Indian Defence Budget: 2024-25 के अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लिहाज से देखे तो रक्षा क्षेत्र में बजटीय आवंटन 1.9% है. इसमें पूर्व सैनिकों के पेंशन का हिस्सा भी शामिल है. यदि सैनिकों की पेंशन के हिस्से को छोड़ दिया जाए तो रक्षा क्षेत्र में बजटीय आवंटन 1.5 प्रतिशत से भी कम हो जाएगा.
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Defence Sector Allocation in Budget: एक तरफ चीन के साथ हालिया वर्षों में जहां तनातनी का आलम है वहीं दूसरी तरफ वो पाकिस्तान की भी रक्षा क्षेत्र में पूरी तरह से मदद कर रहा है. भारत के खिलाफ सरहदी इलाकों में वो पाकिस्तान को रक्षा साजो-सामान देकर उसकी सैन्य क्षमता को अपग्रेड कर रहा है. ऐसी सूरतेहाल में भारत को इस वक्त अपने इन दोनों पड़ोसी देशों से सबसे चौकन्ना रहने की जरूरत है लेकिन आज पेश किए गए बजट को यदि देखा जाए तो पता चलेगा कि इस रक्षा क्षेत्र में ऐसी कोई खास बजटीय बढ़ोतरी नहीं की गई है.
सरकार ने मंगलवार को 2024-25 के रक्षा बजट के लिए 6,21,940 करोड़ रुपये (74 अरब डॉलर) आवंटित किए जो पिछले साल के 5.94 लाख करोड़ रुपये से अधिक है. पूंजीगत व्यय 1,72,000 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है. ये भारत सरकार के कुल बजट का 12.9 प्रतिशत है. लेकिन यदि इसको पिछले बजट के साथ तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो इसमें महज 4.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है.
GDP का कुल कितना प्रतिशत
2024-25 के अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लिहाज से देखे तो रक्षा क्षेत्र में बजटीय आवंटन 1.9% है. इसमें पूर्व सैनिकों के पेंशन का हिस्सा भी शामिल है. यदि सैनिकों की पेंशन के हिस्से को छोड़ दिया जाए तो रक्षा क्षेत्र में बजटीय आवंटन 1.5 प्रतिशत से भी कम हो जाएगा. जबकि रक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान और चीन के खतरे को देखते हुए ये हिस्सेदारी कम से कम 2.5 प्रतिशत होनी चाहिए.
हालांकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि घरेलू पूंजी खरीद के लिए 1,05,518 करोड़ रुपये का आवंटन रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को और गति प्रदान करेगा. सिंह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘जहां तक रक्षा मंत्रालय के लिए आवंटन की बात है, मैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को 6,21,940.85 करोड़ रुपये के सर्वाधिक आवंटन के लिए धन्यवाद देता हूं जो 2024-25 के लिए सरकार के कुल बजट का 12.9 प्रतिशत है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘1,72,000 करोड़ रुपये का पूंजीगत परिव्यय सशस्त्र बलों की क्षमताओं को और मजबूत करेगा. घरेलू पूंजीगत खरीद के लिए 1,05,518.43 करोड़ रुपये का प्रावधान आत्मनिर्भरता को और बढ़ावा देगा.’’ सिंह ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि सीमा सड़क संगठन के लिए पूंजीगत मद में पिछले बजट की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक आवंटन किया गया है. बीआरओ को 6,500 करोड़ रुपये का यह आवंटन हमारे सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को और गति देगा.’’
अमेरिका का रक्षा बजट
दुनिया में सबसे बड़ा रक्षा बजट अमेरिका का है. 2023 में 858 अरब डॉलर इस मद में आवंटित किए गए. दुनियाभर में अपनी मिलिट्री प्रेजेंस बनाए रखने, एडवांस टेक्नोलॉजी, रिसर्च एंड डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों के लिए ये भारी-भरकम रकम अमेरिका आवंटित करता है. इसके साथ ही अपने न्यूक्लियर हथियारों को मेंटेन और अपग्रेड करने के लिए, साइबर क्षमताओं को बढ़ाने और स्पेस डिफेंस एक्टिविटीज में इसका उपयोग होता है.
रक्षा क्षेत्र के आधुनिकीकरण पर खर्च कर रहा चीन
रक्षा क्षेत्र में खर्च के मामले में अमेरिका के बाद चीन का दूसरा स्थान है. 2023 का इसका डिफेंस बजट करीब 230 अरब डॉलर का है. अपने पीपुल्स आर्मी को आधुनिक करने और एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए चीन प्रयासरत है. इसलिए वह लगातार इस मद में बड़ा खर्च कर रहा है. मौजूदा दौर में क्षेत्रीय और ग्लोबल मिलिट्री पावर बनने के लिए चीन मिसाइल टेक्नोलॉजी, नौसैन्य क्षमताओं, आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस में बड़ा निवेश कर रहा है.
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रूस की बात
2023 के रक्षा बजट में रूस ने 84 अरब डॉलर आवंटित किए. रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि के बाद आर्थिक चुनौतियों और अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों को देखते हुए ये बड़ी धनराशि है. अपनी परमाणु क्षमताओं को आधुनिक बनाने और सामरिक रणनीतियों को देखते हुए रूस, रक्षा के क्षेत्र में बड़ा खर्च कर रहा है. एडवांस मिसाइड सिस्टम, साइबर वारफेयर क्षमताओं एवं आकर्टिक एवं पूर्वी यूरोप में अपनी उपस्थिति बनाए रखने के लिए रूस लगातार प्रयासरत है.