.
लोगों से अपील, नदी-नालों से दूर रहें
मुख्यमंत्री ने पर्यटकों और जनसामान्य से भी अपील की है कि भारी बारिश की सम्भावना को देखते हुए नदियों एवं बरसाती नालों की तरफ न जाएं. अत्यधिक वर्षा की संभावना को देखते हुए पर्वतीय जनपदों में 69 खाद्यान्न गोदाम चिन्हित हैं, जिनमें सड़क मार्ग के बंद होने की सम्भावना होती है. ऐसे समस्त 69 खाद्यान्न गोदामों में वषार्काल हेतु 03 माह ( जून, जुलाई और अगस्त) के अग्रिम खाद्यान्न का प्रेषण किया जा चुका है.
विभिन्न मार्गों पर जेसीबी तैनात
लोक निर्माण विभाग द्वारा मानसून काल में संचालित मार्गों के बंद होने की स्थिति में खोलने के लिए विभिन्न मार्गों पर कुल 396 मशीनों (जेसीबी और पोकलैंड) की तैनाती की गई है.
नदियों के जलस्तर की लगातार मॉनिटरिंग
सिंचाई विभाग द्वारा प्रत्येक जनपद में बाढ़ नियंत्रण कक्ष और देहरादून में केंद्रीय बाढ़ नियंत्रण केंद्र की स्थापना की गयी है. 23 स्थानों पर नदियां और 14 स्थानों पर बैराज / डैम पर जलस्तर और डिस्चार्ज की निगरानी की जा रही है. सिंचाई विभाग द्वारा विभिन्न जिलों में 113 राजस्व बाढ़ चौकियां स्थापित की गयी हैं.
पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था: उत्तराखंड जल संस्थान ने कंट्रोल रूम स्थापित कर दिया है. दैवीय आपदा से संबंधित क्षति को देखते हुए पेयजल योजनाओं के तत्काल पुनस्र्थापना के लिए 86.31 किमी जीआई पाईप और 110.62 किमी एचडीपीई पाईप यानी कुल 196.93 किमी पाइप शाखाओं में बफर के रूप में उपलब्ध करा दिये गये हैं. आपदा की स्थिति में विभिन्न शाखाओं में पेयजल उपलब्ध कराये जाने के लिए 71 विभागीय टैंकर उपलब्ध हैं, साथ ही किराये के 219 पेयजल टैंकर चिन्हित हैं.
सभी जिलों में निर्बाध बिजली आपूर्ति होगी
उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड ने सभी जिलों में निर्बाध विद्युत् आपूर्ति करने की व्यवस्था की है. हर जिले में स्थापित स्टोर सेंटर पर विद्युत सामग्री प्रचुर मात्रा में उपलबध है. ऋषिकेश में गढ़वाल क्षेत्र का मुख्य स्टोर है. हल्द्वानी में कुमाऊं क्षेत्र का मुख्य स्टोर है, जहां पर समस्त सामग्री पहुंचाई जा चुकी है. गढ़वाल और कुमाऊं मंडल को मिलाकर स्टोर्स की संख्या 17 है, जिसमें ट्रांसफार्मर की संख्या 796, पोल्स की संख्या 8,650 और 3,769 किलोमीटर का कंडक्टर दोनों गढ़वाल और कुमाऊं मंडल को मिलाकर उपलब्ध है. इसके अतिरिक्त अन्य आवश्यक सामान भी उपलब्ध कराये गए हैं.
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग उत्तराखंड ने सभी जिलों में 24 घंटे चिकित्सा उपचार करने की पूरी व्यवस्था की गई है. हर जिले में स्थापित सभी चिकित्सालयों में डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, दवाइयां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. 108 एम्बुलेंस हर जिले में तैनात हैं. इसके साथ ही हर जिला / जिला मुख्यालय में नोडल एवं सह नोडल अधिकारी तैनात हैं.
एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें भी तैनात: 15वीं वाहिनी, एनडीआरएफ को आपदा से निपटने के लिए जिला उधम सिंह नगर के गदरपुर में स्थापित किया गया है. 15वीं वाहिनी एनडीआरएफ ने अति संवेदनशील और संवेदनशील क्षेत्रों को देखते हुए 06 टीमों को अलग अलग जिलों (अल्मोड़ा, पिथौरागढ, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग (केदारनाथ) एवं आरआरसी झाझरा (देहरादून) में समस्त साजो सामान के साथ तैनात किया है.
एसडीआरएफ के पास सैटेलाइट फोन मौजूद
आपदा के ²ष्टिगत दुर्गम स्थलों में दूरसंचार व्यवस्था सुचारू बनाए रखने हेतु एसडीआरएफ द्वारा उपलब्ध कराए गए सैटेलाइट फोन को भी सुचारू रखने हेतु संबंधित प्रभागीय वन अधिकारियों को निर्देश निर्गत कर दिए गए हैं. मॉनसून के दौरान पेड उखड़ने/गिरने की घटनाओं में वृद्धि हो जाती है. कई बार मार्ग बाधित हो जाते हैं, ऐसी घटनाओं की सूचना प्राप्त होते ही संबंधित वन क्षेत्राधिकारियों को सूचित करते हुए तुरन्त कार्रवाई की जा रही है.
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