Reserve Bank of India: इस बार तीन नए बाहरी सदस्यों को एमपीसी में जगह दी गई है. खुदरा महंगाई दर अब भी चिंता का कारण बनी हुई है. इसके अलावा पश्चिमी एशिया संकट के और बिगड़ने की संभावना है, जिसका असर कच्चे तेल और जिंस कीमतों पर पड़ेगा.
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RBI MPC Meeting: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तीन दिवसीय द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा (MPC) के नतीजों का ऐलान अब से कुछ घंटों बाद किया जाएगा. 7 अक्टूबर को शुरू हुई तीन दिवसीय एमपीसी का आज आखिरी दिन है. मीटिंग में लिये गए फैसलों के बारे में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की तरफ से जानकारी दी जाएगी. अगर आप सस्ते होम लोन या पर्सनल लोन का इंतजार कर रहे हैं तो आपको आज फिर से एक बार झटका लग सकता है. महंगाई के आंकड़े को देखते हुए इस बार रेपो रेट में कटौती होने की संभावना कम ही है. हालांकि रियलएस्टेट समेत अलग-अलग इंडस्ट्री की तरफ से ब्याज दर में राहत देने की मांग पिछले काफी समय से की जा रही है.
महंगाई दर अब भी चिंता का कारण बनी हुई
इस बार तीन नए बाहरी सदस्यों को एमपीसी में जगह दी गई है. खुदरा महंगाई दर अब भी चिंता का कारण बनी हुई है. इसके अलावा पश्चिमी एशिया संकट के और बिगड़ने की संभावना है, जिसका असर कच्चे तेल और जिंस कीमतों पर पड़ेगा. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास एमपीसी (MPC) की तरफ से लिये गए फैसलों के बारे में डिटेल में जानकारी देंगे. जानकारों का मानना है कि रिजर्व बैंक की तरफ से रेपो रेट में कटौती की उम्मीद नहीं है, क्योंकि महंगाई दर अभी चिंताजनक स्तर पर बनी हुई है. फरवरी, 2023 से रेपो रेट 6.5 प्रतिशत के स्तर पर बना हुआ है. हाल ही में फाइनेंस मिनिस्ट्री की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि राम सिंह, सौगत भट्टाचार्य और नागेश कुमार को एमपीसी का नया बाहरी सदस्य नियुक्त किया गया है.
लगातार नौ MPC से रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं
अगर आरबीआई इस बार भी रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं करेगा तो यह लगातार दसवां मौका होगा जब इसे पुराने स्तर पर ही कायम रखा जाएगा. आरबीआई ने पिछली बार फरवरी, 2023 में रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था. उसके बाद से इसमें पिछली नौ द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया. सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) बेस्ड खुदरा महंगाई दर चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर बनी रहे. मौजूदा समय में जानकारों का मानना है कि यह उम्मीद कम ही है कि आरबीआई अमेरिकी फेडरल रिजर्व का अनुसरण नहीं करेगा, जिसने बेंचमार्क दर में 0.5 प्रतिशत की कमी की है.
महंगाई के पूर्वानुमान को 0.1-0.2 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है और जीडीपी (GDP) अनुमान में किसी बदलाव की संभावना नहीं है. केंद्रीय बैंक ने पिछली बार फरवरी, 2023 में रेपो रेट बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया था और तब से यह उसी स्तर पर बरकरार है. इक्रा की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा कि शुरुआती पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि एमपीसी के अनुमान से कम रहने और दूसरी तिमाही में खुदरा महंगाई दर के कम रहने के अनुमान को देखते हुए मानना है कि अक्टूबर, 2024 की एमपीसी में इसे पुराने स्तर पर ही बरकरार रखना उचित हो सकता है. उन्होंने कहा रेपो रेट में दिसंबर, 2024 और फरवरी, 2025 में 0.25 प्रतिशत की कटौती हो सकती है.
क्या होता है रेपो रेट?
जिस रेट पर आरबीआई की तरफ से बैंकों को लोन दिया जाता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट बढ़ने का मतलब है कि बैंकों को आरबीआई से महंगे रेट पर लोन मिलेगा. इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन आदि की ब्याज दर बढ़ जाएगी, जिसका आपकी ईएमआई पर सीधा असर पड़ेगा.