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Shani Ki Mahadasha Benefits: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी ग्रहों का अपना विशेष महत्व है. किसी भी जातक की कुंडली में अगर कोई ग्रह शुभ स्थिति में है, तो वे उसे खूब शुभ फल प्रदान करता है. शनि को भी न्याया के देवता और कर्म फलदाता के रूप में जाना जाता है. अशुभ स्थिति में शनि बहुत कष्ट देते हैं. लेकिन अगर किसी जातक की कुंडली में शनि शुभ स्थिति में हैं, तो उसे राजा जैसा सुख प्राप्त होता है.
लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में बेहतर योग के बावजूद अगर कर्म शुभ नहीं है, तो शनि धन हानि करवाते हैं. शनि खूब कष्ट देते हैं. व्यक्ति के जीवन के हर क्षेत्र पर शनि का प्रभाव पड़ता है. इससे आर्थिक स्थिति, नौकरी, व्यापार, सेहत और रिश्ते आदि पर भी खूब बुरा प्रभाव देखने को मिलता है. जानें शनि की महादशा में क्या होता है.
शनि की महादशा में मिलता है ऐसा फल
अगर किसी जातक की कुंडली में शनि मजबूत स्थिति में है और व्यक्ति में कर्म भी अच्छे किए हों, तो शनि की महादशा में उसे राजा जैसे सुखों और सम्मान की प्राप्ति होती है. इस स्थिति में व्यक्ति बहुत अमीर बनता है, उसे खूब ख्याति, ऊंचा पद मिलता है. आसानी से कई स्त्रोतों से पैसा कमाने में कामयाब होता है.
वहीं, कुंडली में नीच का शनि या फिर व्यक्ति के कर्म ही खराब होने पर शनि की महादशी में उसे खूब कष्ट झेलना पड़ता है. व्यक्ति को इस दौरान खूब धन हानि होती है. व्यक्ति के नौकरी और व्यापार में रुकावट आती है. चारों तरफ से बीमारियां घेर लेती हैं और व्यक्ति का जीवन कष्टों और अभावों में गुजरता है.
शनि महादशा में करें ये उपाय
शनि की महादशा के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. बिना किसी विशेषज्ञ के नीलम धारण करना सही नहीं है. किसी के साथ गलत आचरण न करें. नशे से दूरी बनाए रखें. महिलाओं, बुजुर्गों, असहायों, मेहनतकश मजदूरों का अपमान भूलकर भी न करें. ऐसे में शनि के कठोर दंड का सामना करना पड़ता है.
- शनि के शुभ फलों की प्राप्ति के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का चौमुखी दीया जलाएं. इसके बाद 3 बार पेड़ की परिक्रमा करें. परिक्रमा के बाद शनि देव के मंत्र 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः' का जाप करें. संभव हो तो सामर्थ्य अनुसार भिखारी या जरूरतमंद को दान करें.
- शनि की महादशा के दौरान करियर-व्यापार आदि में तरक्की पाना चाहते हैं, तो शनिवार के दिन सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ में जल अर्पित कर दें. इसके बाद शाम के समय उसी पेड़ के नीचे एक बड़ा एक मुखी दीपक लोहे की कटोरी में जलाएं. इसके बाद शनि चालीसा का पाठ करें. पाठ के बाद किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन कराएं और सात्विक भोजन करें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)