Himachal Monsoon Session in Hindi: हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन भी सदन में हंगामा हुआ. विपक्ष सदन से उठकर बाहर चले गए.
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Himachal Monsoon Session News: हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के जवाब पर विपक्ष भड़क गया. BJP विधायकों ने पहले सदन में हंगामा किया और सदन से उठकर बाहर चले गए. स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि विपक्ष का सदन से बाहर जान गैर जरूरी है.
दरअसल, BJP विधायक रणधीर शर्मा ने सदन में PWD और जल शक्ति विभाग की पेमेंट में कट लगाने से जुड़ा सवाल पूछा था. उन्होंने अनुपूरक सवाल करते हुए सरकार पर जानकारी छिपाने का आरोप लगाया. जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी ठेकेदार की पेमेंट नहीं रोकी गई.
इस पर रणधीर शर्मा पहले दो बार अनुपूरक सवाल पूछ चुके थे. दोनों बार CM जवाब दे चुके थे और जब तीसरी बार वह जवाब देने जा रहे थे तो नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकर ने अनपरक सवाल किया. मुख्यमंत्री सुक्खू ने नेता प्रतिपक्ष को कंफ्यूज्ड बताया.
उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार की अंतिम तिमाही का PWD का 171 करोड़, जल शक्ति विभाग का 143 करोड़ खर्च नहीं हो पाया. इसका मतलब यह नहीं कि खत्म हो गया. उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार तिजोरी खाली करके गई. इसलिए व्यवस्था सुधारने में वक्त लग रहा है. विपक्ष को इस तरह चर्चा से नहीं भागना चाहिए.
सदन से बाहर जाने के बाद जयराम ठाकुर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सदन को गुमराह किया जा रहा है और गलत तथ्य पेश किए जा रहे हैं. PWD और IPH को आवंटित बजट वापस लिया जा रहा है. इससे ठेकेदारों को पेमेंट नहीं मिल पा रही.
इस पर मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि क्या सीट पर स्प्रिंग लगे हैं. इस पर विपक्ष भड़क गया. इससे पहले रणधीर शर्मा ने कहा कि सरकार जानकारी छिपा रही है. वित्त वर्ष 2021-22 का सरकार ने PWD और जल शक्ति विभाग का बजट रोका है. दोनों विभाग ठेकेदारों की पेमेंट नहीं दे पा रहे. इससे ठेकेदार भी अपने मजदूर को दिहाड़ी नहीं दे पा रहे.
वहीं, डिप्टी CM मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि भाजपा में लीडरशिप का क्राइसिज पैदा हो गया है. मुख्यमंत्री पर झूठी सूचना देने का आरोप लगाना असंसदीय है. उन्होंने विपक्ष के व्यवहार की निंदा की. वहीं, सरकार ने सदन में हिमाचल की वित्तीय स्थिति पर व्हाइट पेपर रखा.
हिमाचल की वित्तीय स्थिति पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि 12 मई 2003 पर उप समिति का गठन किया गया था. भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल सबसे अधिक कर्ज लेने वालों में 5वें स्थान पर है. पूर्व भाजपा सरकार ने पिछले पांच साल में वित्तीय प्रबंधन को कोई कदम नहीं उठाए. 92 हजार 774 करोड़ की प्रत्यक्ष देनदारियां मिली. 76 हजार 631 करोड़ का कर्ज है. 16 हजार 261 करोड़ रुपए का उधार आखिरी वर्ष में लिया. 10 हजार 600 करोड़ रुपए कर्मचारियों को डीए और सैलेरी का खड़ा कर दिया गया. पूर्व सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति की कमर तोड़ दी गई. 2023 और 24 के बजट में 9 हजार 48 करोड़ रुपए पिछले कर्ज को चुकाने और ब्याज के लिए चाहिए. 47 हजार 902 करोड़ रुपए उससे पहले था जब जयराम सरकार ने सत्ता संभाली थी. राज्य में हर व्यक्ति पर 1 लाख 2 हजार 818 रुपए का कर्जा है. पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग 5 हजार करोड़ रुपए के घाटे में है. सरकारी खर्च पर चुनाव जीतने का आरोप है. अमृत महोत्सव पर 7 करोड़ रुपए खर्च किए गए. 8.50 करोड़ रुपए HRTC का देना है जो पूर्व सरकार द्वारा कार्यक्रम में बसें लगाई गई.
वहीं, इन सब के बीच सदन में हंगामा शुरू हो गया. विपक्ष के सदस्य अपनी सीटों पर खड़े हुए. नेता प्रतिपक्ष का कहना कि सरकार कार्यक्रमों के लिए बसें लगाई गई थी
राहुल गांधी के कार्यक्रम को लगाई बसों का बिल अभी तक चुकता नहीं किया गया है.