Himachal Pradesh Pollution News: हाल ही में दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ गया था. हर ओर धुआं ही धुआं नजर आ रहा था. वहीं पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ रहा है.
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विपन कुमार/धर्मशाला: पहाड़ी राज्य हिमाचल में एयर पॉल्यूशन का सबसे बड़ा कारण व्हीकल की बढ़ती संख्या है. यह खुलासा स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा करवाई गई स्टडी में हुआ है. प्रदेश में वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इससे डस्ट पॉल्यूशन भी बढ़ रहा है. साल-दर-साल वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह से वायु के साथ डस्ट पॉल्यूशन भी बढ़ रहा है.
विशेषज्ञों की मानें तो एयर पॉल्यूशन के कई फैक्टर हैं, लेकिन व्हीकल और डस्ट पॉल्यूशन इसमें प्रमुख हैं. हालांकि प्रदेश में व्हीकल की संख्या तो बढ़ ही रही है, लेकिन सड़कों की लंबाई और चौड़ाई अधिकतर स्थानों पर पहले जैसी ही है. वहीं पहले एक किलोमीटर एरिया में जहां सौ वाहन होते थे, उसी एरिया में वाहनों की संख्या बढ़कर एक हजार हो गई है.
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दूसरी बड़ी बात की यहां जब भी जाम लगता है तो लोग वाहनों को बंद करने की बजाय उन्हें स्टार्ट ही रखते हैं. ऐसे में बढ़ते वाहनों के कारण भी एयर पॉल्यूशन बढ़ रहा है. हालांकि अब सरकारों ने ई-व्हीकल की ओर कदम बढ़ा दिया है, लेकिन वर्तमान में चल रहे पेट्रोल और डीजल वाहनों को एकदम से बाहर नहीं किया जा सकता है. ऐसे में सरकार के ई-व्हीकल प्रोजेक्ट को लेकर किए जा रहे प्रयासों के भविष्य में सार्थक परिणाम सामने आ सकते हैं.
विशेषज्ञों की मानें तो जाम में भी लोग गाडियां बंद न करके, स्टार्ट रखते हैं, जिससे वाहनों का प्रदूषण, वातावरण में रहता है. वाहनों के चलते समय सड़कों के किनारे की धूल-मिटटी भी उड़ती है. प्रदेश में वायु प्रदूषण के दो बड़े कारण हैं, जिसमें एक वाहन प्रदूषण और दूसरा सड़क किनारे की मिट्टी हवा या गाडियों के स्टार्ट रहने की वजह से उड़ती है. प्रदेश के प्रमुख जिलों में यही दो कारण वायु प्रदूषण के प्रमुख हैं. औद्योगिक एरिया बद्दी, बरोटीबाला, नालागढ़, कालाअंब और पांवटा साहिब में भी डस्ट पॉल्यूशन ज्यादा रहता है.
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जानकार बताते हैं कि केंद्र सरकार के निर्णय अनुसार, डीजल वाहनों को कटऑफ किया जा रहा है. डीजल वाहनों का रजिस्ट्रेशन भी अब 15 साल से ऊपर नहीं रहेगा. इसके साथ ही अब सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर मूव कर रही है. पुरानी बसों को भी हटाया जा रहा है. ई-व्हीकल के चलते पॉल्यूशन लेवल में कमी आने की पूरी संभावना है.
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड धर्मशाला के सीनियर साइंटिफिक ऑफिसर संजीव शर्मा बताते हैं कि पॉल्यूशन बोर्ड द्वारा करवाई गई स्टडी में यह सामने आया है कि प्रदेश में वायु प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा रिस्पॉन्सिबल वाहनों का प्रदूषण है. इसके साथ ही वायु प्रदूषण का दूसरा कारण सड़क किनारे गाडियों के चलते रहने की वजह से उड़ती धूल है जो वातावरण में ही रहती है.
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