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गुरदासपर के दीनानगर में सोमवार को हुए आतंकवादी हमले से यह बात जोर पकड़ने लगी है कि क्या पंजाब में आतंकवाद को फिर से पुनर्जीवित करने की कोशिश की जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि पाकिस्तान खालिस्तान समर्थक आतंकियों की मदद से राज्य में एक बार फिर आतंकवाद की चिंगारी भड़काने की कुचक्र रच रहा है। करीब एक दशक से ज्यादा समय तक आतंकवाद से पीड़ित रहे इस राज्य में इससे पहले बड़ा आतंकवादी हमला 1995 में हुआ था जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की जान गई थी। सवाल है कि अचानक से पंजाब को निशाना बनाने का कारण क्या हो सकता है। क्या पाकिस्तान जम्मू एवं कश्मीर के साथ-साथ अब पंजाब में भी मोर्चा खोलना चाहता है।
हमें यह याद रखना होगा कि गुरदासपुर में आतंकी हमला कारगिल विजय दिवस मनाए जाने के समय हुआ है। भारत के खिलाफ लड़े गए सभी युद्धों में हार की नाकामी एवं टीस पाकिस्तान को हर रोज परेशान करती है। वह भारत को घाव देने के लिए हमेशा ऐसे मौकों की तलाश में रहता है। दीनानगर में हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ है इस बात की पुष्टि मारे गए आतंकवादियों के पास से बरामद जीपीएस सिस्टम से हुई है। जीपीएस सिस्टम की फोरेंसिक जांच से यह बात सामने आई है कि आतंकवादी पाकिस्तानी इलाके शकरगढ़ के गहरोत गांव से हिंदुस्तानी सीमा के बामियाल में दाखिल हुए थे।
हालांकि, पाकिस्तान ने हर बार की तरह इस बार भी हमले के पीछे अपना हाथ होने से इंकार किया है। दीनानगर हमले को हल्के में नहीं लिया जा सकता। यह कस्बा दो महत्वपर्ण जगहों पठानकोट और अमृतसर के रास्ते में पड़ता है। खालिस्तान आंदोलन के दौरान पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर और तरन तारण जिले बुरी तरह प्रभावित थे। दीनानगर जम्मू एवं कश्मीर के कठुआ जिले के काफी नजदीक है और यह रावी नदी के तट से जुड़ा हुआ है। सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि पाकिस्तान में शरण लिए खालिस्तान समर्थक आतंकियों के उकसाने पर राज्य में सुप्त पड़े उनके समर्थक एक बार फिर अपना सिर उठा सकते हैं। पंजाब का बड़ा भू-भाग अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ लगा हुआ है। मानसून के समय सीमा पर लगाई गई बाड़ कई जगह कमजोर हो जाने से यहां घुसपैठ करना आसान हो जाता है। इसी का फायदा उठाकर ड्रग तस्कर आए दिन भारतीय क्षेत्र में दाखिल हो जाया करते हैं। पंजाब में ड्रग्स की तस्करी इन्हीं कमजोर रास्तों के जरिए होती रहती है।
रिपोर्टों की मानें तो पंजाब के दुर्दांत आतंकवादी एवं खालिस्तान समर्थक आतंकी रणजीत सिंह नीता, परमजीत सिंह पंजवार, लखबीर सिंह रोडेजा और गजिंदर सिंह पाकिस्तान में छिपे हुए हैं। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबकि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई जम्मू-कश्मीर के आतंकवादी सरगनाओं और पंजाब के इन भगोड़े आतंकियों के बीच एक गठजोड़ बनाने की कोशिश कर रही है। इस गठजोड़ से पाकिस्तान पंजाब को एक बार फिर अस्थिर करने का सपना देख रहा है।
रूसी शहर उफा में पीएम मोदी और नवाज शरीफ के बीच हुई मुलाकात के बाद पाकिस्तान की तरफ से सीमा पर तनाव बढ़ाने की हर कोशिश की गई है। संघर्षविराम का उल्लंघन, घाटी में नागरिकों को निशाना बनाए जाने को लेकर पंजाब में आतंकी हमले को अंजाम दिया गया है। कुल मिलाकर पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की यह कोशिश रही है कि उफा में दोनों प्रधानमंत्रियों ने अपने साझा बयान के जरिए आतंकवाद से निपटने के लिए जो इच्छाशक्ति जताई है उसे विफल कर दिया जाए। हालांकि, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह साझा बयान के आधार पर ही आगे बढ़ेगा। पाकिस्तान की खिसियाहट का एक कारण साझा बयान में कश्मीर मुद्दे का उल्लेख न होना भी हो सकता है। पाकिस्तान को यह अहसास बाद में हुआ कि उसने एक बड़ी कूटनीतिक गलती कर दी है। अब पाकिस्तान का सारा कुचक्र बातचीत शुरू करने की प्रक्रिया को पटरी से उतारने की हो सकती है। जम्मू एवं कश्मीर और पंजाब की हाल की घटनाओं को देखते हुए खुफिया एजेंसियों को पहले से ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।