Shivaratri 2020: किंवदंतियों में से एक के अनुसार महाशिवरात्रि भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का प्रतीक है. परंपराओं के मुताबिक इस दिन भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती के साथ विवाह बंधन में बंधे थे और यहां विवाह का और भी गहरा अर्थ है.
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Shivaratri: फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. शिव भक्त इस पर्व को काफी खास मानते हैं. वहीं इस दिन भगवान शिव की पूजा भी काफी खास तरीके से की जाती है. इस महत्वपूर्ण अवसर पर लोग व्रत भी रखते हैं. शिव भक्त महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को प्रसन्न करने में लगे रहते हैं. हालांकि क्या आपको पता है कि आखिर महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? आइए जानते हैं...
महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं?
किंवदंतियों में से एक के अनुसार महाशिवरात्रि भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का प्रतीक है. परंपराओं के मुताबिक इस दिन भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती के साथ विवाह बंधन में बंधे थे और यहां विवाह का और भी गहरा अर्थ है. शिव पुरुष (ध्यान) का प्रतीक हैं, जबकि पार्वती प्रकृति का प्रतीक हैं. चेतना और ऊर्जा का मिलन सृजन को सुगम बनाता है. इसलिए इसका महत्व काफी बढ़ जाता है.
महाशिवरात्रि
दिलचस्प बात यह है कि एक अन्य कथा के अनुसार भगवान शिव का लिंग रूप सबसे पहले महाशिवरात्रि के दिन अस्तित्व में आया था. एक अन्य कथा के अनुसार भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु में एक बार अपनी श्रेष्ठता को लेकर तीखी बहस हुई. ब्रह्मा ने खुद को सबसे महान बताया, जबकि विष्णु ने खुद को निर्माता के रूप में सराहा. इस बीच भगवान शिव जानते थे कि यह तर्क ब्रह्मांड के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है और शांति बहाल करने के लिए वे अग्नि/प्रकाश की किरण के रूप में उभरे.
महाशिवरात्रि पर्व
इसके बाद उन्होंने ब्रह्मा और विष्णु को प्रकाश की उत्पत्ति और अंत का पता लगाने के लिए चुनौती दी. विष्णु एक वराह में परिवर्तित हो गए और पृथ्वी में चले गए, जबकि ब्रह्मा ने हंस का रूप धारण किया और ऊपर की ओर उड़ गए और इस तरह चुनौती स्वीकार कर ली.
शिवरात्रि
हालांकि इसके बाद ब्रह्मा ने फूल केतकी से अपने पक्ष में एक झूठा बयान देने और उसे विजेता घोषित करने का आग्रह किया. हालांकि, भगवान शिव जानते थे कि कोई भी कभी भी प्रकाश के स्रोत या अंत का पता नहीं लगा सकता है और इसलिए झूठ बोलने के लिए ब्रह्मा से क्रोधित थे. भगवान विष्णु ने हार मान ली, लेकिन धोखा देने की कोशिश करने वाले ब्रह्मा जी को दंडित किया गया.
भगवान शिव
इस प्रकार महा शिवरात्रि व्रत हमें याद दिलाता है कि अभिमान, अहंकार और झूठ किसी के पतन का कारण बनते हैं. इसलिए भक्त जीवन की मूलभूत वास्तविकताओं का जश्न मनाने के लिए व्रत का पालन करते हैं और महादेव, भगवान शिव की जय-जयकार करते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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