कहा जाता है कि मुरलीधर को छप्पन भोग में ऐसे खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाता है जिन्हें वर्षाकाल में खाना निषेध माना जाता है. भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा यानी जन्माष्टमी के अवसर पर खासकर उन्हें 56 व्यंजनों का भोग लगाए जाते हैं.
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चंडीगढ़- अक्सर सवाल यह उठता है कि भगवान को 56 व्यंजनों का भोग ही क्यों लगाया जाता है और इन 56 व्यंजनों में कौन-कौन सी चीजें शामिल होती हैं.
भगवान कृष्ण को छप्पन भोग (Chappan Bhog) लगाने की परंपरा रही है. भगवान के इस भोग को अन्नकूट भी कहा जाता है.
कहा जाता है कि मुरलीधर को छप्पन भोग में ऐसे खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाता है जिन्हें वर्षाकाल में खाना निषेध माना जाता है. भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा यानी जन्माष्टमी के अवसर पर खासकर उन्हें 56 व्यंजनों का भोग लगाए जाते हैं.
छप्पन भोग को लेकर पुराणों में कई कथाएं प्रचलित हैं. आइए जानते हैं कि आखिर भगवान को 56 भोग लगाने के पीछे कौन सी कहानी हैं और क्या होते हैं 56 भोग.....
भगवान श्रीकृष्ण के 56 भोग का नाम
1. भक्त (भात),2. सूप (दाल),3. प्रलेह (चटनी),4. सदिका (कढ़ी),5. दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी),6. सिखरिणी (सिखरन),7. अवलेह (शरबत),8. बालका (बाटी), 9. इक्षु खेरिणी (मुरब्बा),10. त्रिकोण (शर्करा युक्त),11. बटक (बड़ा),12. मधु शीर्षक (मठरी),13. फेणिका (फेनी),14. परिष्टाश्च (पूरी),15. शतपत्र (खजला),16. सधिद्रक (घेवर)17. चक्राम (मालपुआ),18. चिल्डिका (चोला),19. सुधाकुंडलिका (जलेबी),20. धृतपूर (मेसू),21. वायुपूर (रसगुल्ला),22. चन्द्रकला (पगी हुई),23. दधि (महारायता),24. स्थूली (थूली)25. कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी), 26. खंड मंडल (खुरमा), 27. गोधूम (दलिया), 28. परिखा, 29. सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त), 30. दधिरूप (बिलसारू), 31. मोदक (लड्डू), 32. शाक (साग) 33. सौधान (अधानौ अचार), 34. मंडका (मोठ), 35. पायस (खीर) 36. दधि (दही), 37. गोघृत, 38. हैयंगपीनम (मक्खन), 39. मंडूरी (मलाई), 40. कूपिका 41. पर्पट (पापड़), 42. शक्तिका (सीरा), 43. लसिका (लस्सी), 44. सुवत, 45. संघाय (मोहन), 46. सुफला (सुपारी), 47. सिता (इलायची), 48. फल, 49. तांबूल, 50. मोहन भोग, 51. लवण, 52. कषाय, 53. मधुर, 54. तिक्त, 55. कटु, 56. अम्ल.
छप्पन भोग की कहानी..
इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था तब उन्हें लगातार सात दिन भूखा रहना पड़ा था. इसके बाद उन्हें सात दिनों और आठ पहर के हिसाब से 56 व्यंजन खिलाए गए थे. माना जाता है तभी से ये ’56 भोग’ परंपरा की शुरुआत हुई.
छप्पन भोग की कहानी -2...
गौ लोक में श्रीकृष्ण और राधा एक दिव्य कमल पर विराजते हैं. उस कमल की तीन परतों में 56 पंखुड़ियां होती हैं. प्रत्येक पंखुड़ी पर एक प्रमुख सखी और बीच में भगवान विराजते हैं. इसलिए 56 भोग लगाया जाता है.