मोदी का बांग्लादेश दौरा : बदली सीमा, बदली सियासत
Advertisement
trendingNow1259942

मोदी का बांग्लादेश दौरा : बदली सीमा, बदली सियासत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बांग्लादेश दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इस दौरे की सबसे अहम बात यह रही है कि पीएम मोदी दुनिया को यह संदेश देने में सफल रहे हैं कि मुद्दा चाहे कितना भी पेचिदा हो यदि नेक इरादे से समाधान ढूंढा जाए तो रास्ता निकल सकता है और आपसी बातचीत एवं सहमति से जटिल से जटिल मुद्दों पर आगे बढ़ा जा सकता है। पाकिस्तान और चीन के लिए भी बांग्लादेश के साथ भूमि सीमा करार एक सपष्ट संकेत है। 

पीएम मोदी के दो दिन के संक्षिप्त यात्रा के दौरान नई दिल्ली और ढाके के बीच भूमि सीमा करार सहित कई अहम समझौते मसलन आंतरिक जल परागमन, बस सेवा और आर्थिक समझौते हुए हैं। इन समझौते से आपसी संबंध और मजबूत होने के साथ-साथ दोनों देशों के लोग और पास-पास आएंगे। मोदी और बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना सरकार ने 41 साल से लंबित भूमि सीमा करार को अमली जामा पहनाते हुए भारत-बांग्लादेश सीमा पर इन्क्लेवो में रहने वाले करीब 50, 000 लोगों को नागरिकता की पहचान दी है। साथ ही करीब 4000 किलोमीटर की बॉर्डर सीमा को लेकर जो अलग-अलग दावे किए जा रहे थे उसका हल निकल आया है। इससे दोनों देशों के बीच सीमा की स्थिति साफ हुई है जिसका लाभ यह होगा कि भारत और बांग्लादेश अपनी सीमा की निगरानी एवं सुरक्षा और बेहतर ढंग से कर पाएंगे। सीमा की स्थिति स्पष्ट हो जाने से भारत उस पार से होने वाले अवैध घुसपैठ और तस्करी पर आसानी से रोक लगा सकेगा। 

बांग्लादेश दौरे में पड़ोसी देशों को साथ लेकर चलने की पीएम मोदी की मंशा साफ झलकी है। 'सबका साथ सबका विकास' का नारा केवल देश में ही नहीं मोदी की विदेश नीति में भी झलका है। ढाका में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और बांग्लादेश एक साथ मिलकर आगे बढ़ सकते हैं। कोई छोटा और बड़ा नहीं है। भारत और बांग्लादेश दोनों बराबर हैं। पीएम मोदी यह संदेश देने में भी सफल हुए हैं कि एक उद्देश्यपूर्ण और समस्या-निराकरण की नीति अपनाकर दक्षिण एशिया की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में व्यापक परिवर्तन लाया जा सकता है। सार्क देशों को एकजुट करने और समस्याओं से मिलकर लड़ने की पीएम की इच्छाशक्ति यह दर्शाती है कि वह इस पूरे क्षेत्र में एक बदलाव लाने का माद्दा रखते हैं।  fallback

मोदी के बांग्लादेश दौरे को ऐतिहासिक बनाने में पीएम हसीना का भी अहम योगदान है। हसीना सरकार ने भारत सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की जो नीति अपनाई है वह दोनों देशों को और करीब लाने और विकास के नए सोपान खोलने वाला साबित होगा। आतंकवाद के खिलाफ हसीना सरकार का 'जीरो टॉलरेंस' की नीति उसे भारत के और करीब लाती है। हसीना सरकार ने कहा है कि वह विकास के लिए अब तक के बने-बनाए ढांचे से बाहर निकलने और सोचने के लिए तैयार है। दोनों सरकारों के बीच यह तालमेल दक्षिण एशिया के अन्य देशों के लिए भी मिसाल बनेगा।   

पीएम मोदी के इस दौरे में आपसी संपर्क बढ़ाने और व्यापार असंतुलन दूर करने की ठोस शुरुआत की गई है। भारत के प्रति बांग्लादेश का विश्वास बढ़ाने के लिए यह जरूरी था कि नई दिल्ली व्यापार असंतुलन को कम करने की दिशा में कदम उठाए। इसे देखते हुए वस्तुओं के आयात-निर्यात में जो प्रक्रियागत अवरोध थे उन्हें कम किया गया है। भारत ने बांग्लादेश को 2 अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन देने की घोषणा की है इससे भारतीय निर्यातकों को मदद और हजारों की संख्या में रोजगार का सृजन होगा। वीजा में सुधार, एक-दूसरे के यहां और अधिक वाणिज्य दूतावास खोलने के निर्णय से आर्थिक व्यापार को और प्रोत्साहन मिलेगा। मोदी और हसीना सरकार द्वारा कोलकाता-ढाका बस सेवा को अगरतला तक बढ़ाया जाना प्रशंसनीय है। इससे दोनों देशों के बीच आपसी संपर्क बढ़ने से सांस्कृतिक समृद्धि एवं एकता और मजबूत होगी।  

प्रधानमंत्री मोदी और उनकी बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना ने कुल 22 समझौतों पर दस्तखत किए। इसमें जल क्षेत्र की सुरक्षा, मानव तस्करी और नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी की रोकथाम भी शामिल है। आतंकियों और नक्सलियों की शरणस्थली माने जाने वाले बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने इन समझौतों के तहत अपनी जमीन से आतंकवाद को न पनपने देने का भी आश्वासन दिया। हसीना ने व्यापारिक घाटा कम करने को दो विशेष आर्थिक जोन बनाने पर सहमति जताई। बांग्लादेश के चटगांव और मोंगला बंदरगाहों तक भारत की पहुंच सामरिक एवं व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। चटगांव बंदरगाह को चीन ने विकसित किया है। अब इन दोनों बंदरगाहों तक भारतीय मालवाहक जहाजों की पहुंच होगी जिससे सागर के जरिए भारत को घेरने की चीन की रणनीति को धक्का लगेगा। भारत के लिए इस बंदरगाह पर पहुंच होना आर्थिक तौर पर भी बड़ी कामयाबी है। 

मोदी का बांग्लादेश दौरा ऐतिहासिक है। भारतीय प्रधानमंत्री की इस यात्रा के दौरान जो शुरुआत हुई है उसे आगे बढ़ाना और लागू करना एक चुनौती होगी। दोनों देशों के बीच एक अच्छी शुरुआत हुई है। इस भरोसे और विश्वास को बनाए रखने की जिम्मेदारी दोनों सरकारों की होगी। दोनों देशों के बीच कुछ एक मुद्दे ऐसे हैं जो अभी नहीं सुलझे हैं। इनमें तीस्ता जल और अवैध घुसपैठ का मुद्दा अहम है। मोदी और हसीना सरकार दोनों को इन मुद्दों का तार्किक समाधान निकलना होगा।  

Trending news