बरेली की दरगाह आला हजरत के दारुल इफ्ता ने मांगे गए एक धार्मिक मसले पर फतवा जारी करते हुए कहा है कि मुस्लिम मर्दों के लिए विग लगाना और महिलाओं द्वारा अपनी सुंदरता को निखारने के लिए आईब्रो बनवाना हराम है.
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बरेलीः बरेली की दरगाह आला हजरत ने एक दिन पहले इतवार को मुस्लिम नौजवानों को ’गैर-इस्लामिक’ तरीके से प्रेम संबंधों में शामिल होने और अपनी पहचान छुपाकर गैर-मुस्लिम लड़कियों से शादी करने के खिलाफ फतवा जारी किया था. अब इस संस्थान ने एक फतवा और जारी किया है, जिसमें पुरुषों को हेयर ट्रांसप्लांट कराने के खिलाफ निर्देश दिया गया है और महिलाओं को अपनी भौंहों को आकार देने या अपने बालों को सेट करने से मना किया गया है. इसमें तर्क दिया गया है कि इस तरह की प्रथाओं को 'प्राकृतिक तौर पर प्रदत्त मानव शरीर में घुसपैठ’ के रूप में देखा जाता है और इसे शरीयत के खिलाफ माना जाता है.
एसएमएस पर दिया तलाक माना जाएगा वैध
संस्थान ने अपने एक अन्य फतवे में कहा, “इसी तरह, अगर कोई पति एसएमएस के जरिए पत्नी को तलाक देता है, कई बार संदेश भेजता है और फिर संदेश भेजना स्वीकार करता है, तो तलाक को शरिया के मुताबिक वैध माना जाएगा." ये फतवा एस याचिका पर दिया गया है, जिसमें पूछा गया था कि क्या पति द्वारा एसएमएस पर दिए तलाक को वैध माना जाएगा या नहीं. हाल के दिनों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें विदेशों में या पत्नी से दूर रह रहे पतियों ने एसएमएस, मोबाइल या फिर व्हाट्सएप पर तलाक दे दिया था."
सुन्नी मुसलमानों के बरेलवी संप्रदाय के सबसे प्रतिष्ठित तीर्थस्थलों में से एक दरगाह आला हजरत से संचालित होने वाले संगठन दारुल इफ्ता द्वारा यह फतवा जारी किया गया है.ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि मामले को लेकर बरेली से फतवा जारी किया गया है. इससे पहले रविवार को उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि युवा मुस्लिम लड़के ’गैर-इस्लामिक’ कृत्यों में शामिल हो रहे हैं और गैर-मुस्लिम लड़कियों के साथ प्रेम संबंध और शादी कर रहे हैं, जो सरासर एक हराम कृत्य है.“
लव जिहाद पर पूछा गया था सवाल
गौरतलब है कि इस संबंध में दारुल इफ्ता से फतवा मांगा गया था कि अगर कुछ लोग घोषित तौर पर 'लव जिहाद’ जैसी किसी चीज में लिप्त है, तो उनके लिए धार्मिक तौर पर क्या हुक्म है ?
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में, जबरन धर्मांतरण या 'लव जिहाद’ के खिलाफ आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार का नया कानून नवंबर 2020 में लागू हुआ था. वहीं, पिछले साल नवंबर में, लखनऊ की एक अदालत ने एक मुस्लिम शख्स को न्यायिक हिरासत में भेज दिया, जिस पर लखनऊ में एक 19 वर्षीय हिंदू लड़की को एक इमारत की चौथी मंजिल पर धक्का देने का इल्जाम लगाया गया था, क्योंकि उसने कथित रूप से इस्लाम में परिवर्तित होने से इनकार कर दिया था.
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक पुलिस मुठभेड़ के बाद एक सुफ़ियान के रूप में पहचाने गए शख्स को गिरफ्तार किया गया था. लड़की के परिवार की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी में इल्जाम लगाया गया है कि आरोपी सूफियान शादी से पहले निधि पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाता था. कानून के मुताबिक, “गलत बयानी, बल, धोखाधड़ी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या विवाह“ द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन निषिद्ध है, और लड़की के धर्म को बदलने के एकमात्र इरादे से कोई भी विवाह अकृत और शून्य घोषित किया जाएगा. इसी तरह कुरान के नियमों के मुताबिक भी किसी से धोखे, छल या डरा-धमका कर विवाह करना या उसे इस्लाम धर्म में दाखिल कराना अवैध याना हराम माना गया है.
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