अक्सर सर्दियों के मौसम में बढ़ जाता है पॉल्यूशन, लेकिन कभी सोचा है कि आखिर इन दिनों ही क्यों ऐसा होता है?
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अक्सर सर्दियों के मौसम में बढ़ जाता है पॉल्यूशन, लेकिन कभी सोचा है कि आखिर इन दिनों ही क्यों ऐसा होता है?

Air Pollution In Winter: सर्दियों की आहत होते ही दिल्ली-एनसीआर स्मॉग की गहरी चादर से ढंक गया. अक्सर ठंड के दिनों में ही  ऐसा होता है. ऐसे में सवाल यह है कि आखिर क्यों सर्दियों में ही एयर पॉल्यूशन इतना बढ़ जाता है. चलिए जानते हैं...

अक्सर सर्दियों के मौसम में बढ़ जाता है पॉल्यूशन, लेकिन कभी सोचा है कि आखिर इन दिनों ही क्यों ऐसा होता है?

Why Air Pollution Increase in Winters: दिल्ली की हवा ऐसे तो पूरे साल बहुत ज्यादा अच्छी नहीं होती है, लेकिन सर्दियों का मौसम शुरू होते ही इसमें जहर घुलने लगता है और दिल्ली गैस चेंबर बनने लगती है. इस समय भी राजधानी दिल्ली में जहरीली हवा चल रही है. उत्तर भारत के ज्यादातर इलाकों में धुएं और कोहरे की मिलावट भरी जहरीली मोटी चादर देखने को मिल रही है. रात भर का घना कोहरे भी दिल्ली की हवा की क्वालिटी को खराब कर रहा है. पिछले कुछ सालों से सर्दियों के दौरान ऐसा धुआं होना एक आम बात हो गई है. लेकिन ऐसा क्यों होता कि ठंड के मौसम में ही प्रदूषण बढ़ जाता है. आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब...

क्यों हो जाती है दिल्ली की हवा जहरीली? 
इन दिनों दिल्ली की हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि सेहतमंद लोग भी हॉस्पिटल के चक्कर काट रहे हैं. लगभग सभी इलाकों का AQI खतरे को पार कर चुका है. सांस से जुड़ी परेशानियों वाले मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है. कभी तो आलम यह होता है कि में दिन में ही अंधरा होने लगता है. अब सोचने वाली बात ये है कि आखिर दिल्ली में ऐसा क्या हो गया है कि यहां पॉल्यूशन बढ़ता ही जा रहा है. इसकी वजह है ठंडी हवाएं धूल, कार्बन उत्सर्जन और आसपास के कुछ राज्यों में अवैध रूप से खेतों में लगाई जाने वाली आग से निकलने वाले धुएं को अपने अंदर फंसा लेती है.

सर्दियों के मौसम में क्यों होती है ऐसा?
इन दिनों दिल्ली इन दिनों भीषण प्रदूषण से जूझ रही है. वहीं, देश के दूसरे कुछ शहरों में भी मामला गंभीर है. सर्दियों के मौसम में पॉल्यूशन अचानक इसलिए बढ़ जाता है, क्योंकि कम टेम्प्रेचर के कारण हवा में ज्यादा होती हो जाती है. ऐसे में ठंडी हवाए गर्म हवा की अपेक्षा ज्यादा भारी होती है और नीचे की ओर ही रहती है. इससे हवा की वर्टिकल स्पीड कम हो जाती है और नमी कम होती है तो प्रदूषक कण हवा में ही तैरते रहते हैं.

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बन जाती है अजीब स्थिति 
वहीं, कभी-कभी तो अजीब सी सिचुएशन बन जाती है, जिसे उल्टा तापमान कहते हैं. इसमें ऊंचाई के साथ तापमान बढ़ने लगता है, लेकिन आमतौर पर ऊंचाई के साथ तापमान घटता है. ऐस में गर्म हवा नीचे की ठंडी हवा को दबा देती है, जिससे प्रदूषित कण हवा में ही फंसे रह जाते हैं. वहीं, धुंध और कोहरा इन कणों को अपने अंदर समेट लेते हैं, जिससे पॉल्यूशन लेवल में और बढ़ोतरी हो जाती है. 

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ये कारक भी हैं जिम्मेदार
इसके अलावा सर्दियों में हीटर का इस्तेमाल होता है. ठंडा मौसम होने के कारण सड़कों पर गाड़ियों की संख्या बढ़ जाती है, जिनसे निकलने वाला धुआं भी इसके लिए जिम्मेदार है. इसके अलावा औद्योगिक प्रदूषण, खेतों में पराली जलाने से हवा और जहरीला हो जाती है. ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में ईंधन के तौर पर गोबर के उपले और लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है, ये भी पॉल्यूशन लेवल बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है.

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