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बैंकॉक में छह दिसंबर को भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच हुई मुलाकात की खबर ने सबको चौंका दिया। मीडिया को इस अहम मुलाकात की भनक तक नहीं लगी। भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति और एनएसए मुलाकात की तस्वीरों से यह बात मालूम चली की भारतीय एनएसए अजीत डोवाल और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नसीर खान जनजुआ के बीच बैठक हुई है जिसमें आतंकवाद, कश्मीर सहित कई अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई। खास बात यह है कि इस मुलाकात के समय दोनों देशों के विदेश सचिव भी मौजूद थे। इस बैठक को लेकर भारत में विपक्षी दल सवाल उठाने लगे कि अगस्त 2015 के बाद से ऐसा क्या बदल गया कि दोनों देश बातचीत के लिए एक मंच पर आ गए। विपक्षी दलों का कहना है कि सीमा पार से आतंकवाद और घुसपैठ की घटनाएं जारी हैं। पाकिस्तान की ओर से होने वाली गोलीबारी में सेना के जवान मारे जा रहे हैं। हालात पहले जैसे ही हैं तो ऐसे में पाकिस्तान के साथ बातचीत करने का औचित्य क्या है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस बातचीत को देश के साथ धोखा तक बता दिया।
विपक्षी दलों की बात में दम भी है क्योंकि पीएम मोदी खुद कहते आए हैं कि गोलीबारी और बातचीत एक साथ नहीं चल सकती। बातचीत के लिए उपयुक्त माहौल का बनना जरूरी है। यही देश को भी लग रहा था कि माहौल के बदले बिना बातचीत तो दूर क्रिकेट भी नहीं खेला जाएगा लेकिन एनएसए स्तर की बातचीत ने सभी को चौंका दिया। इस बातचीत का कुछ लोग स्वागत कर रहे हैं तो कुछ के मन में शंकाएं मौजूद हैं। बहरहाल, एनएसए स्तर की वार्ता ने दोनों देशों के आगे बढ़ने के लिए मार्ग तैयार कर दिया है।
एनएसएस स्तर की बातचीत अचानक से नहीं हुई है। हो सकता है कि बातचीत के लिए दोनों देशों के बीच बैक चैनल काम कर रहा हो। गौर करें तो वार्ता के लिए आगे आने का संकेत पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ ने नवंबर के अंतिम सप्ताह में माल्टा में दे दिया था। राष्ट्रमंडल देशों की बैठक में हिस्सा लेने माल्टा पहुंचे पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ ने ब्रिटेन के पीएम डेविड कैमरन के साथ बातचीत में कहा कि उनका देश भारत के साथ बिना शर्त बातचीत के लिए तैयार है। इसके बाद पेरिस में पीएम नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ के बीच हुई संक्षिप्त मुलाकात ने बातचीत के लिए माहौल बनाने की जमीन तैयार की होगी। यहां यह भी ध्यान रखना होगा अगला सार्क सम्मेलन 2016 के मध्य में पाकिस्तान में प्रस्तावित है। इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पीएम मोदी को पाकिस्तान की यात्रा करनी होगी और ऐसे में यदि माहौल बदला नहीं और बदलने की कोशिश नहीं की जाती तो उनकी इस यात्रा पर भी सवाल उठने शुरू हो जाते। बातचीत की यह पूरी प्रक्रिया पीएम मोदी के आगामी पाकिस्तान दौरे से जोड़कर देखी जा सकती है।
यह सभी को पता है कि पाकिस्तान की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों पर पाक सेना का दखल होता है। उसकी मर्जी के बिना वहां की नागरिक सरकार इन दोनों मसलों पर आगे नहीं बढ़ सकती। लेकिन पाकिस्तान के जनरल राहील शरीफ ने अक्टूबर में सेवानिवृत्त हुए लेफ्टिनेंट जनरल नसीर खान जनजुआ को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया है। बताया जाता है कि जनजुआ पाकिस्तानी जनरल के काफी करीब हैं। डोवाल के साथ जनजुआ के साथ बातचीत का मतलब एक तरीके से सीधे रावलपिंडी के साथ बातचीत करना भी हो सकता है। पाकिस्तान की नागरिक सरकार के साथ-साथ वहां के सैन्य हुक्मरानों को भी बातचीत में संलग्न रखना मोदी सरकार की एक कूटनीतिक पहल हो सकती है।
बहरहाल, पांचवें ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस्लामाबाद पहुंच गई हैं। वह सरताज अजीज और पीएम नवाज के साथ बैठक करेंगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पाकिस्तान दौरे के बाद दोनों देशों के बातचीत का गतिरोध टूटेगा और दोनों देश आपसी सहमति विवादित मुद्दों का गंभीरता से हल निकालने की कोशिश करेंगे।