डिजिटल अकाउंट में रखे पैसे में कैसा रिस्क? RBI ने बैंकों को किया आगाह
Advertisement
trendingNow12353702

डिजिटल अकाउंट में रखे पैसे में कैसा रिस्क? RBI ने बैंकों को किया आगाह

LCR Norms: सिलिकॉन वैली बैंक की समस्‍या को देखने के बाद आरबीआई की तरफ से नया न‍ियम लागू करने की तैयारी की जा रही है. सिलिकॉन वैली बैंक की हालत खराब होने के बाद ग्राहकों ने चंद घंटों में ही अपना पैसा खातों से न‍िकाल ल‍िया था.

डिजिटल अकाउंट में रखे पैसे में कैसा रिस्क? RBI ने बैंकों को किया आगाह

Digital Account: र‍िजर्व बैंक ने प‍िछले द‍िनों बैंकों में कम आ रही नगदी और पैसे के शेयर बाजार की तरफ बढ़ते फ्लो के प्रत‍ि आगाह क‍िया था. शेयर बाजार में तेजी से न‍िवेश बढ़ने का असर बैंकों में जमा पैसे पर पड़ रहा है. एक र‍िपोर्ट से सामने आया था क‍ि न‍िवेशकों बैंकों से एफडी तोड़कर स्‍टॉक मार्केट में लगा रहे हैं. यही कारण है क‍ि आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में इजाफा नहीं क‍िये जाने के बावजूद बैंकों की तरफ से ब्‍याज दर को बढ़ाया जा रहा है. ब्‍याज दर बढ़ाए जाने का मकसद ग्राहकों को ज्‍यादा से ज्‍यादा आकर्ष‍ित करना है.

RBI ने डिजिटल अकाउंट के पैसे को हॉट मनी बताया

इन सबके मद्देनजर आरबीआई (RBI) ने डिजिटल अकाउंट में जमा पैसे को हॉट मनी (Hot Money) बताया है. इसका सीधा सा मतलब यह हुआ क‍ि इस पैसे को जल्दी निकाला जा सकता है और इससे बैंक को र‍िस्‍क रहता है. यह फैसला पिछले साल सिलिकॉन वैली बैंक की प्रॉब्‍लम को देखते हुए लिया गया है. उस समय बैंक की स्थिति खराब होने की जानकारी म‍िलते ही लोगों ने चंद घंटों में अपना पैसा न‍िकाल ल‍िया था.

यह भी पढ़ें: बैंकों से तेजी से गायब हो रहा पैसा, RBI गवर्नर ने जताई च‍िंता; बताया क्‍या है कारण?

अकाउंट के पैसे पर रन-ऑफ फैक्टर लगेगा
आरबीआई के नए न‍ियमों के अनुसार बैंकों को ऐसे रिटेल सेव‍िंग अकाउंट को ज्‍यादा र‍िस्‍क वाली कैटेगरी में रखना होगा, जिनसे नेट बैंक‍िंग या मोबाइल बैंकिंग के जरिये आसानी से पैसा न‍िकाला जा सकता है. इसका मतलब यह हुआ क‍ि इंटरनेट और मोबाइल बैंक‍िंग की सर्व‍िस लेने वाले स्‍टेबल र‍िटेल ड‍िपॉज‍िट अकाउंट पर 10% और कम स्‍टेबल अकाउंट पर 15% का रन-ऑफ फैक्टर लगेगा. रन-ऑफ फैक्टर जमा की गई राश‍ि का वह हिस्सा है, ज‍िसके क‍िसी संकट की स्थिति में निकाले जाने की उम्मीद सबसे पहले होती है.

अगले साल 1 अप्रैल से लागू होगा नया न‍ियम
आरबीआई की तरफ से जारी क‍िये गए एलसीआर नियमों का मकसद यह तय करना है क‍ि बैंकों के पास किसी फाइनेंश‍ियल क्राइस‍िस के दौरान छोटी अवधि की ज‍िम्‍मेदार‍ियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त ल‍िक्‍व‍िड‍ एसेट हो. हाई क्‍वाल‍िटी ल‍िक्‍व‍िड एसेट में ऐसे बॉन्ड आते हैं जिन्हें आसानी से और बिना किसी लागत के नकदी में बदला जा सकता है. नए एलसीआर न‍ियमों को 1 अप्रैल, 2025 से लागू क‍िया जाएगा.

यह भी पढ़ें: RBI बदलेगा बैंकों के कामकाज का तरीका, नहीं सुधरे तो लागू होगी 'जीरो टॉलरेंस' पॉल‍िसी!

प‍िछले कुछ सालों में बैंकिंग में तेजी से बदलाव आया
आरबीआई की तरफ से बैंकों को भेजे गए सर्कुलर में कहा गया क‍ि प‍िछले कुछ सालों में बैंकिंग में तेजी से बदलाव आया है. टेक्नोलॉजी के बढ़ते यूज से तुरंत पैसे ट्रांसफर करना और निकालना आसान हो गया है. लेकिन इससे र‍िस्‍क भी बढ़ गए हैं, जिन्हें समय रहते संभालने की जरूरत है. आरबीआई ने कहा कि प‍िछली कुछ घटनाओं को देखते हुए बैंकों के लिए एलसीआर फ्रेमवर्क का र‍िव्‍यू क‍िया गया है. नए नियमों के तहत छोटे व्यापारियों से लिए गए बिना किसी गारंटी वाले लोन को भी र‍िटेल ड‍िपॉज‍िट की तरह माना जाएगा, जिसका मतलब है कि उन पर भी नए रन-ऑफ फैक्टर लागू होंगे.

HDFC बैंक ने मर्जर के बाद धीमी गत‍ि से आगे बढ़ने का लक्ष्य रखा है, जिससे क्रेड‍िट टू ड‍िपॉज‍िट रेश्‍यो और ल‍िक्‍व‍िड‍िटी में सुधार करना है. सीईओ शश‍िधर जगदीशन ने टेक्‍नोलॉजी में निवेश और खाताधारकों को होम लोन देने में बढ़ोतरी करना है. बैंक का टारगेट कस्‍टमर खर्च से प्रेरित र‍िटेल लोन ग्रोथ को देखते हुए क्रॉस-सेल अपार्च्‍युन‍िटी का फायदा उठाना है.

महंगाई बढ़ने और सेव‍िंग अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज की दर स्थिर रहने की वजह से मुंबई के लोगों ने म्यूचुअल फंड और SIP में पैसा लगाना शुरू कर दिया है. इसके जवाब में कोटक और एचडीएफसी बैंकों ने अपनी ब्रांच का विस्तार किया और अपनी सर्व‍िस को पहले के मुकाबले बेहतर बनाया. यस बैंक ने भी पैसा जमा करने वालों की संख्‍या बढ़ाने के लि‍ए अपनी ब्रांच संख्‍या बढ़ाई है. बैंक अपना ड‍िपॉज‍िट बेस बढ़ाने के ल‍िए कस्‍टमर ट्रांजेक्‍शन और सर्व‍िस को बढ़ावा देने का टारगेट रखते हैं.

TAGS

Trending news