Onion Prices in Delhi: प्याज की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए अब केंद्र सरकार ने 40 परसेंट निर्यात शुल्क लगाया है.ऐसा सरकार ने पहली बार किया है. 31 दिसंबर 2023 तक प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगा रहेगा.
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Onion Prices in UP: चीन के बाद भारत दुनिया में सबसे बड़ा प्याज उत्पादक है. लेकिन अब प्याज के दाम बढ़ने की आशंका के मद्देनजर भारत ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए शनिवार को प्याज पर 40 प्रतिशत एक्सपोर्ट सेस लगा दिया.सरकारी आंकड़ों की मानें तो पहली बार प्याज पर एक्सपोर्ट सेस लगाया गया है.प्याज का खुदरा बिक्री मूल्य शनिवार को दिल्ली में 37 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर प्याज की औसत खुदरा कीमत शनिवार को 30.72 रुपये प्रति किलोग्राम थी. यह कीमत अधिकतम कीमत 63 रुपये प्रति किलोग्राम और न्यूनतम कीमत 10 रुपये प्रति किलोग्राम थी. अब 31 दिसंबर 2023 तक प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगा रहेगा. चालू वित्त वर्ष में एक अप्रैल से चार अगस्त के बीच देश से 9.75 लाख टन प्याज एक्सपोर्ट किया गया है. मूल्य के लिहाज से शीर्ष तीन आयातक देश बांग्लादेश, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात हैं.
दामों पर काबू पाने की कोशिश
दरअसल हमेशा से सरकार प्याज के एक्सपोर्ट पर अंकुश लगाने के लिए मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइम टूल का उपयोग करती रही है. लेकिन पहली बार एक्सपोर्ट सेस लगाया गया है. दरअसल मौजूदा खरीफ सीजन में प्याज कवरेज में कमी की सुर्खियां उड़ीं, जिसके बाद कीमतों में भी उछाल आने लगा. जुलाई के थोक मूल्य सूचकांक (WPI) की मानें तो जून के महीने में प्याज की मुद्रास्फीति (-)4.31 फीसदी की तुलना में बढ़कर 7.12 परसेंट हो गई थी.
बफर जोन के प्याज की बिक्री
जुलाई के महीने में खाने-पीने की चीजों की कीमतों में अत्यधिक बढ़ोतरी की वजह से सालाना खुदरा या उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति 15 महीने के सबसे ऊंचे लेवल 7.44 परसेंट तक पहुंच गई. यह जून के महीने में सिर्फ 4.87 परसेंट थी.
हालांकि तीन लाख टन प्याज का बफर स्टाक सरकार ने बनाए रखा है.अब पिछले हफ्ते से कई अहम जगहों पर थोक बाजारों में इसको बेचना शुरू कर दिया है. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली की थोक मंडियों में 2000 टन का बफर जोन के प्याज की बिक्री हो चुकी है.
बफर प्याज का इस्तेमाल आमतौर पर अगस्त और सितंबर से लेकर अक्टूबर में नई फसल के आने तक किया जाता है. प्याज हमेशा राजनीतिक रूप से संवेदनशील रहा है. साल के अंत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे प्रमुख राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह प्रतिबंध महत्वपूर्ण है. भारत में कर्नाटक और महाराष्ट्र मुख्य प्याज उत्पादक राज्य हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मॉनसून देरी से आने की वजह से सुस्त खरीफ बुआई की सुर्खियों के बीच प्याज की खुदरा कीमतें 30 दिनों में ही 25 रुपये किलो से बढ़कर 30 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं.
(एजेंसी इनपुट के साथ)