बिहार की इस मुस्लिम लड़की ने लिखी सबसे ज्यादा कविता की किताबें; 15 की उम्र में बनाया ये रिकॉर्ड
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बिहार की इस मुस्लिम लड़की ने लिखी सबसे ज्यादा कविता की किताबें; 15 की उम्र में बनाया ये रिकॉर्ड

Yusra Fatma: बिहार के जिला सीवान की बेटी और युवा कवयित्री युसरा फातमा ने 15 साल की उम्र में सबसे ज्यादा कविता की किताबें लिख कर 'ब्रावो इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में अपना नाम दर्ज कराया है. पिछले साल युसरा का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ था. 

बिहार की इस मुस्लिम लड़की ने लिखी सबसे ज्यादा कविता की किताबें; 15 की उम्र में बनाया ये रिकॉर्ड

Yusra Fatma: बिहार में कई तरह की प्रतिभाएं हैं. इसी तरह की एक प्रतिभा है 15 साल की युसरा फातमा. उन्होंने छोटी सी उम्र में ही बड़ा रिकॉर्ड अपने नाम किया है. युसरा ने 15 साल की उम्र में वह कर दिखाया है जो कई लोग अपनी पूरी जिंदगी में नहीं कर पाते हैं. युसरा ने सबसे ज्यादा कविता की किताबें लिख कर बड़ा रिकॉर्ड अपने नाम किया है. इस उपलब्धि के लिए युसरा फातिमा का नाम 'ब्रावो इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में दर्ज हो गया है. 

युसरा की किताबें
बिहार के जिला सीवान की बेटी और युवा कवयित्री युसरा फातमा की मेहनत रंग लाई है. युसरा फातमा ने पिछले साल अपना नाम 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में दर्ज कराया था. वहीं इस बार उन्होंने 15 साल की कम आयु में सबसे ज्यादा कविता की किताबें लिख कर 'ब्रावो इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में अपना नाम दर्ज कराया है. युसरा फातमा ने 8 साल की उम्र से ही कविताएं लिखनी शुरू कर दी धी. उन्होंने 12 साल से भी कम की उम्र में अपनी पहली कविता किताब 'जज्बा' को जुलाई 2019 में प्रकाशित कराया.

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जिले के लोग मना रहे हैं खुशी
युसरा फातमा का नाम 'बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में नाम दर्ज होने पर जिले और गांव में खुशी का माहौल बना हुआ है. युसरा की इस कामयाबी पर उनके परिवार, दोस्त और शिक्षकों ने उन्हें मुबारकबाद दी है. युसरा फातमा मूल रूप से सीवान के बड़हरिया प्रखंड के तेतहली गांव की रहने वाली हैं. 

युसरा की कविताएं
युसरा फातमा की कविताएं सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित हैं, जिनमें महिला सशक्तिकरण की बातें खास तौर से हैं. युसरा फातिमा की कविताओं में औरतों के हक की लड़ाई, तालीम की अहमियत और समाज में बदलाव लाने की जरूरत पर जोर दिया गया है. साल 2019 में पहली किताब छपने के बाद युसरा ने 'मेरे हिस्से की कोशिश', 'शाम और तनहाई' और 'बेरुखी' नाम की चार कविता की किताबें लिखीं. उनकी चौथी किताब 'बेरुखी' को अप्रैल 2023 में प्रकाशित हुई. इस कामयाबी के साथ, युसरा फातमा ने साबित किया है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है, प्रतिभा और लगन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है.

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