REAL ESTATE PROJECT: सुपरटेक ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) के इस साल 25 मार्च के आदेश को अपीलीय न्यायाधिकरण में चुनौती दी है. एनसीएलटी (NCLT) ने कंपनी के खिलाफ दीवाला कार्यवाही शुरू की थी.
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Supertech Latest News: नोएडा और ग्रेटर नोएडा की हाउसिंग सोसाइटी में फ्लैट लेने वाले हजारों लोग रजिस्ट्री और पजेशन को लेकर परेशान हैं. लेकिन इस बीच एक और नया मामला सामने आया है. कर्ज के बोझ में दबी रियल्टी कंपनी सुपरटेक (Supertech) के अंतरिम समाधान पेशेवर ने एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कंपनी ने संबंधित विकास प्राधिकरणों से ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट (OC) लिए बगैर ही 18 हाउसिंग प्रोजेक्ट में 9,705 फ्लैट खरीदारों को सौंप दिए.
कंपनी के खिलाफ दीवाला कार्यवाही शुरू की थी
अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) हितेश गोयल ने कंपनी के बारे में स्थिति रिपोर्ट राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLT) को सौंपी है. सुपरटेक ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) के इस साल 25 मार्च के आदेश को अपीलीय न्यायाधिकरण में चुनौती दी है. एनसीएलटी (NCLT) ने कंपनी के खिलाफ दीवाला कार्यवाही शुरू की थी. यह मामला अभी एनसीएलएटी के समक्ष लंबित है. यह स्थिति रिपोर्ट उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड में 18 आवासीय परियोजनाओं से संबंधित है. इसे एनसीएलएटी को 31 मई को सौंपा गया था.
OC के आवेदन वाले फ्लैट का कब्जा दिया
रिपोर्ट में कहा गया कि 'प्रबंधन से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक 148 टॉवर/भूखंड/विला में करीब 10,000 आवास ऐसे हैं, जिनमें कब्जे की पेशकश ओसी (OC) मिले बगैर ही की गई. इनमें से 9,705 फ्लैट मालिकों ने ओसी (OC) के बगैर ही कब्जा ले लिया. इन परियोजनाओं में ग्रेटर नोएडा में इको-विलेज-1 में ओसी के बगैर सर्वाधिक 3,171 कब्जे दिए गए. इस रिपोर्ट में गोयल ने कहा कि प्रबंधन ने यह स्पष्ट किया है कि केवल उन्हीं टॉवर में कब्जा देने की पेशकश की गई जिनके लिए ओसी (OC) का आवेदन दिया है और जिनके लिए संबंधित अधिकारियों से वैध अनापत्ति प्रमाणपत्र मिल चुके हैं.
प्रबंधन ने यह भी कहा कि वैसे तो ये टॉवर सौंपने के लिहाज से तैयार हैं लेकिन सुपरटेक लिमिटेड के बकाया का भुगतान नहीं हो सका है इसलिए इनके ओसी अधिकारियों के पास ही हैं. उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (RERA) के कानूनी सलाहकार वेंकेट राव ने कहा, 'बिल्डर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में विकास प्राधिकरणों से जमीन पट्टे पर ले लेते हैं, वहां परियोजना का निर्माण करते हैं लेकिन पट्टे की राशि का भुगतान नहीं करते. ऐसे में जब तक बकाया का भुगतान नहीं हो जाता, विकास प्राधिकरण उन्हें ओसी नहीं देते.' (Input PTI)
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