Banks Deposits: रिपोर्ट से यह साफ हुआ है कि तिमाही बेस पर जमा की वृद्धि की तुलना में शेड्यूल बैंकों के लोन में बहुत ज्यादा इजाफा हुआ है. फाइनेंशियल ईयर 2018-19 से 2023-24 के दौरान बैंकों के लोन की वृद्धि जमा की वृद्धि से आगे निकल गई.
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Loan Demand Hike: रियलएस्टेट मार्केट में तेजी के बीच पिछले दो फाइनेंशियल ईयर में लोन की बढ़ती मांग को पूरा करने में बैंकों को काफी मशक्कत करनी पड़ी. बैंकों के पास बड़ी जमाराशि नहीं होने से इस तरह की स्थिति पैदा हुई है. एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि क्रेडिट असेसमेंट से जुड़ी इंफोमेरिक्स रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि शेड्यूल कमर्शियल बैंक (SCB) ने फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में 1,64,98,006 करोड़ रुपये का लोन बांटा जो अब तक का हायर बकाया लोन है. हालांकि प्रतिशत के लिहाज से जमा के अनुपात में लोन की वृद्धि दर 75.8 प्रतिशत से बढ़कर 80.3 प्रतिशत हो गई.
पिछले पांच साल में लोन वृद्धि दर जमा वृद्धि दर से पीछे
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अप्रैल 2024 के बुलेटिन के अनुसार मार्च 2024 में इंक्रीमेंटल लोन-डिपॉजिट रेश्यो (ICDR) करीब 95.94 प्रतिशत रहा, जबकि 8 मार्च को यह 92.95 प्रतिशत था. रिपोर्ट के अनुसार यह देखा जा सकता है कि तिमाही आधार पर भी जमा की वृद्धि की तुलना में शेड्यूल बैंकों के लोन में बहुत ज्यादा इजाफा हुआ है. फाइनेंशियल ईयर 2018-19 से फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के दौरान बैंकों के लोन की वृद्धि जमा की वृद्धि से आगे निकल गई. इसमें कहा गया कि असंगठित क्षेत्र, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में वैकल्पिक निवेश और पर्याप्त नकदी आधार ने जमा संग्रह की रफ्तार सुस्त कर दी.
कम उम्र के पर्सनल इनवेस्टर का रेश्यो लगातार बढ़ा
रिपोर्ट के अनुसार 30 साल की उम्र से कम के पर्सनल इनवेस्टर का रेश्यो लगातार बढ़ा है. रजिस्टर्ड इनवेस्ट बेस में युवाओं की हिस्सेदारी फाइनेंशियल ईयर 2018-19 के 22.6 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (31 जुलाई, 2024 तक) तक 39.9 प्रतिशत हो गई है. यह प्रवृत्ति युवा निवेशकों के बीच इक्विटी मार्केट को लेकर बढ़ती दिलचस्पी को दर्शाती है. रिपोर्ट के अनुसार इसी अवधि में 30-39 वर्ष की आयु के निवेशकों की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत स्थिर रही जबकि 40 से अधिक आयु वालों की हिस्सेदारी घटी है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
रिपोर्ट के नतीजों पर BASIC होम लोन के सीईओ और को-फाउंडर अतुल मोंगा (Atul Monga) ने कहा कि डिपॉजिट रेश्यो बढ़ाने के लिए बैंकों और सरकार को कोशिश करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बैंकों को बल्क कॉरपोरेट डिपॉजिट का पीछा करने की बजाय आम लोगों से छोटी-छोटी जमा राशि जुटाने की जरूरत है. लोगों को आकर्षक स्कीम के जरिये निवेश के प्रति प्रेरित किया जाए. इसके साथ ही सरकार को जमा पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स घटाने के बारे में भी सोचना चाहिए. (इनपुट भाषा से भी)