Dharamshala: CM सुक्खू ने 225 करोड़ की लागत से बनने वाले मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट की रखी आधारशीला
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Dharamshala: CM सुक्खू ने 225 करोड़ की लागत से बनने वाले मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट की रखी आधारशीला

Himachal: अत्याधुनिक मिल्क प्लांट दूध, टोंड दूध, डबल टोंड दूध, फ्लेवर्ड दूध, दही, पनीर, लस्सी, खोआ और मोजरेला पनीर सहित मूल्यवर्धित डेयरी उत्पादों का उत्पादन करेगी.

 

Dharamshala: CM सुक्खू ने 225 करोड़ की लागत से बनने वाले मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट की रखी आधारशीला

Himachal Pradesh: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज धर्मशाला के ढगवार में 225 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले अत्याधुनिक मिल्क प्लांट की आधारशीला रखी. साथ ही इसे अगले साल इस समय तक इसे मुकम्मल करने के भी साथ के साथ अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी कर दिए. मुख्यमंत्री ने इस दौरान मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने ढगवार में 1.5 लाख लीटर प्रतिदिन (एलएलपीडी) की प्रारंभिक क्षमता वाला एक स्वचालित दूध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित कर रही है जिसे 3 लाख लीटर प्रतिदिन (एलएलपीडी) तक बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि ढगवार में बनने जा रहे मिल्क प्लांट से दूध उत्पादकों और पशु पालकों के दिन बहुरेंगे.

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस संयंत्र के लिए दूध की खरीद प्रमुखतः चार जिलों कांगड़ा, ऊना, चंबा और हमीरपुर पर केंद्रित होगी, जिससे लगभग आधा हिमाचल प्रत्यक्ष रूप से लाभांवित होगा. दूध के संग्रहण के लिए जिला कांगड़ा सहित अन्य जिलों में भी सहकारी समितियों के गठन पर जोर दिया जायेगा. इस पहल से आजीविका के नए अवसर पैदा होने के साथ डेयरी फार्मिंग की लाभप्रदता में सुधार होगा और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा. उन्होंने बताया कि इस प्लांट के बनने से स्थानीय डेयरी किसानों के बीच व्यापक भागीदारी और समावेशिता सुनिश्चित होगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अत्याधुनिक सुविधा दूध, टोंड दूध, डबल टोंड दूध, फ्लेवर्ड दूध, दही, पनीर, लस्सी, खोआ और मोजरेला पनीर सहित मूल्यवर्धित डेयरी उत्पादों का उत्पादन करेगी. ढगवार स्थित दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र के स्तरोन्नयन से इन क्षेत्रों में दूध की खरीद, प्रसंस्करण और विपणन प्रणाली भी सुदृढ़ होगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि दूध उत्पादन के व्यवसाय को लाभप्रद बनाने के लिए हमने ‘हिम गंगा’ योजना की घोषणा की है जिसका उद्देश्य राज्य में दूध आधारित अर्थव्यवस्था विकसित करना है. उन्होंने बताया कि इस संयंत्र का उद्देश्य हिमाचल प्रदेश के पशुपालकों को उनके दूध के लिए एक विश्वसनीय बाजार प्रदान करके सीधे लाभ पहुंचाना है. उच्च गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पादों के उत्पादन के माध्यम से दूध के मूल्य को बढ़ाकर, यह संयंत्र पशुपालकों की आय को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. उन्होंने कहा कि हिमाचल पहला ऐसा प्रदेश बन गया है जिसने गाय के दूध पर 45 रुपए MSP जबकि भैंस के दूध पर 55 रुपए MSP तय किया है जिसका सीधा लाभ ग्रामीणों को होगा.

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