जयपुर विस्फोट 2008: फांसी की सजा पाए सैफ, रहमान और सरवर को हाईकोर्ट ने किया बरी
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जयपुर विस्फोट 2008: फांसी की सजा पाए सैफ, रहमान और सरवर को हाईकोर्ट ने किया बरी

Rajasthan High court acquits all accused in deadly 2008 Jaipur blasts: साल 2008 के जयपुर विस्फोट के मुजरिमों को लोअर कोर्ट ने फांसी की सजा दी थी, जिसके बाद इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने सभी को बरी कर दिया.  

अलामती तस्वीर

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार को साल 2008 के जयपुर विस्फोट मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. अभियुक्तों को एक निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. सैफ, सैफुर्रहमान और सरवर आजमी को निचली अदालत ने फांसी की सजा दी थी. इस केस में जस्टिस पंकज भंडारी और समीर जैन की खंडपीठ ने बुधवार को फैसला सुनाया है. ? इस मामले में कोर्ट ने आरोपी सलमान को नाबालिग मानते हुए मामले को किशोर न्यायालय में भेज दिया है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जांच अधिकारी को लीगल प्रोसेस की जानकारी नहीं है. कोर्ट ने जांच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए डीजीपी को आदेश दिए हैं. 

कोर्ट के इस फैसले से एक बार फिर सरकारी मिशनरी और जांच एजेंसियों पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि अगर बरी हुए मुजरिम असली मुजरिम नहीं थे और असली मुजिरम कौन था. 71 लोगों की जान जिस घटना में चली गई उसकी जांच-पड़ताल इतनी लापरवाही से कैसे की गई ? 

विस्फोट में मारे गए थे 71 लोग 
गौरतलब है कि 13 मई, 2008 को माणक चौक खंडा, चांदपोल गेट, बड़ी चौपड़, छोटी चौपड़, त्रिपोलिया गेट, जौहरी बाजार और सांगानेरी गेट पर एक के बाद एक बम धमाकों से जयपुर दहल उठा था. शाम को हुए विस्फोटों में 71 लोग मारे गए और 185 घायल हुए थे. रामचंद्र मंदिर के पास से एक जिंदा बम भी बरामद किया गया, जिसे बम निरोधक दस्ते ने बाद में निष्क्रिय कर दिया था. 

भाजपा ने बरी मुजरिमों के बरी होने पर उठाया सवाल 
वहीं, इन बम धमाकों के आरोपियों को बरी करने पर राजस्थान बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है. उन्होंने सरकार की पैरवी पर सवाल उठाते हुए कहा कि 13 मई 2008 को हुए दंगों में 71 लोग मारे गए थे. दिसंबर 2019 में कोर्ट ने एक आरोपी को फांसी 3 को उम्र कैद की सजा सुनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट में इतने बड़े अपराधिक मामले में आरोपियों का बरी होना संदेह पैदा करता है. एटीएस ने कांट छांट कर सबूत पेश किए हैं. कोर्ट ने सबूत काफी नहीं माने, जांच का पक्ष भी शंका पैदा करने वाला है. पुनिया ने कहा कि इतने संगीन मामले में सरकार की ओर से पैरवी में लापरवाही की गई है. पुनिया ने कहा कि अशोक गहलोत सरकार की यह तुष्टीकरण की पराकाष्ठा है.

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