Ajit Pawar party ahead of Sharad Pawar: देश की सियासत में शरद पवार को महाराष्ट्र की राजनीति का चाणक्य कहा जाता है, लेकिन 2024 के महाराष्ट्र चुनाव में भतीजे अजित पवार ने अपने चाचा शरद की आखिरी बाजी में ऐसा तूफान मचाया कि अब चाचा की सारी राजनीति पर सवाल उठ खड़ा हुआ है. आखिर अब शरद पवार क्या करेंगे? महाराष्ट्र चुनाव में देखें कैसे अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार की दुर्गति की है.
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Maharashtra election results: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद 83 साल के शरद पवार के आगे अब बहुत बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है. उनके भतीजे अजित पवार ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इतिहास रचते हुए अपने चाचा को राजनीति में हाशिए पर ला दिया है. यहीं नहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के प्रमुख शरद पवार के सामने एनसीपी पार्टी को लेकर भी संकट खड़ा हो गया है. कभी परछाई बनकर साथ खड़े रहने वाले भतीजे अजित पवार ने महाराष्ट्र के राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार की आखिरी बाजी पलट दी है. देखें विधानसभा चुनाव के आंकड़े पवार और पवार के बीच जंग में कौन अधिक बना पावरफुल.
बारामती के गढ़ में अजित पवार की जय-जय
65 साल के अजित पवार, जिन्हें अक्सर 'दादा' के रूप में जाना जाता है, उन्होंने शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (एसपी) के भतीजे युगेंद्र पवार को 1,00,899 मतों के निर्णायक अंतर से हराकर बारामती के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है.
बगावत के बाद अजित पवार की बारामती में पहली जीत
1967 में शरद पवार की पहली चुनावी जीत के बाद से बारामती पवार परिवार का पर्याय बन गया है. उनके भतीजे अजीत ने 1991 से उस विरासत को आगे बढ़ाया और लगातार जीतते रहे. लेकिन 2023 में एनसीपी में विभाजन ने 83 वर्षीय शरद पवार और अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुटों के बीच वफादारी को विभाजित कर दिया, जिसने इस चुनाव के लिए मंच तैयार किया. और फिर महाराष्ट्र में पवार बीच पवार शुरू हुआ. लेकिन 2024 में अजीत पवार ने बाजी पलट दी. अजीत पवार की पत्नी और राज्यसभा सांसद सुनेत्रा पवार ने उनकी जीत का श्रेय बारामती के मतदाताओं की वफादारी को दिया. उन्होंने कहा, "बारामतीकरों ने दिखा दिया है कि वे दादा के सच्चे परिवार हैं." यानी शरद पवार का बारामती अजित पवार का हो गया है.
अजित पवार ने शरद चाचा की राजनीति की खत्म?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दो प्रतिद्वंदी गुटों के बीच मुकाबले में अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने शरद पवार के नेतृत्व वाले दल राकांपा (शरदचंद्र पवार) को 29 सीट पर हराया. राकांपा ने कुल 41 सीट पर जीत दर्ज की है. निर्वाचन आयोग की ओर से जारी चुनाव परिणाम से यह जानकारी मिली. शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा (शरदचंद्र पवार) को केवल दस जीत से संतोष करना पड़ा, लेकिन इसमें से छह सीट उसने अजित की पार्टी को हराकर जीती है. राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने 86 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे.
अब सन्यास लेंगे शरद पवार?
विधानसभा चुनाव के वोटिंग से पहले ही शरद पवार ने चुनावी राजनीति से संन्यास के संकेत दिए थे. पवार ने कहा है कि अब वे चुनाव नहीं लड़ेंगे, हालांकि पार्टी संगठन का काम देखते रहेंगे. यानी NCP (SP) चीफ के पद पर काम करते रहेंगे. 83 साल के शरद पवार ने बारामती में मंगलवार को कहा था, 'कहीं तो रुकना ही पड़ेगा. मुझे अब चुनाव नहीं लड़ना है. अब नए लोगों को आगे आना चाहिए. मैंने अभी तक 14 बार चुनाव लड़ा है.अब मुझे सत्ता नहीं चाहिए. मैं समाज के लिए काम करना चाहता हूं. विचार करूंगा कि राज्यसभा जाना है या नहीं.' अब महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों के बाद उनकी पार्टी को महज 10 सीटों पर ही जीत मिली हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि यह चुनाव उनके लिए आखिरी होगा.