Asha workers Demand: देशभर में लाखों आशा कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा को एक खुला पत्र लिखकर अपनी समस्याओं को सामने रखा है.
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Asha workers Demand: देशभर में लाखों आशा कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा को एक खुला पत्र लिखकर अपनी समस्याओं को सामने रखा है. संगठन ने मांग की है कि आशा कार्यकर्ताओं को केवल प्रतीकात्मक सम्मान देने के बजाय उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए और उनके अधिकार सुनिश्चित किए जाएं.
आमंत्रण का स्वागत लेकिन सवाल भी उठाए
पत्र में 76वें गणतंत्र दिवस के दौरान 250 आशा कार्यकर्ताओं को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया गया है. हालांकि, संगठन ने इस चयन प्रक्रिया के मानदंडों पर सवाल उठाया है और कहा है कि आशा कार्यकर्ताओं को केवल समारोहों में सम्मानित करने से उनकी मूल समस्याओं का हल नहीं होगा.
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की रीढ़ हैं आशा कार्यकर्ता
पत्र में उल्लेख किया गया है कि आशा कार्यकर्ता देश के मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल तंत्र की मजबूत नींव हैं. साथ ही, वे तपेदिक और अन्य संक्रामक रोगों के खिलाफ भारत की लड़ाई में अहम भूमिका निभा रही हैं. कोविड-19 महामारी के दौरान उनके अभूतपूर्व योगदान को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी मान्यता दी थी और उन्हें ‘ग्लोबल लीडर’ के रूप में सम्मानित किया था.
मासिक प्रोत्साहन राशि बेहद कम
पत्र में बताया गया है कि इतने महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद आशा कार्यकर्ताओं को अभी भी ‘स्वयंसेवी’ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. उन्हें प्रति माह केवल 2,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि मिलती है, जो बहुत कम है. सबसे अहम बात यह है कि यह राशि 2010 से अब तक संशोधित नहीं की गई है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर बनी हुई है.
बुनियादी सुविधाओं का अभाव
आशा कार्यकर्ताओं को न तो स्वास्थ्य बीमा मिलता है, न मातृत्व अवकाश और न ही पेंशन जैसी सुविधाएं. ऐसे में उनके आर्थिक भविष्य को लेकर गंभीर चिंता बनी रहती है. पत्र में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि केंद्र सरकार द्वारा समय पर धनराशि जारी नहीं करने के कारण कई राज्यों में वेतन भुगतान में देरी हो रही है, जिससे हजारों कार्यकर्ता प्रभावित हो रहे हैं.
सरकार से की ये प्रमुख मांगें
आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार से अपील की है कि उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए. वेतन और अन्य लाभों में सुधार किया जाए. स्वास्थ्य बीमा, पेंशन और मातृत्व अवकाश जैसी सुविधाएं दी जाएं. समय पर वेतन भुगतान सुनिश्चित किया जाए.
क्या सरकार करेगी समाधान?
अब देखना होगा कि केंद्र सरकार इस मांग पर क्या कदम उठाती है. आशा कार्यकर्ता लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं और उनका यह पत्र उनकी स्थिति को सुधारने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)