जन प्रतिनिधि कानून के तहत सजा साबित होने और सदस्यता रद होने के मामले में कांग्रेस के अलावा, आप, राजद, सपा और भाजपा के भी जनप्रतिनिधि शामिल रहे हैं. यूपी में भाजपा के तीन विधायकों की कुर्सी जा चुकी है.
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नई दिल्लीः कांग्रेस नेता राहुल गांधी की जिस कानून के तहत संसद की सदस्यता रद कर लोकसभा और विधानसभा चुनावों पर रोक लगाई गई है, वह कोई पहला मामला नहीं है. इस कानून के वजूद में आने के बाद अबतक दर्जन भर नेताओं के खिलाफ अपराध साबित होने और सजा दिए जाने के बाद उनकी सदस्यता रद की जा चुकी है.
सबसे पहले एक पूर्व मुस्लिम केंद्रीय मंत्री की गई थी सदस्यता
इस कानून का सबसे पहला शिकार अक्टूबर 2013 में केंद्रीय मंत्री रहे रशीद मसूद बने थे, जिनकी राज्य सभा सदस्यता चली गई थी. राज्य सभा ने उन्हें अयोग्य करार देने संबंधी अधिसूचना जारी करते हुए उच्च सदन में ख़ाली पद की घोषणा कर दी थी. मसूद को सीबीआई की विशेष अदालत ने धोखाधड़ी, अपराध, षड्यंत्र और जालसाजी के लिए दोषी ठहराया था.
विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में 1990 से 1991 तक स्वास्थ्य मंत्री रहे रशीद मसूद को देश भर के मेडिकल कालेजों में केन्द्रीय पूल से त्रिपुरा को आवंटित एमबीबीएस सीटों पर अयोग्य उम्मीदवारों को धोखाधड़ी से एडमिशन दिलाने का दोषी पाया गया था.
दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों पर लगा है चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध
राजद नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद भी चारा घोटाला मामले में साल 2018 में दोषी पाए गए थे जिसके बाद उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लग गया था. उससे पहले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला भी सजा पाने के बाद चुनाव लड़ने से अयोग्य हो गए थे.
सबसे ज्यादा यूपी के विधायकों की जा चुकी है सदस्यता
देश में उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य हैं, जहां से सबसे ज्यादा जन प्रतिनिधियों के खिलाफ अपराध साबित होने और सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता रद्द किए जाने के बाद चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है.
आजम खां
हेट स्पीच मामले में सपा नेता आजम खान की विधानसभा की सदस्यता रद्द की जा चुकी है. रामपुर की एक कोर्ट ने इस मामले में आजम खान को तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी. आजम खान पर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान रामपुर की मिलक विधानसभा में एक चुनावी भाषण के दौरान आपत्तिजनक और भड़काऊ टिप्पणियां करने का आरोप था. इसकी शिकायत भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने की थी. इसी मामले में रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट 27 अक्टूबर 2022 को आजम खान को दोषी करार दिया था.
अब्दुल्ला आजम
अब्दुल्ला आजम की विधानसभा सदस्यता साल 2017 के चुनाव के नामांकन पत्र में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र देने की वजह से चली गई थी. दिसंबर 2019 में एक अदालत ने लोक प्रतिनिधि कानून के तहत अब्दुल्ला आजम का चुनाव शून्य घोषित करते हुए उनकी निर्वाचन को रद्द कर दिया था.
अशोक कुमार सिंह चंदेल
अशोक कुमार सिंह चंदेल बीजेपी के टिकट पर हमीरपुर से विधायक थे. हमीरपुर में सामूहिक हत्याकांड के केस में उन्हें सजा सुनाई गई थी. हमीरपुर हत्याकांड 26 जनवरी 1997 में हुआ था. चंदेल इस वक्त आगरा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. इस हत्याकांड में बीजेपी नेता राजीव शुक्ला के सगे भाई समेत पांच लोगों की हत्या हुई थी. इस मामले में सजा का एलान होने के बाद जून 2019 में उनकी विधानसभा सदस्यता चली गई थी.
कुलदीप सिंह सेंगर
कुलदीप सिंह सेंगर उन्नाव के बांगरमऊ से भाजपा के विधायक थे. इस वक्त वह दिल्ली के तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. साल 2017 में नाबालिग से दुष्कर्म के एक मामले में 20 दिसंबर 2019 को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
इंद्र प्रताप तिवारी
इंद्र प्रताप तिवारी भाजपा के टिकट पर अयोध्या स्थित गोसाईगंज सीट से विधायक चुने गए थे. 29 साल एक पुराने मामले में 18 अक्टूबर 2021 को कोर्ट ने उन्हें दोषी करार देते हुए पांच साल की सजा सुनाई थी. उन्हें कोर्ट ने फर्जी मार्कशीट के मामले में दोषी करार दिया था.
दूसरे राज्य में भी अपराधी विधायकों को सजा
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायक जितेंद्र सिंह तोमर भी साल 2015 में फर्जी डिग्री के मामले में गिरफ्तार किए गए थे. इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी बताते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी थी. बिहार में भी मोकाम से राजद के विधायक अनंत सिंह को गैर कानूनी हथियार रखने के कारण उन्हें सजा सुनाते हुए उनकी सदस्यता रदद कर दी गई है. 2022 में ही राजद के एक अन्य विधायक अनिल सहनी की सदस्यता रदद कर दी गई थी. सहनी जब जदयू के सांसद थे तब उन्होंने फर्जी बिल दिखाकर एयर इंडिया से सांसद कोटे से यात्रा भत्ता के तौर पर 22 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा किया था.
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