भारतीय सिनेमा पर प्राण जितनी अमिट छाप बहुत कम अभिनेताओं ने छोड़ी है. आज, जब हम उनकी 105वीं जयंती मना रहे हैं, तो आइए उनके प्रसिद्ध डायलॉग्स पर नज़र डालें-
Sanam Bewafa (1991)
"अंजाम उनका वही होगा जो तू चाहता है...लेकिन होगा वैसे जैसे हम चाहते हैं"
Zakhm (1973)
"जख्म देने वाला भी वही है, भरने वाला भी वही है... इंसान तो सिर्फ मरहम रगड़ सकता है"
Sharaabi (1984)
"आज की दुनिया में अगर जिंदा रहना है तो दुनिया का बटन अपने हाथ में रखना पड़ता है"
Karz (1980)
"कर्ज़ चुकाने वाले की याददाश्त अगर कमजोर हो जाती है"
Don (1978)
"जी चाहता है तुझे गंदे कीड़े की तरह मसल दूं...मगर मैं अपना हाथ गंदा करना नहीं चाहता"
Ganga Ki Saugand (1978)
"ज़ुल्म करने वाला भी पापी...ज़ुल्म सहने वाला भी पापी"
Zanjeer (1973)
“क्या इलाक़े में नये आये हो साहब? ...वरना शेर खान को कौन नहीं जानता"
Heer Ranjha (1970)
"कुचल दूंगा, मसल दूंगा, जला दूंगा, लूटा दूंगा... रुलाया मुझको किस्मत ने... मैं दुनिया को रुला दूंगा"
Upkar (1967)
"जिंदगी में सिर्फ चढ़ते की पूजा मत करना, डूबते की भी सोचना"
Karz (1980)
"मुसलमान के यहां परवरिश, हिंदुओं से दोस्ती और अंग्रेजों के शौक़ रहे हैं मेरे"