Job Placement: अब कोचिंग संस्थान 100 फीसदी सिलेक्शन, नौकरी की गारंटी, प्री या मेन्स एग्जाम की गारंटी का दावा नहीं करेंगे. कोचिंग क्षेत्रों में ऐसे झूठे दावे वाले विज्ञापन नहीं कर सकेंगे, जो उपभोक्ता को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
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Coaching Centers Fake Job Placement Claims: अब कोचिंग संस्थान नौकरी या किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए अभ्यर्थियों को लुभाने वाले बड़े-बड़े झूठे दावे नहीं कर सकेंगे. कोचिंग सेंटर्स अपने विज्ञापनों या अन्य किसी भी प्लेटफॉर्म के जरिए 100 फीसदी जॉब के लुभावने दावे नहीं कर सकेंगे.
दरअसल, नौकरी या एंट्रेस एग्जाम एस्पिरेंट्स को लुभाने के लिए कोचिंग संस्थानों द्वारा बड़े पैमाने पर की जा रही अनैतिक गतिविधियों के बीच, केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने मंगलवार को ऐसे भ्रामक विज्ञापनों से निपटने के लिए मसौदा दिशानिर्देशों पर बातचीत हुई.
उपभोक्ता मामलों के सचिव और केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) के मुख्य आयुक्त रोहित कुमार सिंह की अध्यक्षता में बैठक में इस विषय पर चर्चा हुई. देश की शीर्ष उपभोक्ता निगरानी संस्था सीसीपीए ने पिछले साल अक्टूबर में देशभर के 20 यूपीएससी कोचिंग संस्थानों को मिसलीडिंग एडवरटाइजमेंट जारी करने के लिए नोटिस भेजा था.
दिशानिर्देश का करना होगा पालन
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक सीसीपीए ने सोमवार को कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित दिशानिर्देश तैयार करने के लिए गठित समिति की पहली बैठक की. इस बैठक में दिशानिर्देशों के मसौदे पर चर्चा की गई. यह दिशानिर्देश सभी कोचिंग संस्थानों जैसे ऑनलाइन, भौतिक और फॉर्म सभी पर लागू होंगे. बयान के मुताबिक ये दिशानिर्देश प्रारूप या माध्यम की परवाह किए बिना ऐसे सभी भ्रामक विज्ञापनों को कवर करेंगे.
जानिए क्या कहा है बयान में
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के बयान के मुताबिक "कोचिंग संस्थान 100% चयन या 100% नौकरी की गारंटी या प्रारंभिक या मुख्य परीक्षा की गारंटी का दावा नहीं करेंगे… दिशानिर्देश यह भी प्रदान करते हैं कि कोचिंग संस्थान सफलता दर या चयन की संख्या और किसी भी अन्य प्रथाओं के बारे में झूठे दावे नहीं करेंगे जो उपभोक्ता को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ग़लतफ़हमी या उपभोक्ता की स्वायत्तता और पसंद को नष्ट करना." मंत्रालय का यह बयान अधिकारियों और हितधारकों के विचार-विमर्श के बाद आया है.
बयान के मुताबिक "कोचिंग संस्थान सफल उम्मीदवार की फोटो, उम्मीदवार द्वारा प्राप्त रैंक, चुने गए कोर्स, कोर्स की फीस और फीस का भुगतान किया गया है या मुफ्त है ये सब जानकारी देना होगा. मानदंड ऐसी स्थितियां निर्धारित करते हैं जब एक कोचिंग संस्थान द्वारा कोई विज्ञापन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत परिभाषित भ्रामक विज्ञापन माना जाएगा, जिसमें अन्य बातों के अलावा सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए सिलेबस से जुड़ी अहम जानकारी छिपाना, कोर्स की अवधि आदि शामिल है."
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019
मंत्रालय ने कहा कि कोचिंग क्षेत्र द्वारा भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने पर जुर्माना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अनुसार नियंत्रित किया जाएगा.
इससे पहले सीसीपीए ने कोचिंग संस्थानों द्वारा भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करते हुए 31 कोचिंग संस्थानों को नोटिस जारी किया है. इनमें से 9 कोचिंग सेंटर्स पर जुर्माना भी लगाया है.