प्रभु की ‘किक’ से पटरी पर आएगी रेल
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प्रभु की ‘किक’ से पटरी पर आएगी रेल

रेल बजट 2015 के पिटारे से नई रेलगाड़ियां नहीं निकली हैं। ऐसा पहली बार हुआ है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने प्रभु का नाम लेकर अपना पहला रेल बजट किया है। रेल के जानकारों ने इसे एक सधा और व्यावहारिक बजट बताया है जबकि नई रेलगाड़ियों की उम्मीद करने वाले निराश हुए हैं।

बजट पर सबसे ज्यादा ध्यान उसकी माली हालत सुधारने और रेल को मुनाफे का सौदा बनाने पर दिया गया है। इस बजट से रेल अपनी चरमराती अवस्था से बाहर निकल जाएगी और सबकुछ ठीक हो जाएगा, यह कहना जल्दबाजी होगी लेकिन बजट में वे सभी बुनियादी उपाय किए गए हैं जिससे बेहतर रेल सेवा और सुविधाओं की उम्मीद जगी है। यह बजट रेल को ज्यादा समर्पित है।

इस बार के बजट में सबसे चौंकाने वाली बात नई रेलगाड़ियों की घोषणा न होना है। इसके पहले के रेल बजटों में नई रेलगाड़ियां और परियोजनाओं की भरमार रहती थी। रेल को घाटे से उबारने, उसके राजस्व में इजाफा करने, मुसाफिरों की सुरक्षा एवं सुविधा बढ़ाने के उपाय कम होते थे। लोकलुभावन और राजनीतिक स्वार्थों को पूरा करने वाले बजट में रेल की बेहतरी के लिए चिंता नगण्य रहा करती थी।

बजट में नई रेलगाड़ियों की घोषणा न करते हुए प्रभु ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह सबसे पहले रेल की मौजूदा व्वयस्था को पटरी पर लाना चाहते हैं। सुविधा एवं सुरक्षा के लिहाज से वह रेल को अपग्रेड और उसे बेहतर बनाना चाहते हैं। रेल मंत्री ने बजट में कुछ नई पहल की है जो आज के समय के हिसाब से काफी प्रासंगिक है। रेल मंत्री ने नौ कॉरिडोर पर 200 किलोमीटर तक की रफ्तार वाली ट्रेनें चलाने का प्रस्ताव किया है।

अगर ऐसा होता है तो इन मार्गों पर यात्रा पर लगने वाला समय घटकर आधा हो जाएगा। यानी, मुसाफिर 10 घंटे की यात्रा 5 से 6 घंटे में पूरी कर सकेंगे। रफ्तार वाली रेलगाड़ियां चलाने के लिए रेल को बहुत बड़ी रकम खर्च नहीं करनी होगी बल्कि पहले से मौजूद पटरियों की मरम्मत करके उन्हें इस लायक बनाया जा सकता है। महत्वपूर्ण शहरों के बीच रफ्तार वाली रेलगाड़ियों के चलने से एकतरफ रेलवे को राजस्व की अच्छी कमाई होगी तो दूसरी तरफ मुसाफिर कम समय में अपनी यात्रा पूरी कर सकेंगे।

आने वाले समय में रेल घाटे का सौदा न रहे इसके लिए भी रेल मंत्री ने उपाय किए हैं। रेलवे की आमदनी बढ़ाने के लिए बजट में रेल ट्रैक बढ़ाने की बात कही गई है। यह व्यावहारिक बात है कि रेल ट्रैक बढ़ेंगे तो रेलगाड़ियों का आवागमन बढ़ेगा और जब आवागमन बढ़ेगा तो रेल के राजस्व में वृद्धि होगी। रेल मंत्री ने सिंगल ट्रैक के साथ डबल ट्रैक और डलब ट्रैक के साथ ट्रिपल ट्रैक बिछाने की बात कही है।
मालगाड़ियों के लिए अलग ट्रैक शुरू करने का प्रस्ताव भी सराहनीय है। नई रेलगाड़ियों और परियोजनाओं को तरजीह न देकर रेल मंत्री ने यही संकेत दिया है कि वह रेल को पटरी पर लाना चाहते हैं। वह रेल के कमजोर और ढीले पेंच कसना चाहते हैं। यह काम कठिन जरूर है लेकिन असंभव नहीं।

रेल बजट पेश होने के समय लोगों की सबसे अधिक उत्सुकता नई रेलगाड़ियों की शुरुआत और किराए में वृद्धि को लेकर रहती है। इस बार के बजट में रेल मंत्री ने नई रेलगाड़ियों का तोहफा तो नहीं दिया लेकिन यात्री किराए में किसी तरह का इजाफा न करके उन्हें एक अच्छी सौगात दी है। यात्री किराए में वृद्धि न किए जाने से आम आदमी को राहत मिली है।

आम यात्रियों के लिए रेल मंत्री ने कुछ और ठोस एवं व्यावहारिक पहल की है जैसे कि रेलवे स्टेशन में दाखिल होने के पांच मिनट के अंदर उन्हें टिकट उपलब्ध हो सकेगा। इस सुविधा के शुरू होने पर समय की काफी बचत होगी क्योंकि अक्सर टिकट के लिए लोगों को घंटों पक्तियों में खड़ा होना पड़ता है। बजट में टिकट आरक्षण की समय सीमा 60 दिन से बढ़ाकर 120 दिन कर दी गई है।

यानी कि अब यात्रा के दिन से चार महीने पहले टिकट आरक्षित (बुक) कराया जा सकता है। इसके अलावा ट्रेन के अंदर सुरक्षा के लिए कुछ रेलगाड़ियों में सीसीटीवी कैमरे, तकनीक प्रेमी युवा वर्ग के लिए 400 स्टेशनों पर वाई-फाई की सुविधा, ट्रेनों के आगमन-प्रस्थान पर एसएमएस जैसे कदम रेल को आधुनिक बनाने की दिशा में एक पहल के रूप में देखे जा सकते हैं।

रेल देश की रीढ़ मानी जाती है। इसे सबकी आकांक्षाओं पर खरा उतरना होता है। देश में एक बड़ा तबका गरीब और प्रवासी मजदूरों का है जो पर्व-त्योहारों के समय अपने घरों की तरफ रुखसत होता है। सबसे ज्यादा तकलीफ और परेशानी इसी तबके को झेलनी पड़ती है। एक तबका खाते-पीते लोगों का है जो रेल में सुविधाएं चाहता है। यह तबका चाहता है कि उसे खाना अच्छा मिले, ट्रेन में स्वच्छता और सुरक्षा हो। इन सभी लोगों की उम्मीदों पर रेल मंत्री सुरेश प्रभु को खरा उतरना है। प्रभु ने बजट के जरिए रेल को एक ‘किक’ देने और उसे सुधार की पटरी पर दौड़ाने की पहल की है, उम्मीद की जानी चाहिए कि यह रेल ‘डि-रेल’ नहीं होगी।

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