RBI Repo Rate: अपने फैसले से फ‍िर चौंका सकता है RBI, इस बार इतना बढ़ेगा रेपो रेट!
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RBI Repo Rate: अपने फैसले से फ‍िर चौंका सकता है RBI, इस बार इतना बढ़ेगा रेपो रेट!

अगर आपने भी क‍िसी बैंक से होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन ले रखा है तो यह खबर आपके काम की है. विशेषज्ञों की तरफ से उम्‍मीद जताई गई क‍ि रिजर्व बैंक ऑफ इंड‍िया (RBI) आने वाले समय में नीतिगत दरों में 0.25 से 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है.

RBI Repo Rate: अपने फैसले से फ‍िर चौंका सकता है RBI, इस बार इतना बढ़ेगा रेपो रेट!

RBI Repo Rate : अगर आपने भी क‍िसी बैंक से होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन ले रखा है तो यह खबर आपके काम की है. विशेषज्ञों की तरफ से उम्‍मीद जताई गई क‍ि रिजर्व बैंक ऑफ इंड‍िया (RBI) आने वाले समय में नीतिगत दरों में 0.25 से 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि मुद्रास्फीति लगातार ऊंचे स्तर पर बनी हुई है, ऐसे में रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ब्याज दरों में चौथाई से आधा प्रतिशत की एक और वृद्धि कर सकती है.

फैसलों की जानकारी कल सामने आएगी

मौद्रिक नीति समिति (MPC) की सोमवार से द्विमासिक समीक्षा बैठक जारी है और इसमें लिए गए फैसलों के बारे में बुधवार को जानकारी दी जाएगी. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) की तरफ से पहले ही ऐसे संकेत द‍िए जा चुके हैं कि नीतिगत ब्याज दर में बढ़ोतरी की जा सकती है. आरबीआई ने पिछले महीने भी अचानक रेपो दर (Repo Rate) और नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में वृद्धि कर सबको चौका दिया था.

बढ़ती हुई मुद्रास्फीति को बताया जिम्मेदार

आरबीआई ने मई महीने में रेपो दर को 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया गया था, जबकि सीआरआर में भी 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी. रिजर्व बैंक के इस सख्त कदम के लिए बढ़ती हुई मुद्रास्फीति को जिम्मेदार बताया गया था. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर, 2021 से ही लगातार बढ़ रही है. खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी से ही आरबीआई के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है.

सीआरआर में बदलाव की उम्‍मीद कम

अप्रैल, 2022 में यह आठ साल के उच्चस्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई. एचडीएफसी बैंक ट्रेजरी रिसर्च डेस्क की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई अपने रुख और सीआरआर दर को अपरिवर्तित रखते हुए नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है. रिपोर्ट कहती है, 'हमें रेपो दर में 0.50 प्रतिशत के बजाय 0.25 प्रतिशत की ही वृद्धि की संभावना ज्यादा दिख रही है. हमें इस स्तर पर दर में एक और बड़ी वृद्धि के हालात नहीं दिखते हैं.'

इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया कि आरबीआई वैश्विक और घरेलू मूल्य दबावों में बदलाव का हवाला देते हुए मुद्रास्फीति के 5.7 प्रतिशत के पूर्वानुमान में 0.70-0.80 प्रतिशत तक का बदलाव कर सकता है. यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पान ने कहा कि मुद्रास्फीति ने आरबीआई के समक्ष मौद्रिक नीति को सख्त करने की जरूरत पैदा की है. उन्होंने कहा, हमें लगता है कि आरबीआई जून में रेपो दर में 0.35 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है.

इतना ही नहीं इसके बाद अगस्त और सितंबर में भी रेपो रेट में 0.25-0.25 प्रतिशत की वृद्धि की जा सकती है. उस समय तक जिंसों की कीमतें नीचे आने की संभावना है जिससे घरेलू मुद्रास्फीति चक्र को भी कुछ सहूलियत मिल सकती है. वहीं त्रेहन समूह के प्रबंध निदेशक सारांश त्रेहन ने कहा कि आरबीआई प्रमुख नीतिगत दरों में 0.50 प्रतिशत तक की वृद्धि कर सकता है. उन्होंने कहा कि बैंक इसका बोझ कर्जदारों पर ही डालेंगे लेकिन ब्याज दरों के निचले स्तर पर होने से मांग पर इसका खास असर नहीं पड़ेगा.

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इंफोमेरिक्स ने नीतिगत दर में 0.35-0.50 प्रतिशत तक की वृद्धि किए जाने का अनुमान जताया है. ट्रस्ट म्यूचुअल फंड के कोष प्रबंधक आनंद नेवतिया ने भी कहा कि आरबीआई तरलता में कमी लाने के लिए सीआरआर बढ़ाने के साथ रेपो दर में 0.35-0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है.

(इनपुट भाषा से)

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