CULTURE OF OVERWORK IN INDIA: ग्लोबल जॉब मैचिंग और हायरिंग प्लेटफॉर्म इनडीड के मुताबिक, 88% भारतीय कर्मचारियों से काम के घंटों के बाद भी कंपनियों द्वारा उनसे संपर्क किया जाता है. जबकि 85% कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी उनसे सिक लीव और पब्लिक होलीडे के दौरान भी टच में रहती है.
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LABOUR LAWS IN INDIA: L&T के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यन ने 90 घंटे काम करने की बात कहकर नई बहस छेड़ दी है. इससे पहले इंफोसिस के नारायणमूर्ति ने एक वीक में 70 घंटे काम करने की वकालत की थी. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि भारत में काम को लेकर क्या कानून है.
आमतौर पर भारत के कई युवा सक्सेस, फेम और पैसा कमाने की उम्मीद में बड़े शहरों में जाते हैं. भारतीय लेबर लॉ भले ही कानूनन सप्ताह में 48 घंटे काम की अनुमति देता है, लेकिन कई कंपनियां युवा कर्मचारियों से ओवरटाइम और अक्सर कम वेतन पर काम करवाकर उनका शोषण करती हैं.
भारत दुनिया की सबसे बड़ी युवा आवादी वाला देश होने के साथ-साथ सबसे बड़े स्किल्ड और अनस्किल्ड वर्कफोर्स वाला भी देश है. 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती के सम्मान में भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है. जिससे देश के युवाओं को स्वामी विवेकानंद के नक्शेकदम पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.
49 घंटे से ज्यादा काम कर रहे कर्मचारी
किसी भी देश का युवा उनकी सबसे बड़ी पूंजी होती है. युवा उस देश को शिखर पर पहुंचाने में सक्षम होते हैं. हालांकि, यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि वहां का कानून उसके पक्ष में हो.
भारत में कर्मचारियों के लिए काम के घंटे उसके श्रम कानूनों के अनुसार निर्धारित किए जाते हैं, जो कुशल और अकुशल दोनों श्रमिकों पर लागू होते हैं. फैक्टरी अधिनियम 1948 के अनुसार, कोई भी कंपनी किसी कर्मचारी से एक दिन में अधकतम 9 घंटे और सप्ताह में 48 घंटे तक ही काम करा सकती है.
इसके बावजूद भारत में लोग कंपनियों के शोषण से पीड़ित हैं. क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़ों के अनुसार, 50.5% व्यक्ति प्रति सप्ताह 49 घंटे या उससे अधिक काम करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि यह 2018 तक 63.4% लोग 49 घंटे से ज्यादा काम करते थे.
ग्लोबल जॉब मैचिंग और हायरिंग प्लेटफॉर्म इनडीड के मुताबिक, 88% भारतीय कर्मचारियों से काम के घंटों के बाद भी कंपनियों द्वारा उनसे संपर्क किया जाता है. जबकि 85% कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी उनसे सिक लीव और पब्लिक होलीडे के दौरान भी टच में रहती है.
भारत में लेबर लॉ
Factories Act 1948 यानी कारखाना अधिनियम, 1948
वीकली काम के घंटे: अधिकतम 48 घंटे.
रोजाना काम के घंटे: अधिकतम 9 घंटे.
आराम का समय: हर 5 घंटे के बाद कम से कम आधे घंटे का ब्रेक.
ओवरटाइम: 48 घंटे से अधिक काम करने पर दोगुना वेतन.
यह कानून फ़ैक्टरियों में कर्मचारियों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और कामकाजी परिस्थितियों को नियंत्रित करता है. इस कानून के तहत किसी भी कर्मचारी से सप्ताह में 48 घंटों तक ही काम लिया जा सकता है. साथ ही इसमें आराम करने का समय भी शामिल होता है. इसके अलावा 240 दिनों के काम के बाद वार्षिक भुगतान छुट्टी का प्रावधान करता है.
न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948: यह अधिनियम कर्मचारियों के लिए क्षेत्र और उद्योग के आधार पर सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करता है.
वेतन भुगतान अधिनियम 1936: यह अधिनियम कर्मचारियों को समय पर वेतन भुगतान की गारंटी देता है. इस नियम के तहत कर्मचारियों को आमतौर पर हर महीने के 7 या 10 तारीख तक सैलरी का भुगतान करना अनिवार्य है.
मातृत्व लाभ अधिनियम 1961: इस अधिनियम को साल 2017 में अपडेट किया गया था. इस अधिनियम के तहत महिला कर्मचारियों को 6 महीने का पेड मैटेरिनिटी लीव और गर्भपात और गर्भावस्था की अवस्था में एक्स्ट्रा पेड लीव की छुट्टी का प्रावधान है.
कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952: इस अधिनियम के तहत कंपनियों और कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद की फाइनेंशियल सिक्योरिटी सुनिश्चित करने का प्रावधान है.
कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948: यह अधिनियम एक निर्धारित आय सीमा से कम आय वाले पात्र कर्मचारियों के लिए मेडिकल बेनिफिट्स, सिकनेस बेनिफिट्स और मेटरनिटी बेनिफिट्स का प्रावधान है.