Repo Rate: आरबीआई की 7 से 9 अक्टूबर के बीच होने वाली एमपीसी मीटिंग में रेपो रेट को लेकर फैसला होना है. फेड रिजर्व की तरफ से दर में कटौती किये जाने के बाद रिजर्व बैंक पर ब्याज दर कम करने का दवाब है. हालांकि जानकारों की तरफ से इसमें कटौती की उम्मीद कम ही है.
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RBI MPC Meeting: फेड रिजर्व की तरफ से पिछले दिनों ब्याज दर में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई थी. इसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) पर घरेलू बाजार में रेपो रेट कम करने का दबाव बढ़ गया. आरबीआई की 7 से 9 अक्टूबर तक चलने वाली तीन दिवसीय द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक (MPC) में ब्याज दर को लेकर चर्चा की जाएगी. जानकारों की तरफ से संभावना जताई गई है कि इस बार आरबीआई (RBI) की तरफ से रेपो रेट में कटौती की संभावना नहीं है. उनका कहना है कि खुदरा महंगाई दर अब भी चिंता का कारण बनी हुई है. इसके अलावा पश्चिमी एशिया संकट के और बिगड़ने की संभावना है, जिसका असर कच्चे तेल और जिंस कीमतों पर पड़ेगा.
किसी प्रकार की कटौती नहीं किये जाने की उम्मीद
आरबीआई की एमपीसी (MPC) से पहले जानकारों की तरफ से ब्याज दर में किसी प्रकार की कटौती नहीं किये जाने की उम्मीद से होम लोन लेने वालों को झटका लगा है. दरअसल, आरबीआई की तरफ से ब्याज दर कम किये जाने का असर लोन की ब्याज दर पर पड़ता है. अक्टूबर की शुरुआत में सरकार ने आरबीआई की दर-निर्धारण समिति मौद्रिक नीति समिति (MPC) की री-स्ट्रक्चरिंग की है. इसमें तीन नए नियुक्त बाहरी सदस्यों के साथ पुनर्गठित समिति अपनी पहली बैठक शुरू करेगी. तीन दिन चलने वाली बैठक के बाद एमपीसी चेयरमैन आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास 9 अक्टूबर को नतीजों की घोषणा करेंगे.
फरवरी 2023 से रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर कायम
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने फरवरी, 2023 से रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा है. जानकारों का मानना है कि दिसंबर में ही इसमें कुछ ढील की गुंजाइश है. सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) बेस्ड खुदरा महंगाई दर चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर बनी रहे. मौजूदा समय में जानकारों का मानना है कि यह उम्मीद कम ही है कि आरबीआई अमेरिकी फेडरल रिजर्व का अनुसरण नहीं करेगा, जिसने बेंचमार्क दर में 0.5 प्रतिशत की कमी की है.
रेपो रेट या एमपीसी के रुख में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं
आरबीआई कुछ दूसरे विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों का भी अनुसरण नहीं करेगा, जिन्होंने ब्याज दर में कमी की है. बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा, 'हमें रेपो रेट या एमपीसी के रुख में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं है. इसका कारण यह है कि सितंबर और अक्टूबर में महंगाई दर 5 प्रतिशत से ऊपर रहेगी और मौजूदा कम महंगाई दर आधार प्रभाव के कारण है. इसके अलावा, मुख्य महंगाई दर धीरे-धीरे बढ़ रही है.' सबनवीस ने कहा कि इसके अलावा, हाल ही में ईरान-इजरायल संघर्ष और भी गहरा सकता है, और यहां अनिश्चितता का माहौल है.
ऐसे में नए सदस्यों के लिए इसे पुराने स्तर पर ही बरकरार रखना सबसे संभावित विकल्प है. महंगाई के पूर्वानुमान को 0.1-0.2 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है और जीडीपी (GDP) अनुमान में किसी बदलाव की संभावना नहीं है. केंद्रीय बैंक ने पिछली बार फरवरी, 2023 में रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था और तब से यह उसी स्तर पर बरकरार है. इक्रा की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा कि शुरुआती पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि एमपीसी के अनुमान से कम रहने और दूसरी तिमाही में खुदरा महंगाई दर के कम रहने के अनुमान को देखते हुए हमारा मानना है कि अक्टूबर, 2024 की एमपीसी में इसे पुराने स्तर पर ही बरकरार रखना उचित हो सकता है. उन्होंने कहा इसके बाद रेपो रेट में दिसंबर, 2024 और फरवरी, 2025 में 0.25 प्रतिशत की कटौती हो सकती है.