ऐसे पेड़ों को काटने के लिए प्रशासन और निगम ने विशेष अभियान चलाया था, लेकिन फिलहाल काम धीमा पड़ गया है. 2017 में, यूटी प्रशासन और नगर निगम दोनों ने अपने-अपने इलाके में पेड़ों का सर्वे किया, जो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए.
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गुरप्रीत सिंह/चंडीगढ़: शहर में जैसे-जैसे मृत पेड़ों की संख्या बढ़ती जा रही है. पेड़ों का अस्तित्व खतरे में है. वहीं, पेड़ मानव जीवन के लिए खतरा बना हुआ है. इनके गिरने से बड़ा हादसा हो सकता है. प्रशासन और निगम दोनों ही इन पेड़ों के प्रति गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं, इसलिए इस तरह के हादसों को और भी न्यौता दिया जा रहा है.
गौरतलब है कि प्रशासन और निगम ने ऐसे पेड़ों को काटने के लिए विशेष अभियान चलाया था लेकिन वर्तमान में काम धीमा हो गया है. 2017 में, यूटी प्रशासन और नगर निगम दोनों ने अपने-अपने इलाके में पेड़ों का सर्वे किया, जो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए.
निगम के सर्वे में 1037 सूखे और 258 खतरनाक पेड़ सामने आए. इनमें से ज्यादातर पेड़ स्कूलों के गलियारों में हैं। वहीं प्रशासन के सर्वे में 615 सूखे पेड़ सामने आए हैं.
हेरिटेज ट्री का मामला भी गया हाईकोर्ट
चंडीगढ़ में हेरिटेज ट्री के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया है कि चंडीगढ़ में विरासत के कारण काटे नहीं जा रहे हेरिटेज पेड़ों की हालत खराब हो गई है और कभी भी गिर सकते हैं और दुर्घटना का कारण बन सकते हैं.
याचिका में कहा गया है कि विरासती पेड़ों की पहचान कर कमजोरों को काटा जाए. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने वन विभाग और प्रशासन को चंडीगढ़ में हेरिटेज पेड़ों की सूची तैयार करने को कहा था. कोरोना काल के कारण मामले की सुनवाई नहीं हो सकी. अदालत के दोबारा खुलने के बाद अब लंबित मामलों की सुनवाई होनी है.