Azamgarh: आजमगढ़ के एक शख्स ने दुनिया का सबसे तेज कैमरे का ईजाद किया है. ये कैमरा दुनियाभर के साइंस एक्सपेरिमेंट्स में बड़ा योगदान देगा. पढ़ें पूरी खबर
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Azamgarh: आपने कई कैमरा देखें होंगे, जो हाई एफपीएस यानी ज्यादा फ्रेम पर सेकेंड के फीचर के साथ आते हैं. आमतौर पर मार्किट में 40 एफपीएस से 60 एफपीएस तक के कैमरा मौजूद हैं. लेकिन अब आपको स्पीड की अपेक्षा को भूलना होगा, क्योंकि योगेश्वर नाथ और उनकी टीम ने एक ऐसा कैमरा बनाया है जो 12.5 बिलियन फ्रेम पर सेकेंड पर शूट करता है. आपको जानकारी के लिए बता दें योगेश्वर नाथ उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के रहने वाले हैं. मिश्रा ने जिस कैमरे का इजाद किया है वह दुनिया का सबसे तेज कैमरा है. जो साइंस एक्सपेरिमेंट्स में काफी उपयोगी साबित होने वाला है. इसे लेजर कैमरा भी कहा जाता है.
योगेश्वर नाथ आजमगढ़ के रहने वाले हैं. रिपोर्ट के अनुसार वह 2019 से नासा में काम कर रहे हैं. इसके अलावा भारत में भी उन्नत टेकनॉलोजी डेवलप करने के लिए वह आईआईटी इंदौर और आईआईटी कानपुर में रिसर्च कर रहे हैं. योगेश्वर के पिता का नाम राजेंद्र मिश्रा है. उन्होंने गांव के अम्बेडकर प्राथमिक विद्यालय से प्राइमरी एजुकेशन हासिल की, जिसके बाद उन्होंने हाई स्कूल और इंटरमीडिएट आजमगढ़ के सठियांव इंटर स्कूल से पास किया. जब वह हायर एजुकेशन प्राप्त कर रहे थे तभी उन्हें स्वीडन में खोज के लिए स्कॉलरशिप मिली. उन्होंने अपनी पीएचडी लुंड विश्वविद्यालय से की इस दौरान उन्हें पेट्रा पुरुस्कार से भी नवाजा गया. 2020 में उन्होंने कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेकनॉलोजी में बतौर युवा वैज्ञानिक काम करना शुरू किया.
आखिर योगेश्वर नाथ और उनकी टीम के जरिए बनाया गया कैमरा क्या करता है और ये किन चीजों में काम आने वाला है? ये सब बताने से पहले हम आपको 'एफपीएस' शब्द से रूबरू करा देते हैं. ताकि आप इसे सही तरह समझ पाएं.
एफपीएस यानी फ्रेम पर सेकेंड इसका मतलब है कि एक सेकेंड में एक कैमरा कितने इमेज निकाल पाता है. हाई एफपीएस कैमरा अकसर स्लो मोशन चीजों को दिखाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. कैमरा के जितने ज्यादा एफपीएस होते हैं उतना ही स्लोमोशन वीडियो में डिटेल होती है. साइंस के कई ऐसे रिएक्शन हैं जो काफी स्पीड से होते हैं, ऐसे में योगेश्वर नाथ और उनकी टीम के जरिए इजाद किया गया ये कैमरा काफी फायदेमंद साबित होता है.
साइंस में हाईड्रोकार्बन के जलने का प्रोसेस काफी तेज होता है. हाईड्रोकार्बन जब विभिन्न परिस्थितियों में जलता है तो इस दौरान क्या-क्या होता है, ये सब इस खास कैमरे में अच्छी तरह कैप्चर होगा. ये कैमरा इस पूरी प्रक्रिया को एक 2D लेयर पर उतारता है, जिसे एलएस सीयूपी भी कहा जाता है यानी सिंगल शॉट लेजर शीट कंप्रेस अल्ट्राफास्ट फोटोग्राफी.
आपको जानकर हैरानी होगी कि अब तक जो लेजर कैमरा इस्तेमाल किए जाते रहे हैं उन सभी से ये कैमरा 1 हजार गुना तेज है. ये कैमरा साइंटिस्ट को किसी पार्टिकल या कंपाउंड जलने की प्रक्रिया को कहीं अधिक रिजॉल्यूशन में दिखाने का ऑप्शन देता है.
योगेश्वर नाथ मिश्रा कहते हैं- "जितनी अधिक तस्वीरें ली जाती हैं, उतने ही सटीक रूप से हम घटनाओं का अनुसरण कर सकते हैं. हाइड्रोकार्बन ईंधन के दहन से नैनो-आकार के पार्टिकल, विभिन्न प्रकाश घटनाएं और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन, पीएएच पैदा होते हैं, जो पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं."
उन्होंने बताया- “इससे पहले, जब कैमरा कुछ मिलियन इमेज प्रति सेकंड तक सीमित था, तो दिक्कते पैदा हुईं. विभिन्न प्रकार के दहन के 2D तस्वीरों का निर्माण करने के लिए बार-बार लेजर पल्स की जरूरत होती है, जो दहन तापमान को प्रभावित करता है.”
आपको बता दें सिर्फ एक हाईड्रोकार्बन के जलने को ही इस कैमरे पर रिकॉर्ड नहीं किया जा सकता. इसके अलावा ये केमेस्ट्री, फिजिक्स, बायोलॉजी और मेडिसिन की रिसर्च के कई ऐसे काम हैं जिनमें ये काफी उपयोगी साबित होने वाला है. आप इसे साइंस जगत की एक बड़ी खोज कह सकते हैं.