Repo Rate: जुलाई की महंगाई दर में गिरावट आने के बाद आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में कमी करने की उम्मीद की जा रही है. इस बार की मीटिंग 9 अक्टूबर से शुरू होगी, उससे पहले एमपीसी में तीन नए सदस्यों की नियुक्ति होने वाली है. जानिए क्यों?
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RBI MPC: भारत सरकार की तरफ से जल्द ही रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) में नए बाहरी सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी. यह नियुक्ति अक्टूबर तक होने की उम्मीद है. इस समिति की अक्टूबर में होने वाली अगली बैठक काफी अहम है. इस मीटिंग के दौरान एमपीसी पर ब्याज दर कम करने का दबाव होगा. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर और सरकार के अधिकारी अगले दो हफ्तों में समिति के लिए संभावित उम्मीदवारों की सिफारिश करेंगे.
सितंबर के आखिर या अक्टूबर में हो सकता है ऐलान
बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित खबर के अनुसार जिन उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश की जाएगी, उनके नामों का ऐलान सितंबर अंत या अक्टूबर की शुरुआत में होने की उम्मीद है. मौद्रिक नीति समिति (MPC) में कुल छह सदस्य होते हैं. इनमें से तीन मेंबर बाहरी होते हैं और तीन सदस्य रिजर्व बैंक के अधिकारी होते हैं. इन सदस्यों का नेतृत्व आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास करते हैं. बाहर से आने वाले सदस्य आमतौर पर इकोनॉमिक्स के जानकार होते हैं. इनका कार्यकाल चार साल का होता है.
4 अक्टूबर को पूरा हो रहा कार्यकाल
मौजूदा समय में बाहर से आए मेंबर जयंथ वर्मा, अशिमा गोयल और शशांका भिड़े का टर्म 4 अक्टूबर को पूरा हो रहा है. ब्याज दर निर्धारण के लिए अगली एमपीसी 9 अक्टूबर को होने वाली है. छह सदस्यों की चयन समिति में गर्वनर शक्तिकांत दास, कैबिनेट सचिव टी.वी. सोमानथन, आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ और अन्य अधिकारी शामिल हैं. समिति को 2020 में होने वाली गलती से इस बार बचना होगा. दरअसल, 2020 में बाहरी सदस्यों की नियुक्ति में देरी के कारण आरबीआई को तय मीटिंग को होल्ड करना पड़ा था.
ब्याज दर में बदलाव होने की उम्मीद
वित्त मंत्रालय और आरबीआई के स्पोकपर्सन ने इस पर किसी तरह का जवाब नहीं दिया है. नए एमपीसी की नियुक्ति ग्लोबल सेंट्रल बैंकों की नीति में बदलाव की उम्मीदों के बीच होनी है. फेडरल रिजर्व की तरफ से सितंबर की शुरुआत में ब्याज दर में कटौती की जा सकती है. इसका असर दूसरे केंद्रीय बैंकों पर भी देखने को मिल सकता है, दूसरे केंद्रीय बैंक मार्केट में उथल-पुथल से बचने के लिए कार्रवाई करेंगे. एशिया प्रशांत क्षेत्र में न्यूजीलैंड और फिलीपींस ने पहले ही ब्याज दर को कम कर दिया है.
अधिकांश इकोनॉमिस्ट का मानना है कि RBI साल की अंतिम तिमाही तक ब्याज दर में किसी प्रकार की कटौती नहीं करेगा. आरबीआई की तरफ से उस समय कदम उठाए जाने की उम्मीद है जब FED अपनी नीति बदलेगा. हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि उपभोक्ता मांग कम हो रही है और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दर में कटौती की जानी चाहिए. एमपीसी में बदलाव ऐसे समय में हो रहा है जब सरकार अपने सीपीआई में बदलाव के प्रोसेस को शुरू कर रही है.