चीन अपनी खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को संभाल नहीं पा रहा है. शी जिनपिंग की नीतियों ने चीन की अर्थव्यवस्था को बर्बादी के कगार पर ला लिया है. कोविड के बाद से चीन की इकोनॉमी लगातार बिगड़ रही है. अगर कोई शी जिनपिंग की नीतियों की आलोचना कर दें तो वो अचानक गायब हो जाता है.
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china: चीन अपनी खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को संभाल नहीं पा रहा है. शी जिनपिंग की नीतियों ने चीन की अर्थव्यवस्था को बर्बादी के कगार पर ला लिया है. कोविड के बाद से चीन की इकोनॉमी लगातार बिगड़ रही है. अगर कोई शी जिनपिंग की नीतियों की आलोचना कर दें तो वो अचानक गायब हो जाता है. कभी बिजनेसमैन गायब हो जाता है तो कभी अर्थशास्त्री. तानाशाह शी जिनपिंग की आलोचना करने वाले चीनी सरकार के निशाने पर आ जाते हैं. बीते कई दिनों से चीन के एक प्रमुख अर्थशास्त्री कथित तौर पर ग़ायब हो गए हैं. झू हेंगपेंग की गिनती चीन के जानेमने अर्थशास्त्रियों के तौर पर होती है. बीते दिनों उन्होंने चीनी सरकार, शी जिनपिंग की आलोचना की थी. इसके बाद से वो अचानक गायब बताए जा रहे हैं.
कौन हैं चीनी अर्थशास्त्री झू हेंगपेंग
झू हेंगपेंग चीन के जानेमाने अर्थशास्त्री है. एक दशक तक एक सरकारी थिंक टैंक में काम करने के बाद उन्होंने सरकारी चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी (CASS) में अर्थशास्त्र संस्थान के उपनिदेशक के तौर पर जिम्मेदारी संभाली. खबर है कि उन्होंने बीते दिनों एक पर्सनल चैट ग्रुप में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आलोचना की थी. जिसके बाद से वो सार्वजनिक तौर पर दिखे नहीं है.
शी जिनपिंग की आलोचना के बाद गायब
चीन में एक सरकारी थिंकटैंक के एक टॉप इकोनॉमिस्ट पिछले कई महीनों से गायब हैं. उन्होंने कथित तौर पर एक निजी ऑनलाइन चैट ग्रुप में चीनी राष्ट्रपति की आलोचना की थी. 55 साल के झू हेंगपेंग ने कथित तौर पर एक प्राइवेट वीचैट ग्रुप में चीन की इकोनॉमी और चीनी राष्ट्रपति के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी. वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अज्ञात स्रोतों के हवाले से बताया कि अप्रैल में उन्हें हिरासत में लिया गया और जांच के दायरे में रखा गया. 20 से अधिक सालों तक चीनी एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज (कैस) में काम किया है. वह इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स के उप निदेशक और पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर के निदेशक के रूप में भी काम कर चुके हैं.
झू ने अप्रैल में चीनी मीडिया आउटलेट कैक्सिन के एक कार्यक्रम को संबोधित किया था, इसके बाद से उन्हें सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है. इतना ही नहीं सिंघुआ विश्वविद्यालय में उनके काम से संबंधित वेबसाइट भी कथित तौर पर ऑफलाइन कर दी गई. वॉल स्ट्रीट जर्नल द्वारा उनसे घर पर संपर्क करने के प्रयास कथित तौर पर असफल रहे. वहीं द गार्डियन डॉट कॉम ने 25 सितंबर को बताया कि कैस ने सवालों का जवाब नहीं दिया. बता दें कि चीन की अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है. ऐसा आशंका जतायी जा रही है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनोमी अपने तय लक्ष्य, 5% वार्षिक विकास दर, को प्राप्त नहीं कर पाएगी. हालांकि, शी को देश की अर्थव्यवस्था की तुलना में सत्ता पर अपनी और पार्टी की पकड़ को अधिक महत्व देते हुए देखा जाता है.