IMF: आईएमएफ का यह अनुमान वर्ल्ड बैंक के अनुमान के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है, जो कि चालू वित्त वर्ष की विकास दर के अनुमान से अधिक है.
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IMF forecasts India's growth: दुनिया में भारत सबसे तेजी से बढ़ती आर्थिक ताकत बन रहा है. आर्थिक विकास दर के मामले में तो भारत दुनिया के विकसित देशों को पीछा कर रहा है. IMF ने कहा है कि अगले वित्तीय साल में भारत की आर्थिक विकास दर दुनिया में सबसे तेज़ बढ़ेगी.
IMF के मुताबिक 2025-26 में भारत की आर्थिक विकास दर 6.5 फीसदी रहेगी. जबकि अमेरिका की 2.7 फीसदी रहने का अनुमान है. इसी तरह चीन की आर्थिक विकास दर अगले वित्त वर्ष में 4.6 फीसदी रह सकती है. वहीं, रूस की आर्थिक विकास दर 1.6 फीसदी रह सकती है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था 2025 और 2026 में 6.5 प्रतिशत की गति से बढ़ सकती है. यह हमारे अक्टूबर में जारी किए गए अनुमान के अनुरूप है.
आईएमएफ का यह अनुमान वर्ल्ड बैंक के अनुमान के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है, जो कि चालू वित्त वर्ष की विकास दर के अनुमान से अधिक है.
वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर: IMF
आईएमएफ के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर बनी हुई है. कुछ एशियाई और यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं में निराशाजनक डेटा जारी होने के बाद, 2024 की तीसरी तिमाही में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अक्टूबर 2024 के वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में अनुमानित वृद्धि से 0.1 प्रतिशत कम थी.
आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री और शोध निदेशक पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने कहा, "इस साल और अगले साल वैश्विक विकास दर 3.3 प्रतिशत पर स्थिर रहने का अनुमान है. महंगाई दर लगातार घट रही है. इस साल 4.2 प्रतिशत और अगले साल 3.5 प्रतिशत तक पहुंच सकती है."
अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत घरेलू मांग की उम्मीदों के कारण अधिक बढ़ रही है. वहीं, यूरोप धीमे विकास और लगातार उच्च ऊर्जा कीमतों का सामना कर रहा है. गौरींचस ने कहा, "उभरते बाजारों में मजबूती दिख रही है, चीन में मामूली सुधार की संभावना है."
सभी निगाहें RBI पर
उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में 2025 और 2026 में विकास दर मोटे तौर पर 2024 के जीडीपी वृद्धि दर के अनुरूप ही रहेगी. आईएमएफ के अनुसार, कम होती महंगाई में नीति-जनित व्यवधान मौद्रिक नीति को आसान बनाने की राह को बाधित कर सकते हैं, जिसका राजकोषीय स्थिरता और वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव पड़ सकता है.
गौरींचस ने कहा कि महंगाई के जोखिमों को देखते हुए मौद्रिक नीति को तय किया जाना चाहिए. इसके लिए जहां आवश्यक हो, विश्वसनीय समेकन प्रयासों को लागू करने चाहिए.
अब सभी की निगाहें आरबीआई पर हैं कि क्या वह अगले महीने महंगाई के कम होने पर दरों में कटौती को लागू करता है. इस गुरुवार को जारी विश्व बैंक की वैश्विक आर्थिक संभावनाओं में भारत में चालू वित्त वर्ष की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है.
(एजेंसी- IANS)