सोशल मीडिया कंपनी मेटा ने अब फेसबुक और मैसेंजर प्लेटफॉर्म पर निजी संदेशों के आदान-प्रदान के लिए ऑटोमैटिक एंड-टू-एंड इन्क्रिप्शन सुविधा शुरू कर दी है. ऑटोमैटिक एंड-टू-एंड इन्क्रिप्शन मतलब भेजे गए संदेश को केवल भेजने वाले और उन्हें रिसीव करने वाले ही देख-पढ़ सकते हैं.
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फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और मैसेंजर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का मालिकाना हक रखने वाली कंपनी मेटा अपने प्लेटफॉर्म पर यूजर्स की संख्या बढ़ाने और उनको एक्टिव रखने के लिए लगातार नए-नए फीचर ऐड करती रहती है. इसी कड़ी में अब मेटा ने कहा है कि उसने फेसबुक और मेसेंजर प्लेटफॉर्म पर पर्सनल मैसेज के आदान-प्रदान के लिए ऑटोमैटिक एंड-टू-एंड इन्क्रिप्शन सुविधा शुरू कर दी है. जिसका मतलब है कि ऐसे मैसेज केवल भेजने वाले और उन्हें रिसीव करने वाले ही देख-पढ़ सकते हैं.
हां, इसमें एक अहम बात ये भी है कि अगर कोई यूजर किसी मैसेज को रिपोर्ट करता है तो इसे कोई तीसरा भी देख सकता है. मेटा ने इस फीचर को लेकर दिए गए बयान में कहा कि हमारे इस फीचर से यूजर्स के लिए ऑनलाइन प्राइवेसी और उनकी सुरक्षा बढ़ेगी.
गौरतलब है कि अलग-अलग देश की सरकार और क़ानून लागू करने वाली कई एजेंसियां मेटा के इस इन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी का विरोध कर रही हैं. हांलाकि, मेटा ने कहा है कि इस इन्क्रिप्शन फीचर को पूरी तरह से शुरू करने में कुछ महीने लगेंगे. मेटा का कहना है कि इस्टाग्राम प्लेटफॉर्म पर भी आने वाले समय में ये नया फीचर भी दिया जाएगा.
क्या है एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन
एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के ज़रिए मैसेंजर पर भेजे गए मैसेज और कॉल को और सुरक्षित किया जाता है, ताकि मैसेज करने वाला और जिसे मैसेज किया जा रहा है सिर्फ वही मैसेज देख,पढ़ या सुन सकता है. एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड चैट के मैसेज और कॉल का कंटेंट भेजे गए डिवाइस से लेकर भेजे जाने वाले डिवाइस तक सुरक्षित रहता है. इसका मतलब है कि जो भी भेजा या कहा गया है उसे कोई भी तीसरा देख या सुन नहीं सकता है.