Vastu Puja and shanti: नए घर में प्रवेश करते समय वास्तु पूजा की जाती है, ताकि घर की नकारात्मक ऊर्जाएं और वास्तु दोष खत्म हो जाएं और घर में सकारात्मक ऊर्जा रहे. घर में धन-समृद्धि, खुशहाली रहे.
Trending Photos
Vastu Shanti: वास्तु शास्त्र में घर के लिए वास्तु नियम बताने के साथ-साथ वास्तु पूजा और वास्तु शांति के बारे में बताया गया है. ताकि घर में हमेशा धन-दौलत, समृद्धि और खुशहाली रहे. दरअसल, अपने घर का सपना हर कोई देखता है, जब ये सपना पूरा होता है तो उसे सजाने-संवारने के साथ-साथ लोग देवी-देवताओं की कृपा पाने की भी कोशिश करते हैं. इसके लिए वास्तु पूजा की जाती है. वास्तु शास्त्र में वास्तु पूजा को बहुत महत्व दिया गया है, वास्तु शांति के बारे में भी बताया गया है. आमतौर पर वास्तु पूजा और वास्तु शांति से लोग एक ही मतलब निकालते हैं, जबकि इन दोनों में अंतर है.
कब की जाती है वास्तु पूजा?
नए घर, दफ्तर या व्यावसायिक प्रतिष्ठान लेते समय कई तरह के वास्तु नियमों का ध्यान रखना होता है, ताकि भविष्य में इन जगहों से हमें लाभ मिले. लेकिन तमाम बातों का ध्यान रखने के बाद भी जाने-अनजाने में कोई ना कोई वास्तु दोष रह जाता है. ऐसे में गृह प्रवेश करते समय हवन-पूजन और नवग्रह मंडल पूजा की जाती है. इसे वास्तु पूजा कहते हैं ताकि घर के सारे दोष दूर हो जाएं. उस जगह की नकारात्मकता दूर हो जाए. इन सभी कारणों के चलते शुभ मुहूर्त में वास्तु पूजा की जाती है.
वास्तु शांति से है ये मतलब
वास्तु पूजा की तरह वास्तु शांति भी की जाती है. दरअसल, वास्तु शास्त्र में सृष्टि के पांच मुख्य तत्वों को बहुत महत्व दिया गया है. आकाश, पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु पंच तत्व हैं. वास्तु शांति में इन पांच तत्वों और सभी दिशाओं की शांति करवाई जाती है. जिससे हर तरह के वास्तु दोष के प्रभाव को दूर किया जा सके. वास्तु शांति पुराने घर, ऑफिस के वास्तु दोषों को दूर करने के लिए कराई जाती है. साथ ही नए घर या व्यावसायिक प्रतिष्ठान के दोषों को दूर करने के लिए भी वास्तु शांति कराई जाती है.
वास्तु पूजा और शांति के लिए ये समय शुभ
गृह प्रवेश के लिए सोमवार, बुधवार, गुरुवार एवं शुक्रवार के दिन शुभ माना गया है. इसके अलावा गृह प्रवेश या नए दफ्तर में वास्तु पूजा हमेशा किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष में करनी चाहिए. कृष्ण पक्ष में ये शुभ काम करने से बचना चाहिए. इन कामों के लिए शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी तिथियों को शुभ माना जाता है. इसके अलावा अश्विनी, उत्ताफाल्गुनी, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, उत्तराषाढ़, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, श्रवण, रेवती, शतभिषा, स्वाति, अनुराधा आदि नक्षत्र को वास्तु पूजा और वास्तु शांति के लिए शुभ माना गया है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)